छत्तीसगढ़दुर्ग-भिलाई

कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

उच्चशिक्षा विभाग निरंतर गुणवत्ता में विकास के लिए कार्य कर रहा है-श्रीमती वर्मा

दुर्ग-शासकीय डा.वा.वा.पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आई.क्यू.ए.सी. (आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ) के द्वारा ‘‘उच्च शिक्षा में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में नवाचार और सुधार’’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।इस कार्यक्रम में उच्चशिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ की आयुक्त श्रीमती शारदा वर्मा मुख्य अतिथि थी।कार्यक्रम की अध्यक्षता साईन्स कालेज के प्राचार्य डा.आर.एन. सिंह ने की।

अपने उद्बोधन में श्रीमती शारदा वर्मा ने कहा कि कोई भी शिक्षण संस्थान शिक्षण पद्धति में सुधार तथा अन्वेषण का कार्य स्वप्रेरणा से करते है तो मुझे हर्ष की अनुभूति होती है।उच्च शिक्षण संस्थाओं में जागरूकता आई है,वे स्वउत्थान के लिए निरंतर आगे बढ़ रहे है।विद्यार्थियों में जागरूकता लाना हो,उनके व्यक्तित्व विकास की बात हो, तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र हो या नई पद्धति से पर्ढ़ाई हो,सभी शिक्षण संस्थान उत्कृष्ट कार्य कर रहे है।इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के माध्यम से शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में लाभ होगा।श्रीमती वर्मा ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग ने निरंतर गुणवत्ता विकास के लिये कार्य किया है जिससे राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश की छवि बनी है।

महाविद्यालय के प्राचार्य डा.सुशीलचन्द्र तिवारी ने कहा कि पूरे प्रदेश में 211 शासकीय महाविद्यालय नैक से मूल्यांकित हो चुके है।दुर्ग संभाग में भी 53 शासकीय महाविद्यालयों ने अपनी गुणवत्ता का मूल्यांकन नैक से कराकर अच्छा ग्रेड प्राप्त किया है।उन्होनें कहा कि अब सभी संस्थाओं की यह जवाबदारी है कि वे गुणवत्ता के मानक को निरंतर बनाये रखें तथा शैक्षणिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभायें।

कार्यक्रम के अध्यक्ष डा.आर.एन. सिंह ने कहा कि नैक मूल्यांकन के क्षेत्र में उच्चषिक्षा विभाग ने अच्छा मुकाम हासिल किया है।नैक के लिए वर्तमान में बेंचमार्क नर्धारित हो गया है, उसके अनुसार योजना बनाना, उसका क्रियान्वयन करना निश्चित है।इस नयी प्रक्रिया में हमें बहुत अच्छे परिणाम मिले है।

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता डा.जी.ए. घनश्याम ने कहा कि हर क्षेत्र में गुणवत्ता का उन्नयन हुआ है।उच्च शिक्षा में गुणवत्ता के लिए शिक्षा में नवाचार एवं नवीन पद्धति का होना आवश्यक है। यह नवाचार लोगों के अंदर से होना चाहिए।भारत को शिक्षा व्यवस्था के अंतर्गत विश्व गुरू के रूप में देखा जाता है, गुरू-षिष्य परंपरा के अनुसार गुरूओं के अंदर भी नवाचार होना चाहिए जिससे शिष्य का सर्वांगीण विकास हो सके।

द्वितीय सत्र की अतिथि वक्ता शासकीय नागार्जुन विज्ञान महाविद्यालय, रायपुर की भौतिकशास्त्र की विभागाध्यक्ष डा.अंजली अवधिया ने कहा कि ‘‘विद्यार्थी केन्द्रित शिक्षाशास्त्र के माध्यम से गुणवत्ता शिक्षा’’ आज की आवश्यकता है।उन्होने इसके विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा की।

मणिपाल विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रार डा. नीतू भटनागर ने ‘‘अकादमिक आडिट और इसका संबंध नैक व एन.बी.ए. मान्यता में प्रासंगिकता’’ विषय पर व्याख्यान दिया।डा.यास्मीन फातिमा परवेज, सहायक प्राध्यापक, रसायन ने ‘‘संशोधित मान्यता ढांचे में ए और ए कार्यप्रणाली’’ विषय पर व्याख्यान दिया।डा. अनुपमा आस्थाना ने नैक में टीमवर्क पर अपने विचार प्रस्तुत किये।

इस अवसर पर शासकीय जवाहरलाल नेहरू स्नातकोत्तर महाविद्यालय बेमेतरा की राष्ट्रीय संगोष्ठी की कार्यवाही विवरणिका का विमोचन भी किया गया तथा डा.रेशमा लाकेश एवं तबस्सुम अली की पुस्तक ‘मिलेट्स’ का भी विमोचन किया गया एवं समस्त प्रतिभागियों को इस अवसर पर प्रमाण पत्र प्रदान किये गये।

कार्यक्रम का संचालन आई.क्यू.ए.सी. संयोजक डा. ऋचा ठाकुर ने किया तथा आभार प्रदर्शन डा.मो. शोयेब ने किया।इस अवसरपर शासकीय महाविद्यालय उतई के प्राचार्यडा. राजेश पाण्डेय, शासकीय पीजी महाविद्यालय बेमेतरा के प्राचार्यडा.पी.पी.चन्द्रवंषी एवं वरिष्ठ प्राध्यापक डा.डी.सी.अग्रवाल तथा विभिन्न महाविद्यालयों के प्राध्यापक उपस्थित थे।

Dinesh Purwar

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