जिलेवार ख़बरें

स्वयं की मेहनत, खुद की सड़क: गुड़ियापदर के ग्रामीणों ने दिखाया विकास का जज़्बा

जगदलपुर

बस्तर जिले के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के भीतर बसे गुड़ियापदर गांव के ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन की वर्षों से जारी उपेक्षा से तंग आकर स्वयं सड़क निर्माण का बीड़ा उठाया है. समाजसेवी शकील रिजवी ने आम नागरिकों, सामाजिक संगठनों और दानदाताओं से इस मानवता भरे प्रयास में सहयोग करने की अपील की है.

गुड़ियापदर वही गांव है, जहां कुछ दिन पहले एक गर्भवती महिला को खटिया को स्ट्रेचर बनाकर कीचड़ और नालों को पार करते हुए डिमरापाल अस्पताल तक ले जाना पड़ा था. गांव में अब तक सड़क, स्वास्थ्य सुविधा, बिजली, पेयजल और परिवहन जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. ग्रामीणों की यह परेशानी नई नहीं कई बार मरीजों को इसी तरह कठिन रास्तों से अस्पताल पहुंचाना पड़ा है.

गुड़ियापदर गांव को वर्ष 2021 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा कम्युनिटी फॉरेस्ट रिसोर्स एक्ट (CFRA) के तहत कांगेर घाटी उद्यान क्षेत्र में रहने की अनुमति दी गई थी. लेकिन यहां गोंड समुदाय के लगभग 35 परिवार वर्ष 2002 से निवासरत हैं. CFRA स्वीकृति के बावजूद अब तक उन्हें कोई बुनियादी सुविधा नहीं मिल पाई है.

बीते वर्षों में मलेरिया जैसी बीमारियों से दो बच्चों की मौत भी हो चुकी है, फिर भी स्थिति जस की तस बनी हुई है. सरकार की अनदेखी से निराश ग्रामीणों ने अब अपने बूते सड़क बनाने का संकल्प लिया है. गांव के लोग सामूहिक श्रमदान कर पगडंडी की सफाई, गड्ढों की भराई और कच्ची सड़क का निर्माण कर रहे हैं.

ग्रामीणों का कहना है की सरकार से उम्मीद टूट चुकी है, अब हम अपने बल पर अपने गांव तक सड़क बनाएंगे. फिलहाल ग्रामीण सामूहिक सहयोग से यह काम कर रहे हैं. आने वाले दिनों में सड़क पर मुरूम और गिट्टी डालने की योजना है. ग्रामीणों का मानना है कि दीपावली के अवसर पर यदि समाज आगे बढ़कर सहयोग करे, तो उनके लिए यह सड़क केवल रास्ता नहीं, बल्कि आशा की नई किरण साबित होगी.

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button