जिलेवार ख़बरेंबिलासपुर

हाईकोर्ट का फैसला: सहमति से संबंध होने पर रेप नहीं, CAF जवान बरी

बस्तर

छत्तीसगढ़ के बस्तर में रेप के आरोप में 10 साल की सजा काट रहे सीएएफ के जवान रूपेश कुमार पुरी को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। न्यायमूर्ति नरेश कुमार चंद्रवंशी की एकलपीठ ने कहा कि यह मामला प्रेम संबंध का है, झूठे विवाह वादे पर आधारित दुष्कर्म का नहीं। अदालत ने फास्ट ट्रैक कोर्ट जगदलपुर द्वारा 2022 में सुनाई गई सजा को रद्द कर दिया।

कोर्ट ने क्या कहा..
हाईकोर्ट ने माना कि पीड़िता बालिग थी और लंबे समय तक अपनी मर्जी से आरोपी के साथ रही। दोनों के बीच बने शारीरिक संबंध आपसी सहमति से थे। अदालत ने कहा कि जब तक यह साबित न हो कि आरोपी ने शुरू से ही शादी का इरादा नहीं रखा था, तब तक ऐसे मामले को दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता।
 
मामला कैसे शुरू हुआ

साल 2020 में पीड़िता ने जवान रूपेश कुमार पुरी पर शादी का झांसा देकर रेप करने का आरोप लगाया था। कहा गया कि जवान ने उसे दो महीने तक घर में रखकर यौन शोषण किया और बाद में शादी से इनकार कर दिया। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने रूपेश को 10 साल की सजा और 10 हजार रुपए जुर्माना लगाया था।

क्या कहा बचाव पक्ष ने..
रूपेश के वकील ने दलील दी कि दोनों के बीच 2013 से प्रेम संबंध थे और पीड़िता अपनी मर्जी से आरोपी के घर गई थी। एफआईआर परिजनों के दबाव में दर्ज कराई गई। अदालत ने पाया कि पीड़िता ने खुद आरोपी को फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी और दोनों के बीच लंबे समय तक बातचीत होती रही।

हाईकोर्ट का फैसला
सभी सबूतों और बयानों की समीक्षा के बाद अदालत ने कहा कि यह मामला जबरन शोषण का नहीं, बल्कि प्रेम और सहमति का है। मेडिकल और एफएसएल रिपोर्ट में रेप के ठोस सबूत नहीं मिले। पीड़िता खुद आरोपी के घर गई और कई बार उसके साथ संबंध बनाए, जिसमें खुद युवती की भी मर्जी दिखी। इस आधार पर कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का निर्णय रद्द करते हुए रूपेश कुमार पुरी को सभी आरोपों से बरी कर दिया।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button