रूस से और S-400 मिसाइलें खरीदने का प्लान, 50,000 करोड़ रुपये के हथियार निर्यात का लक्ष्य: राजनाथ सिंह

नई दिल्ली
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत अपनी सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेगा और आने वाले समय में रूस से और एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदेगा. इसी साल मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एस-400 डिफेंस सिस्टम ने अपनी ताकत दिखाई थी. इस डिफेंस सिस्टम के बदले भारत ने पाकिस्तानी क्षेत्र में सैकड़ों किमी भीतर जाकर उसके लड़ाकू विमानों को मार गिराया था. एस-400 की इस सफलता के बाद से इस डिफेंस सिस्टम की दुनिया में चर्चा होने लगी. भारत ने 2018 में रूस के साथ पांच एस-400 डिफेंस सिस्टम की डील की थी. इसमें से तीन सिस्टम भारत को मिल चुके हैं. इस पुरानी डील के दो सिस्टम की डिलिवरी में यूक्रेन युद्ध के कारण देरी हो रही है. इस बीच भारत ने अपने आसमान को और सुरक्षित बनाने के लिए और एस-400 सिस्टम खरीदने की बात कही है.
50 हजार करोड़ के निर्यात का लक्ष्य
राजनाथ सिंह ने रूस से और एस-400 डिफेंस सिस्टम खरीदने की बात कही. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत आज 25000 करोड़ रुपये का एर्म्स एक्सपोर्ट कर रहा है और उसका लक्ष्य इसको बढ़ाकर 50 हजार करोड़ रुपये करने का है.
सिंह ने कहा कि देसी न्यूक्लियर सबमरीन प्रोजेक्ट में थोड़ा समय लग रहा है लेकिन इसमें बहुत अधिक देरी नहीं हुई है. इसमें हम अच्छी प्रगति कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य आने वाले वक्त में हथियारों को लेकर किसी अन्य देश पर निर्भर रहने की नहीं है. हम आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं. उन्होंने एक अन्य सवाल पर कहा कि थिएटराइजेशन की दिशा में अच्छी प्रगति हो रही है. उन्होंने यह भी कहा कि ऑपरेशन त्रिशूल एक रूटीन एक्सरसाइज है. भारत इस वक्त ऑपरेशन त्रिशूल चला रहा है.
नए S-400 पर दिसंबर में डील हो सकती है
भारत रूस से कुछ और S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीद सकता है। ऐसे पांच सिस्टम्स की डील पहले ही हुई थी, जिनमें से 3 भारत को मिल चुके हैं। चौथे स्क्वाड्रन की डिलीवरी रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण रुकी हुई है। नई डील इनके अलावा होगी। न्यूज एजेंसी PTI के सोर्स के मुताबिक, दिसंबर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे के समय डील पर बातचीत हो सकती है।
भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ 5 अरब डॉलर का समझौता किया था। उस समय अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि इस सौदे को आगे बढ़ाने पर वह CAATSA कानून के तहत भारत पर पाबंदी लगा सकता है।
भारत S-500 मिसाइल सिस्टम खरीदने पर भी विचार कर रहा है। S-400 और S-500 दोनों ही मॉडर्न मिसाइल सिस्टम हैं। इनका इस्तेमाल एयर डिफेंस और दुश्मन के हवाई हमलों से बचने के लिए किया जाता है।
एयर चीफ मार्शल बोले थे- भारत जरूरत के हिसाब से सिस्टम खरीदेगा
हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने और S-400 खरीदने के सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था-
भारत के पास अभी तीन स्क्वाड्रन
इसी ऑपरेशन के साथ S-400 का कॉम्बैट डेब्यू भी हो गया. हलांकि भारत ने रूस से कुल 5 यूनिट्स की डील की थी, लेकिन अब तक केवल तीन स्क्वाड्रन ही भारतीय वायुसेना को मिल पाई हैं. पहली स्क्वाड्रन – दिसंबर 2021 में मिली तो दूसरी स्क्वाड्रन – अप्रैल 2022 में और तीसरी फरवरी 2023 में मिली हैं. ये स्क्वाड्रन क्रमशः आदमपुर (पंजाब), पूर्वी सेक्टर और पश्चिमी सेक्टर में तैनात की गई हैं.
सूत्रों के मुताबिक चौथी यूनिट 2026 में और अंतिम पांचवी यूनिट 2027 तक भारत को मिलने की संभावना है. अगर एस-400 की खासियतों की बात करें तो यह 600 किलोमीटर तक दुश्मन की आसमानी गतिविधियों पकड़ने की क्षमता रखता है . साथ ही यह सिस्टम एक साथ 100 से अधिक लक्ष्यों पर नज़र रख सकता है.
रूस से और S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदेगा भारत, ऑपरेशन सिंदूर में पाक को चटाई थी धूल
भारत ने 2018 में इस सौदे पर 39,000 करोड़ रुपये खर्च किए थे. अब एस-400 की बची हुई दो स्क्वाड्रन की तैनाती के बाद भारत की वायु रक्षा क्षमता और भी अभेद्य हो जाएगी.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान S-400 ने दिखाई अपनी ताकत
एस-400 एक पावरफुल वेपन सिस्टम है, जो दुश्मन के हमने से बचाव कर उसके खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हुए जबरदस्त हमला भी करता है. इस लिहाज से देश के लिये S-400 वेपन सिस्टम काफी जरूरी हो जाता है. भारत ने साल 2018 में चीन और पाकिस्तान की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए रूस से लॉन्ग-रेंज एयर डिफेंस सिस्टम S-400 खरीदने का बड़ा निर्णय लिया था. यह फैसला ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरी तरह सही साबित हुआ, जब पाकिस्तान के हवाई हमलों को भारत की एस-400 बैटरी ने आसमान में ही नष्ट कर दिया था.
भारत के पास अभी तीन स्क्वाड्रन
इसी ऑपरेशन के साथ S-400 का कॉम्बैट डेब्यू भी हो गया. हलांकि भारत ने रूस से कुल 5 यूनिट्स की डील की थी, लेकिन अब तक केवल तीन स्क्वाड्रन ही भारतीय वायुसेना को मिल पाई हैं. पहली स्क्वाड्रन – दिसंबर 2021 में मिली तो दूसरी स्क्वाड्रन – अप्रैल 2022 में और तीसरी फरवरी 2023 में मिली हैं. ये स्क्वाड्रन क्रमशः आदमपुर (पंजाब), पूर्वी सेक्टर और पश्चिमी सेक्टर में तैनात की गई हैं.
सूत्रों के मुताबिक चौथी यूनिट 2026 में और अंतिम पांचवी यूनिट 2027 तक भारत को मिलने की संभावना है. अगर एस-400 की खासियतों की बात करें तो यह 600 किलोमीटर तक दुश्मन की आसमानी गतिविधियों पकड़ने की क्षमता रखता है . साथ ही यह सिस्टम एक साथ 100 से अधिक लक्ष्यों पर नज़र रख सकता है.
400 किलोमीटर की दूरी तक वार की क्षमता
एस-400 की मदद से 400 किलोमीटर की दूरी से ही दुश्मन के एयर एसैट्स को गिराने की क्षमता रखता है. एस-400 बॉम्बर, फाइटर जेट, ड्रोन, अर्ली वॉर्निंग एयरक्राफ्ट और बैलिस्टिक मिसाइल तक को ध्वस्त कर सकता है . इसमें मल्टी-रेंज मिसाइलें तैनात होती हैं. एस-400 की एक रेजिमेंट में 8 लॉन्च व्हीकल होते है . प्रत्येक में 4 मिसाइल ट्यूब यानी 32 मिसाइलों के साथ-साथ कमांड-एंड-कंट्रोल और एडवांस राडार भी होता है.
2018 में भारत ने 39 हजार करोड़ रुपए में किया था डील
भारत ने 2018 में इस सौदे पर 39,000 करोड़ रुपये खर्च किए थे. अब एस-400 की बची हुई दो स्क्वाड्रन की तैनाती के बाद भारत की वायु रक्षा क्षमता और भी अभेद्य हो जाएगी. आधुनिक युद्धों में दुशमन के किसी भी हवाई हमले को आसानी से विफल करने के लिए ऐसा एयर डिफेंस सिस्टम बेहद ज़रूरी है. जिस तरह इज़रायन ने अपने आयरन डोम के जरिये हमास के हमले को नाकाम किया, ठीक वैसे ही भारत ने एस-400 के दम पर पाकिस्तान को दिन में ही तारे दिखा दिए.
S-400 डिफेंस सिस्टम क्या है?
S-400 ट्रायम्फ रूस का एडवांस्ड मिसाइल सिस्टम है, जिसे 2007 में लॉन्च किया गया था। यह सिस्टम फाइटर जेट, बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल, ड्रोन और स्टेल्थ विमानों तक को मार गिरा सकता है। यह हवा में कई तरह के खतरों से बचाव के लिए एक मजबूत ढाल की तरह काम करता है। दुनिया के बेहद आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम में इसकी गिनती होती है।
इसके अलावा, भारत रूस से नई एयर-टू-एयर मिसाइलें खरीदने पर भी विचार कर रहा है ताकि लंबी दूरी की हवाई लड़ाई (Beyond Visual Range Combat) में बढ़त हासिल की जा सके। साथ ही, दोनों देशों के बीच BrahMos सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल और उसके नए वर्जन को और बेहतर बनाने को लेकर भी बातचीत चल रही है।




