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गुरुग्राम में 50 से अधिक भ्रष्टाचार के मामलों का रिकॉर्ड गायब, 2 साल से अटकी जांच

गुरुग्राम.
नगर निगम से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों में अधिकारी विजिलेंस विंग को रिकॉर्ड ही नहीं दे रहे हैं। 50 से ज्यादा ऐसे मामले हैं जिनका आज तक विजिलेंस अधिकारियों को रिकॉर्ड तक नहीं मिला है। ऐसे में दो साल से यह भ्रष्टाचार के मामले लंबित चल रहे हैं। अभी हाल ही में दिए गए नोटिस के जवाब में निगम के अधिकारियों ने रिकॉर्ड नहीं होने का जवाब दिया है। नगर निगम की विजिलेंस विंग के पास बीते तीन साल से 100 से ज्यादा भ्रष्टाचार के मामलों की जांच चल रही है। इनमें से 11 मामलों की जांच पूरी की जा चुकी है।

25 भ्रष्टाचार के मामलों का कोई रिकॉर्ड अधिकारियों को नहीं मिल रहा है। इसके अलावा 106 मामलों की शिकायतें शहरी स्थानीय निकाय विभाग, खूफिया विभाग और एंटी करप्शन ब्यूरो से आई हुई है। इन मामले में भी आज तक 25 से ज्यादा भ्रष्टाचार के मामलों का अधिकारियों को रिकॉर्ड नहीं मिला है। ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि निगम में भ्रष्टाचार के मामलों के रिकॉर्ड किस प्रकार से गायब किया जा रहा है। नगर निगम की विजिलेंस टीम की तरफ से 11 मामलों की जांच की जा चुकी है। इसमें शामिल 20 से ज्यादा अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट करने के लिए मुख्यालय को पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन छह माह बीत जाने के बाद भी आज तक किसी भी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है।

इन मामलों का नहीं मिला है कोई लेखा जोखा
● 2013 में निगम ने बिना टेंडर के ही करोड़ों रुपयों के पीवीसी पाइप खरीदे थे। तत्कालीन वरिष्ठ महापौर ने इसकी शिकायत विजिलेंस से की थी।
● सेक्टर-31 के सामुदायिक भवन में अवैध विज्ञापन लगाने वालों के यूनिपोल काटकर रखे गए थे, यह यूनिपोल कहां गए इसकी कोई जानकारी नहीं मिली।
● गांव सरहौल में दो बूस्टिंग स्टेशनों का निर्माण पांच करोड़ की लागत से किया गया था, लेकिन इसके बाद से इनको शुरू नहीं किया गया।
● गांव वजीराबाद में 2020 में स्टेडियम कॉप्लेक्स और इंडोर स्वीमिंग पूल के निर्माण में लापरवाही बरती गई। इसकी शिकायत दो साल से लंबित है।
● रोड स्वीपिंग मशीनों से सफाई करवाने में गड़बड़ी करने में शहरी स्थानीय निकाय विभाग से जांच करने के आदेश थे। इसके बाद कोई सूचना नहीं है।
● बंधवाड़ी प्लांट में बिना टेंडर ही ठेकेदार को करोड़ों के टेंडर देने के मामले का भी रिकॉर्ड गायब है।
● निगम में वार्ड-3, 33, 34, 35, 11, 14, 15, 16 में किए गए विकास कार्यो का भी रिकॉर्ड नहीं मिला है। इसकी जांच खूफिया विभाग पंचकूला से आई है।
● 2020 में दूसरे विभाग की सड़क का बिना निर्माण किए डेढ करोड़ का भुगतान के मामले की जांच अभी लंबित पड़ी है।
● सफाई के कार्य में टेंडर की शर्तों एंव नियमों को ताक पर रखकर निजी एजेंसियों को टेंडर देने समेत 50 मामलों के रिकॉर्ड अधिकारियों को नहीं मिल पा रहे हैं।

निगम के पास 2018 से पहले का रिकॉर्ड नहीं
नगर निगम के पास 2018 से पहले का रिकॉर्ड का रखरखाव नहीं है। इस कारण इससे पहले शहर में हुए विकास कार्यों का भी निगम के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। इंजीनियरिंग विंग को शहर में करवाए जा रहे विकास कार्यों और अन्य टेंडर प्रक्रिया को पूरी करने से पहले एक टेंडर रजिस्टर भी लगाना होता है, लेकिन 15 साल बीत जाने के बाद भी निगम में कोई टेंडर रजिस्टर तक मौजूद नहीं है।
-पीसी मीणा, निगमायुक्त, नगर निगम, ''जिन मामलों की रिकॉर्ड नहीं मिल रहे हैं उन संबधित अधिकारियों से जवाब मांगा जाएगा। मामलों में शामिल अधिकारियों पर जल्द सख्त कार्रवाई की जाएगी।''
– राधे श्याम, अधीक्षण अभियंता, नगर निगम, गुरुगाम, ''2018 से पहले साधारण तरीके से फाइले चलती थी। 2018 के बाद फाइलें डिजिटल तरीके से चल रही हैं। पहले के रिकॉर्ड में कार्यालय शिफ्ट करने या अन्य कारणों से कुछ फाइलों का रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है।''

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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