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मनीष सिसोदिया को आज भी नहीं मिली जमानत, 12 अक्टूबर को होगा बेल पर फैसला

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कथित दिल्ली शराब घोटाले के मामले में जांच एजेंसी ईडी से कई सख्त सवाल पूछे। मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और एस वी एन भट्टी की बेंच ने मामले को 12 अक्टूबर तक के लिए टाल दिया। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के वकील से कहा कि क्या आपने सिसोदिया और विजय नायर को रिश्वत पर चर्चा करते देखा है? क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान यह तो दो मिनट में ही खारिज हो जाएगा। बेंच ने यह भी पूछा कि जरूरी नहीं है कि जो पैसा दिया गया वह शराब से ही जुड़ा हुआ हो। आखिर सबूत कहां हैं? क्या दिनेश अरोड़ा के बयान के अलावा कोई अन्य सबूत है?

मामले की सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा कि वह शराब नीति मामले में किसी भी दोषी पक्ष को न्याय के दायरे में लाने के लिए प्रतिबद्ध है। इससे पहले बुधवार को ईडी ने आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह पर बड़ा ऐक्शन लिया और आरोपी से सरकारी गवाह बने दिनेश अरोड़ा से रिश्वत में करोड़ों रुपये लेने के आरोप में आप नेता को गिरफ्तार कर लिया। सुनवाई के दौरान मनीष सिसोदिया की ओर से बोलते हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने दलील दी कि आप को आरोपी बनाने में ईडी की दिलचस्पी सुप्रीम कोर्ट द्वारा उठाए गए सवाल से ही पैदा हुई है। हालांकि,, अदालत ने स्पष्ट किया कि उसका सवाल पूरी तरह से कानूनी प्रकृति का था और इसका उद्देश्य किसी को फंसाना नहीं था।

 सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या किसी नीतिगत फैसले को प्रस्तुत तरीके से कानूनी रूप से चुनौती दी जा सकती है? केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने तर्क दिया कि नीति जानबूझकर विशिष्ट व्यक्तियों के पक्ष में तैयार की गई थीं और सबूत के तौर पर वॉट्सऐप मैसेजों को प्रस्तुत किया गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन मैसेजेस की स्वीकार्यता पर आपत्ति व्यक्त की। ईडी ने आगे दावा किया कि उत्पाद शुल्क नीति मामले में आरोपियों ने सिग्नल ऐप के माध्यम से बातचीत की थी, जिसका पता नहीं लगाया जा सकता है, जिससे जांच में जटिलता की परत जुड़ गई है। पूरी कार्यवाही के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से कड़े सवाल भी पूछे।

'अनुमान नहीं, साक्ष्य पर आधारित होना चाहिए'
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ईडी के वकील से कहा कि क्या आपने उन्हें (विजय नायर, मनीष सिसोदिया को रिश्वत पर) इस पर चर्चा करते देखा है? क्या यह स्वीकार्य होगा? क्या अप्रूवर द्वारा यह बयान अफवाह नहीं है? यह एक अनुमान है लेकिन इसे साक्ष्य पर आधारित होना चाहिए। क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान तो यह दो मिनट में ही खारिज हो जाएगा। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने कहा कि एजेंसियों का मामला यह है कि पैसा मनीष सिसोदिया को मिला था और पूछा कि यह तथाकथित शराब समूह से उन तक कैसे पहुंचा। जस्टिस खन्ना ने पूछा, ''आपने दो आंकड़े लिए हैं, 100 करोड़ और 30 करोड़। उन्हें यह भुगतान किसने किया? पैसे देने वाले बहुत सारे लोग हो सकते हैं – जरूरी नहीं कि यह शराब से जुड़ा हो। सबूत कहां है? दिनेश अरोड़ा खुद प्राप्तकर्ता हैं। कहां है सबूत? दिनेश अरोड़ा के बयान के अलावा, क्या कोई अन्य सबूत है? बता दें कि ईडी ने दावा किया है कि आम आदमी पार्टी ने 2022 के गोवा विधानसभा चुनावों में अपने अभियान के लिए विभिन्न हितधारकों से रिश्वत के रूप में प्राप्त 100 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया था।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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