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स्वास्थ्य

Eye Specialists की चेतावनी, मोतियाबिंद देकर चला गया कोरोना!

नई दिल्ली
 राजधानी में कोरोना के बाद लोगों को में मोतियाबिंद के मामले बढ़ गए हैं। दिल्ली के कुछ आई केयर स्पेशलिस्ट्स का कहना है कि मोतियाबिंद के रोगियों की संख्या बढ़ रही है। इसमें अधिकतर 45 वर्ष से कम उम्र के लोग हैं। इसका एक प्रमुख कारण कोविड है। एक्सपर्ट ने साथ ही चेतावनी दी है कि यह अब सच नहीं है कि लेंस का धुंधलापन केवल एक बार होता है। मोतियाबिंद आम तौर पर अधिक उम्र में होने वाली बीमारी है। अब कोरोना के बाद से चीजें बदल गई हैं।

क्यों बढ़े मोतियाबिंद के मामले?

डॉक्टरों का कहना है कि 45 वर्ष से कम उम्र के लोगों में मोतियाबिंद के जल्दी शुरू होने के सामान्य कारणों में हाई ब्लडप्रेशर, एक्जिमा और मधुमेह जैसी बीमारी भी वजह है। इसके अलावा स्टेरॉयड का अधिक यूज, आंखों की चोट, पारिवारिक इतिहास के साथ ही सूरज से निकलने वाली पराबैंगनी किरणें के साथ ही पारिवारिक इतिहास भी मोतियाबिंद की शुरुआत का कारण बन रहा है। सेंटर फॉर साइट ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल के प्रेसिडेंट और मेडिकल डायरेक्टर डॉ महिपाल एस सचदेव ने कहा कि आजकल होने वाली कुल मोतियाबिंद सर्जरी में से 15% 45 वर्ष से कम उम्र के लोगों और 25% 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों पर हो रही हैं। उन्होंने कहा कि कम उम्र में मोतियाबिंद होने का एक प्रमुख कारण कोविड है क्योंकि बहुत से लोगों ने स्टेरॉयड की उच्च खुराक ली थी। इसे मोतियाबिंद का कारण माना जाता है।

डायबिटिज भी बन रहा वजह

डॉ. महिपाल सचदेव ने कहा कि दूसरा प्रचलित कारण उच्च मायोपिया है जो बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि मोतियाबिंद के खतरे का दूसरा कारण मधुमेह की बढ़ती घटना है। एम्स के डॉ. आर.पी. सेंटर फॉर ऑप्थैल्मिक साइंसेज के प्रोफेसर डॉ. रोहित सक्सेना ने कहा किदुनिया भर में उम्र से संबंधित मोतियाबिंद 60 साल से अधिक उम्र के लोगों में देखा जाता है, लेकिन भारत में यह कम देखा गया है। बहुत कम उम्र। उन्होंने कहा कि जल्दी मोतियाबिंद होने के कारणों में मधुमेह, आंख में चोट, आंखों में सूजन, उच्च मायोपिया और स्टेरॉयड का लंबे समय तक उपयोग शामिल हैं। यूवी किरणों के संपर्क में आना भी जोखिम कारकों में से एक है। उन्होंने कहा कि रात में आने वाली हेडलाइट्स से चमक भी एक सामान्य प्रारंभिक लक्षण है।

एक साल में 83 लाख मोतियाबिंद की सर्जरी

दिल्ली आई सेंटर और सर गंगा राम अस्पताल में कॉर्निया और रिफ्रैक्टरी सर्जरी स्पेशलिस्ट डॉ. इकेदा लाल ने कहा कि युवा आबादी में मोतियाबिंद तेजी से सामने आ रहा है। उन्होंने कहा कि आधुनिक जीवनशैली, खान-पान की पसंद, गतिहीन जीवनशैली और एक्सरसाइज की कमी के कारण डायबिटिज जल्दी हो रहा है। यह इस बदलाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक है। चूंकि डायबिटिज युवा लोगों में बहुत आम होता जा रहा है, इसने कम उम्र के समूहों में मोतियाबिंद में वृद्धि में भी योगदान दिया है। उन्होंने आगे कहा कि मोतियाबिंद को ठीक करने के लिए सुरक्षित और उन्नत सर्जरी संभव है। उन्होंने कहा कि सबसे नाजुक और सूक्ष्म हिस्सों को आसानी से संभाला जा सकता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वैश्विक स्तर पर दृष्टि हानि और अंधापन का प्रमुख कारण अपवर्तक त्रुटियां और मोतियाबिंद हैं। भारत सरकार ने 2022-2023 में 83.4 लाख मोतियाबिंद सर्जरी सफलतापूर्वक कीं।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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