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महादेव सट्टा ऐप केस: सुप्रीम कोर्ट से आरोपियों को राहत, ढाई साल बाद मिली जमानत

रायपुर

महादेव सट्टा एप मामले में सभी 12 आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. सभी आरोपी बीते ढाई साल से रायपुर जेल में कैद हैं.

महादेव ऑनलाइन सट्टा एप मामले में जेल में बंद रितेश यादव, भारत ज्योति, विश्वजीत राय, राहुल वकटे, नीतीश दीवान, भीम सिंह यादव, अर्जुन यादव, चंद्रभूषण वर्मा, सतीश चंद्राकर समेत सभी 12 आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट से दस्तावेज आते ही सभी आरोपियों को जेल से छोड़ दिया जाएगा.

कैसे हुई एप की शुरुआत

सौरभ चंद्राकर, रवि उप्‍पल और अतुल अग्रवाल ने साल 2016 में महादेव बुक एप लॉन्‍च किया था. शुरुआत में इस एप पर ऑनलाइन सट्टेबाजी होती थी, जिस पर क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस, बैडमिंटन जैसे खेलों के साथ पोकर, तीन पत्‍ती, वर्चुअल गेम यहां तक की चुनाव को लेकर भी भविष्‍यवाणी पर दांव लगाया जाता था. दुबई से संचालित होने वाला यह एप जुआ गतिविधियों के लिए कुख्‍यात हो गया.

कैसे बढ़ता गया कारोबार
पहले तीन साल में तो एप का ग्राहक आधार 12 लाख तक पहुंचा, लेकिन साल 2020 में इसके फाउंडर्स ने हैदराबाद स्थित रेड्डी अन्ना नामक एक और सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म को 1,000 करोड़ रुपए में खरीद लिया. इसके बाद तो महादेव ऐप के यूजर्स का बेस बढ़कर 50 लाख से भी पार चला गया और कमाई में ताबड़तोड़ बढ़ोतरी होनी शुरू हो गई. एप के संचालकों ने वॉट्सऐप और टेलीग्राम जैसे प्‍लेटफॉर्म से भी अपना बिजनेस खूब बढ़ाया और हजारों करोड़ का कारोबार खड़ा कर दिया.

सिंडिकेट के रूप में चलता था एप
महादेव एप एक सिंडिकेट के रूप में संचालित होता था, जो विभिन्न अवैध सट्टेबाजी प्लेटफार्मों को एकत्रित करता था. यह पैनल या शाखाओं को सहयोगियों को फ्रेंचाइजी बनाकर काम करता था. इन फ्रेंचाइजी के साथ 70 और 30 के अनुपात में मुनाफा बांटा जाता था. यूजर्स को कॉन्‍टैक्‍ट करने के लिए नंबर दिए जाते जिस पर संपर्क करके आईडी प्राप्‍त कर लेते और दांव लगाने के लिए पैसे जमा करते. जीतने के बाद यूजर्स को एक अलग प्रक्रिया के जरिये पैसे नकद में निकालने की सुविधा मिलती है.

कितना होता था मुनाफा
यूजर बेस बढ़ने के साथ ही ऐप का मुनाफा और कमाई भी बढ़ने लगी. अनुमान है कि इस ऐप से रोजाना करीब 200 करोड़ रुपए का लाभ होता था. इसकी सफलता का श्रेय यूजर अनुकूल इंटरफेस, विविध सट्टेबाजी विकल्पों और त्वरित लाभ के वादे को जाता है. हालांकि, यूजर्स के साथ हेरफेर भी खूब होता था और जो यूजर लंबे समय तक इसे खेलते उन्‍हें नुकसान पहुंचाने के लिए हेरफेर किया जाता था, ताकि कंपनी का मुनाफा सुनिश्चित हो सके.

ऐसे कसा गया शिकंजा
महादेव ऐप साल 2022 तक धड़ल्‍ले से चलता रहा, लेकिन इसके बाद इनकम टैक्‍स विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की नजर पड़ी. ईडी ने बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाकर जांच शुरू की और इसके ठिकानों पर छापेमारी शुरू हो गई. ईडी का आरोप था कि मनी लॉन्ड्रिंग में करीब 6,000 करोड़ रुपए शामिल हैं. जांच में हवाला नेटवर्क, शेल कंपनियों और यहां तक कि राजनीतिक संरक्षण के दावों के लिंक भी खुला.

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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