पुणे मनपा चुनाव से पहले NDA में घमासान, BJP-शिवसेना गठबंधन टूटने की कगार पर

पुणे
महाराष्ट्र में आगामी पुणे महानगरपालिका (पीएमसी) चुनावों से पहले सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में दरार पड़ती दिख रही है। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया है कि उसने चुनाव-पूर्व गठबंधन में शिवसेना को सम्मानजनक सीटों का हिस्सा नहीं दिया। मंगलवार को शिंदे गुट की शिवसेना ने कहा कि वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सहयोगी भाजपा से अलग होने के लिए पूरी तरह तैयार है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने इससे पहले राज्य की सभी 29 नगर निगमों में शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। हालांकि पुणे महानगरपालिका के लिए भाजपा द्वारा प्रस्तावित 165 में से केवल 16 सीटें शिवसेना को देने के फार्मूले को पार्टी की स्थानीय इकाई ने सिरे से खारिज कर दिया। पुणे मनपा के चुनाव 15 जनवरी को होने हैं, जबकि नतीजे 16 जनवरी को घोषित किए जाएंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक, सीट बंटवारे पर नाराजगी जताते हुए शिवसेना नेता अजय भोसले ने कहा- भाजपा का व्यवहार हमें आहत करने वाला है। इस सीट-शेयरिंग फॉर्मूले को हम स्वीकार नहीं कर सकते। गठबंधन पर अंतिम फैसला पार्टी स्तर पर होना है, लेकिन हमने 60 इच्छुक उम्मीदवारों को आधिकारिक पार्टी दस्तावेज दे दिए हैं। वहीं पार्टी के सुर में सुर मिलाते हुए शिवसेना पुणे शहर इकाई के प्रमुख नाना भांगिरे ने कहा- पुणे में भाजपा के साथ गठबंधन अब लगभग समाप्त हो चुका है। इस बीच भाजपा ने उन सीटों पर भी अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जिन पर शिवसेना दावा कर रही थी। शिवसेना नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा ने नगरपालिका में जीत की मजबूत संभावना न होने के बावजूद सीटों का बड़ा हिस्सा खुद ले लिया। एक पार्टी नेता ने कहा कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना सभी सीटों पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने को तैयार है।
गौरतलब है कि 2017 के पुणे मनपा चुनावों में शिवसेना ने 10 सीटें जीती थीं। इनमें से सात पूर्व पार्षद बाद में भाजपा में शामिल हो गए, और अब भाजपा ने उन्हें ही अपने उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतार दिया है। राजनीतिक हलचल के बीच सोमवार रात शिवसेना के नेता रविंद्र धांगलेकर ने राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी प्रमुख अजित पवार से मुलाकात कर संभावित गठबंधन पर चर्चा की। धांगलेकर ने बताया- अजित पवार ने आश्वासन दिया है कि वे इस प्रस्ताव पर विचार कर शिवसेना को जल्द जवाब देंगे।
वहीं, शिवसेना मंत्री उदय सामंत भी पुणे पहुंचे और उन्होंने स्थानीय नेताओं के साथ बैठक कर चुनावी रणनीति पर मंथन किया। कुल मिलाकर, पुणे मनपा चुनाव से ठीक पहले भाजपा-शिवसेना के रिश्तों में खटास ने राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह बदल दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि शिवसेना अकेले मैदान में उतरती है या फिर किसी नए राजनीतिक गठबंधन का रास्ता चुनती है।




