RO.No. 13047/ 78
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

यूपी में यादवों से ज्यादा यह सवर्ण बिरादरी, पर ओबीसी सब पर भारी; 22 साल पहले क्या था अनुमान

लखनऊ  
बिहार में जातीय सर्वे के बाद अब उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में ऐसी मांग उठ रही है। सामाजिक न्याय के नाम पर राजनीति करने वाले कुछ दल इसे लेकर उत्साहित हैं और उन्हें लगता है कि इससे कुछ फायदा हो सकता है। उत्तर प्रदेश में सपा नेता अखिलेश यादव भी लगातार यह मांग उठाते रहे हैं। इस बीच 22 साल पुरानी एक रिपोर्ट की भी चर्चा हो रही है, जिसे राज्य में पिछड़ों की स्थिति के आकलन के लिए गठित किया गया था। 2001 में हुकुम सिंह पैनल गठित हुआ था और उसने जो रिपोर्ट दी थी, उसके मुताबिक राज्य में ओबीसी की आबादी 54.05 फीसदी थी, जो 1991 के 41 फीसदी के मुकाबले काफी ज्यादा थी।

इसकी वजह यह थी कि उत्तराखंड राज्य का गठन हो गया और उसके चलते एक बड़ी सवर्ण आबादी पहाड़ी राज्य में चली गई। इसके अलावा ओबीसी की सूची में 24 नई जातियों को भी शामिल करने से ऐसी स्थिति हुई। हालांकि इसके बाद भी यूपी की स्थिति बिहार से थोड़ी अलग है और यहां ओबीसी भारी जरूर है, लेकिन सवर्णों की आबादी भी करीब 20 फीसदी मानी जाती है। हुकुम सिंह पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में सवर्ण जातियों की आबादी 18 से 20 फीसदी है। इसमें भी सबसे ज्यादा आबादी ब्राह्मणों की 12 से 14 पर्सेंट है, जबकि ठाकुर राज्य की कुल आबादी के 7 से 8 फीसदी के बराबर हैं।

ब्राह्मणों के बाद ओबीसी की सबसे ज्यादा संख्या वाली बिरादारी यादव का नंबर आता है। राज्य में यादवों की संख्या 9 से 11 फीसदी तक है, जबकि 54 ओबीसी वर्ग में देखा जाए तो उसकी हिस्सेदारी 19 से 20 फीसदी की है। वहीं अनुसूचित जातियों में जाटव सबसे अधिक हैं। यही वजह है कि सूबे की दलित राजनीति जाटवों और ओबीसी राजनीति यादवों के इर्द-गिर्द ही रही है। हुकुम सिंह पैनल ने अपनी रिपोर्ट में गांव और शहरों में रहने वाली आबादी का भी समूहवार जिक्र किया था।

रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण इलाकों में सवर्णों की आबादी अपेक्षाकृत कम है और शहरों में ज्यादा है। ग्रामीण क्षेत्रों में सवर्णों की संख्या 22.42 फीसदी आंकी गई थी। इसके अलावा दलितों की संख्या 25 फीसदी और ओबीसी की आबादी 37.50 फीसदी मानी गई। वहीं मुसलमानों की संख्या 13.36 फीसदी रहने का अनुमान है। इसके उलट शहरी इलाकों में सवर्ण बिरादरियों की आबादी 32 फीसदी से कुछ अधिक है, जबकि एससी-एसटी वर्ग की आबादी 15.27 फीसदी है। यही नहीं हुकुम सिंह पैनल के अनुमान के मुताबिक यूपी के शहरी इलाकों में ओबीसी का आंकड़ा 21.96 फीसदी है। हालांकि शहर और ग्रामीण आबादी का यह डेटा 1999-2000 के दौरान का था। ऐसे में इसमें जरूर कुछ अंतर आएगा, यदि नए सिरे से रिपोर्ट तैयार की जाए।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.No. 13047/ 78

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button