हर किसान के खेत तक पहुँचेगा सिंचाई के लिए जल : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

प्रदेश में सिंचाई का रकबा 100 लाख हैक्टेयर करने का लक्ष्य
सिंचाई के रकबे में हो रही है निरंतर वृद्धि
भोपाल
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की किसानों की खुशहाली की परिकल्पना को साकार करते हुए मध्यप्रदेश में सिंचाई का रकबा तेजी से बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा प्रदेश को दी गई तीन बड़ी परियोजनाओं से मध्यप्रदेश में सिंचाई का रकबा 100 लाख हैक्टेयर तक करने में सफलता मिलेगी। साथ ही प्रदेश की अन्य निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाऍ भी लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होंगी। प्रदेश में गत दो वर्षों में सिंचाई क्षमता में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। किसानों की तरक्की और खुशहाली हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। कृषि के अतिरिक्त पेयजल, उद्योगों, विद्युत उत्पादन आदि के लिए जल की उपलब्धता कराये जाने के प्रयास निरंतर जारी हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यह मध्यप्रदेश का सौभाग्य है कि पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई के नदी जोड़ो अभियान के सपने को साकार करने का कार्य प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में प्रारंभ हुआ। इस परियोजना से पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र की तस्वीर एवं तकदीर बदल जाएगी। इस परियोजना से न केवल सिंचाई अपितु पेयजल एवं विद्युत उत्पादन का लाभ भी मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की दूसरी महत्वपूर्ण पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक राष्ट्रीय नदी जोड़ो परियोजना है। इससे प्रदेश के बड़े हिस्से में सिंचाई, पेयजल, उद्योगों आदि के लिए पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध हो सकेगा। प्रदेश में आकार ले रही तीसरी महत्वपूर्ण परियोजना तापी बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना है, जो कि विश्व में अपने आप में एक अनूठा प्रयास है। इस परियोजना अंतर्गत वर्षा के दौरान ताप्ती नदी के अतिरिक्त जल को नियंत्रित तरीके से भू-जल भरण के लिए उपयोग किया जाकर भू-जल स्तर में वृद्धि की जाएगी। परियोजना के क्रियान्वयन के लिये मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्यों के मध्य सहमति बन चुकी है।
मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री श्री मोदी की "पर ड्रॉप मोर क्रॉप" की अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। सिंचाई प्रबंधन में मध्यप्रदेश देश में सर्वोच्च स्थान पर है। प्रदेश में सिंचाई के रकबे में निरंतर वृद्धि हो रही है। माइक्रो सिंचाई पद्धति में मध्यप्रदेश देश में अग्रणी राज्य है। जल संरक्षण एवं संवर्धन क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिये म.प्र. को राष्ट्रीय जल अवार्ड भी मिला है।
केन-बेतवा राष्ट्रीय परियोजना
परियोजना की लागत 44 हजार 605 करोड़ रूपये है। इससे सिंचाई 8 लाख 11 हजार हेक्टेयर में हो सकेगी। परियोजना से बुन्देलखण्ड के 10 जिले छतरपुर, पन्ना, दमोह, टीकमगढ, निवाडी, शिवपुरी, दतिया, रायसेन, विदिशा एवं सागर के लगभग 2 हजार ग्रामों के 7 लाख 25 हजार किसान परिवार लाभान्वित होंगे। साथ ही 44 लाख आबादी को पेयजल मुहैया हो सकेगा। परियोजना से 103 मेगावॉट विद्युत (जल विद्युत) और 27 मेगावॉट सौर उर्जा का उत्पादन होगा। भू-जल की स्थिति में सुधार, औद्योगीकरण, पर्यटन एवं रोजगार के अवसर में भी वृद्धि होगी। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने परियोजना का भूमि-पूजन पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती 25 दिसम्बर 2024 को किया। परियोजना का कार्य प्रांरभ हो चुका है।
पार्वती-कालीसिंध-चंबल राष्ट्रीय परियोजना
परियोजना की कुल लागत 72 हजार करोड़ रूपये है। इसमें मध्यप्रदेश का हिस्सा 35 हजार करोड़ रूपये का है। परियोजना से मालवा एवं चंबल क्षेत्र के 13 जिले गुना, शिवपुरी, मुरैना, उज्जैन, सीहोर, मंदसौर, देवास, इंदौर, आगर मालवा, शाजापुर, श्योपुर, ग्वालियर एवं भिण्ड में 6.16 लाख हेक्टेयर में नवीन सिंचाई एवं चंबल नहर प्रणाली के आधुनिकीकरण से भिण्ड, मुरैना एवं श्योपुर के 3.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा हो सकेगी। साथ ही लगभग 2 हजार 94 ग्रामों की 40 लाख आबादी लाभान्वित होगी। मध्यप्रदेश की 19 सिंचाई परियोजनायें इसमें शामिल की गई हैं।
मेगा तापी रीचार्ज परियोजना
पारंपरिक जल भंडारण के स्थान पर भू-गर्भ जल पुनः भरण वाली इस परियोजना की कुल लागत 19 हजार 244 करोड़ रूपये है। इसे 10 मई 2025 को महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश के मध्य राष्ट्रीय परियोजना के रूप में निर्मित किये जाने की सहमति प्रदान की गई। परियोजना से बुरहानपुर एवं खण्डवा जिले की 1 लाख 23 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी। अटल भू-जल योजना से भू-जल संरक्षण एवं संवर्धन हेतु प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के 06 जिलों सागर- दमोह छतरपुर- टीकमगढ़-पन्ना एवं निवाडी के 09 विकासखंडों की 670 ग्राम पंचायत क्षेत्रों में जन सहभागिता से जल सुरक्षा योजना तैयार करने हेतु भारत सरकार की सहायता से 314.44 करोड़ राशि की योजना 2020 से अक्टूबर 2025 तक क्रियान्वित की गई।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इन सभी राष्ट्रीय एवं राज्यीय परियोजनाओं से प्रदेश में सिंचाई के रकबे को बढ़ाने और हर खेत तक पानी पहुँचाने में सफलता मिलेगी। राज्य सरकार ने सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए आगामी 3 वर्ष की कार्य योजना भी बनाई है, जिसे अमल में लाना शुरू कर दिया है।




