राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

MP में पदोन्नति नियम को मंजूरी मिलने पर दिसंबर तक सभी पात्र कर्मचारियों को मिलेगा प्रमोशन

भोपाल
 मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए नए पदोन्नति नियम को लेकर हाई कोर्ट जबलपुर की सुनवाई में सरकार का जोर इस बात पर है कि नौ वर्ष से प्रदेश में पदोन्नतियां बंद हैं। इससे कर्मचारी हतोत्साहित हैं। सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन प्रकरण को ध्यान में रखते हुए जब तक अंतिम निर्णय नहीं हो जाता, तब तक सशर्त पदोन्नति दी जाएगी। यदि सब-कुछ ठीक रहा और निर्णय सरकार के पक्ष में आया तो दिसंबर तक सभी पात्र कर्मचारियों को एक-एक पदोन्नतियां दे दी जाएंगी।

हाई कोर्ट जबलपुर में सरकार की ओर से गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन की अनुपस्थिति को आधार बनाकर सुनवाई की तिथि आगे बढ़ाने का आग्रह किया, जिसे स्वीकार किया गया। सरकार का जोर इस बात पर है कि सशर्त ही सही पर नौ वर्ष से बंद पदोन्नति का सिलसिला प्रारंभ हो जाए। वैसे भी सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है, इसलिए पदोन्नति दी भी जाती है तो वह अंतिम निर्णय के अधीन ही रहेगी।

सभी वर्ग के कर्मचारी हो रहे प्रभावित

इसमें किसी को कोई परेशानी भी नहीं होनी चाहिए क्योंकि प्रभावित तो सभी वर्ग के कर्मचारी हो रहे हैं। वहीं, सामान्य वर्ग के याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका को वापस ना लेने पर प्रश्न खड़ा कर रहे हैं। सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संस्था (सपाक्स) का कहना है कि जब सरकार ने यह मान लिया है कि पुराने नियम दोषपूर्ण थे और हाई कोर्ट ने उन्हें जो निरस्त किया वह सही था तो फिर याचिका वापस लेने में आपत्ति क्या है।

जब नियम ही गलत थे तो जो पदोन्नतियां उससे हुईं वे वापस ली जानी चाहिए यानी पदोन्नत अधिकारियों-कर्मचारियों को पदावनत करके वरिष्ठता सूची तैयार की जाए और फिर पदोन्नतियां हों। अभी जो स्थिति है, उसमें तो सामान्य वर्ग का नुकसान ही नुकसान है।ये पहले ही विसंगतिपूर्ण पदोन्नति नियम के कारण पिछड़ गए हैं और अब फिर वही स्थिति बनाने का प्रयास हो रहा है। जो नए नियम हैं वे भी सामान्य वर्ग के हितों का संरक्षण नहीं करते हैं।

विभागों ने शुरू कर दी थी पदोन्नति की तैयारियां

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश के नियमित साढ़े सात लाख अधिकारियों-कर्मचारियों में से साढ़े तीन से चार लाख कर्मचारी पदोन्नति के पात्र होंगे। नए नियम बनाने के साथ ही इन्हें पदोन्नति देने की तैयारियां भी विभागों ने प्रारंभ कर दी थी।

विभागीय पदोन्नति समिति के गठन के साथ कर्मचारियों के सेवा अभिलेख के आधार पर प्रस्ताव भी तैयार हो चुके हैं। नगरीय विकास एवं आवास, लोक निर्माण सहित अन्य विभागों और विधानसभा सचिवालय ने तैयारी करके रखी है। यदि जल्द ही नियम को हरी झंडी मिल जाती है तो दिसंबर तक पात्र अधिकारियों-कर्मचारियों को एक पदोन्नति दे दी जाएगी।

यथास्थिति भी होगी स्पष्ट

सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट में यथास्थिति को भी स्पष्ट करने के लिए कहा है। दरअसल, सपाक्स का कहना है कि भले ही नए नियम बना दिए गए हैं लेकिन जब तक यथास्थिति है, तब तक पदोन्नति नहीं हो सकती है। वहीं, सरकारी पक्ष का कहना है कि यथास्थिति संदर्भ में है जिसमें पदोन्नत कर्मचारियों को पदावनत करने की बात उठाई जा रही है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button