राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

ISRO श्रीहरिकोटा में बनाएगा तीसरा लॉन्च पैड, भारी सैटेलाइट्स के लिए चार साल में तैयार

विशाखापट्टनम

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) ने भविष्य के भारी सैटेलाइट्स को सपोर्ट करने के लिए अपने श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट पर एक नए लॉन्च पैड पर काम शुरू कर दिया है. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) इस लॉन्च पैड के साथ अंतरिक्ष में अपने मानव मिशन के साथ एक कदम और आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह तैयार है.

इस नई फेसेलिटी को बनाने, इंस्टॉल करने और शुरू करने में चार साल लगने की उम्मीद है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह विस्तार बहुत ज़रूरी है, क्योंकि ISRO अगली जनरेशन के रॉकेट की तैयारी कर रहा है, जो 12,000 से 14,000 किलोग्राम से ज़्यादा वज़न वाले सैटेलाइट्स को अलग-अलग ऑर्बिट में स्थापित कर सकेंगे, जिससे भारत की अंतरिक्ष क्षमताएं काफी बढ़ जाएंगी.

नए लॉन्च पैड की योजनाओं के लिए ISRO ने शुरू की वेंडर की तलाश

 रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार, ISRO अभी प्रोक्योरमेंट स्टेज में है और इस मेगा प्रोजेक्ट के लिए सही वेंडर्स की तलाश कर रहा है. सतीश धवन स्पेस सेंटर के डायरेक्टर और डिस्टिंग्विश्ड साइंटिस्ट पद्मकुमार ईएस ने कहा कि प्लानिंग और डेवलपमेंट से जुड़ी गतिविधियां पहले से ही चल रही हैं.

इसमें नए लॉन्च पैड के लिए ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्निकल सपोर्ट पर फोकस किया जा रहा है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि श्रीहरिकोटा लॉन्च कॉम्प्लेक्स, लगभग 175 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यह चेन्नई से लगभग 135 किमी पहले बना हुआ है, जो लंबे समय से भारत के स्पेस लॉन्च की रीढ़ बना हुआ है.

इस साइट से, ISRO ने अलग-अलग लॉन्च व्हीकल का इस्तेमाल करके कई तरह के सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च किए हैं. ये सैटेलाइट राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ग्राहकों के लिए कम्युनिकेशन, नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग और वैज्ञानिक मिशन में मदद करते हैं.

अगली-जनरेशन और मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए तीसरा लॉन्च पैड बनेगा केंद्र

प्रस्तावित तीसरा लॉन्चपैड ISRO के रोडमैप के लिए बहुत ज़रूरी बताया जा रहा है, जो क्रू वाले और बिना क्रू वाले मिशन को सपोर्ट करेगा और अगली जनरेशन के वाहनों को होस्ट करेगा, जबकि मौजूदा पैड से PSLV, GSLV और LVM3 लॉन्च होते हैं, और भविष्य में भारी पेलोड की ज़रूरत होगी.

जानकारी के अनुसार, ISRO ने साल 1971 से लॉन्चपैड और लॉन्च कंट्रोल सेंटर को अपग्रेड किया है, जिसे अब SDSC (2002) के नाम से जाना जाता है, और लॉन्चिंग क्षमता बढ़ाने के लिए तीसरे पैड की योजना बना रहा है.

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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