रांची की हवा बिगड़ती जा रही, एयर क्वालिटी में बेंगलुरु-चेन्नई से भी पीछे

रांची
झारखंड की राजधानी रांची , जो कभी अपनी घने जंगलों, हरियाली और स्वच्छ हवा के लिए मशहूर थी, आज एयर Pollution की गंभीर समस्या से जूझ रही है। शहर के कई हिस्सों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) अनहेल्दी श्रेणी में पहुंच गया है, जिससे आम नागरिकों से लेकर बच्चों और बुजुर्गों तक के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। रांची में वायु प्रदूषण गंभीर स्तर पर है. शहर के कई हिस्सों में प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है, जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। PM2.5 और PM10 जैसे प्रदूषक मुख्य कारण हैं। विशेषज्ञों और नागरिकों ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त की है, और सरकार से तत्काल कदम उठाने की मांग की है। इन दिनों में AQI का स्तर 150 से ऊपर बना हुआ है, और कुछ इलाकों में यह 180 के करीब दर्ज किया गया है।
झारखंड स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (JSPCB) ने क्लीन एयर प्लान को सख्ती से लागू करने का ऐलान किया है। रांची को इस संकट से निकालने के लिए सरकार, प्रशासन और नागरिकों का सहयोग जरूरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर तुरंत कदम उठाए गए तो 2026 तक सुधार संभव है।
आंकड़ों के अनुसार रांची का औसत AQI अनहेल्दी (151-200) की श्रेणी में है। मुख्य प्रदूषक PM2.5 और PM10 हैं, जो सर्दियों में मौसमी स्थितियों के कारण और बढ़ जाते हैं। देश के कई बड़े शहरों, जैसे कि Bengaluru or Chennai की हवा अपेक्षाकृत साफ है। कांके रोड में रहने वाली सोशल एक्टिविस्ट रंजना कुमारी का कहना है, हरित क्षेत्र की कमी सबसे बड़ा कारण है। हमें तुरंत बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण करना होगा।
अभी तक आपने सुन होगा कि राजधानी दिल्ली pollution का मार झेल रहा है। लेकिन अब रांची का शहर और इसका कस्बा भी प्रदूषण से अछूता नहीं रहा। प्रमुख पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. श्वेता कुमारी कहती हैं, रांची में बढ़ता PM2.5 स्तर फेफड़ों को स्थायी नुकसान पहुंचा रहा है। बच्चों और अस्थमा रोगियों को बाहर निकलते समय N95 मास्क पहनना चाहिए। प्रशासन को ट्रैफिक और निर्माण धूल पर सख्ती बरतनी होगी। नागरिक अनावश्यक बाहर निकलने से बचें, मास्क पहनें और जागरूकता फैलाएं।




