बच्चे और महिलाएं, पारंपरिक पर्व मना रही है, संजा माता
इंदौर, निमाड़/मालवा
निमाड़,मालवा का पारंपरिक पर्व बालिकाएं शाम होते ही घर आंगन में संजा माता के गीत और आरती कर प्रसादी वितरण करती नजर आ रही है, क्षेत्र में श्राद्ध पक्ष के साथ ही लोक् पर्व संजा माता मनाया जा रहा है यह एक विशेष पर्व है लड़कियां गाय के गोबर से संझा माता की आकृति बनाती है, जिसकी पूजा अर्चना कर प्रसादी लड़कियों के समूह में बाटी जाति है.
16 दिनों तक रोजाना अलग-अलग आकृति गोबर से बनाई जाती है जिसमें चांद, सूरज,तारे, लड़का ,लड़की,बैलगाड़ी,कार आदि आकृतियां बनाई जाती है ,माता के गीत गाए जाते हैं जिसमें प्रमुख गीत है,,,,,, छोटी सी गाड़ी लुढ़कती जाए जीमें बैठी संजा माई ,,,, संझा तू थारा घर जा थारी माई मारेगी कूटेगी,,,,, जैसे गीत निमाड़,मालवा अंचल में महिलाएँ ओर बालिकाएं बड़े हर्षोल्लास के साथ गाकर मना रही है, समय के साथ-साथ माता को सजाने का पैटर्न भी बदल गया है
.पहले गोबर की आकृति पर फूल चिपकाए जाते थे परंतु अब चमक द्वारा माता को सजाया जाता है इधर परंपराओं का निर्वहन करते हुए बालिका योगिता सूर्यवंशी ने बताया की इस प्रकार गतिविधि होने से वर्तमान में पौराणिक परंपराएं जीवित है, 16 दिनों तक रोजाना चलने वाला पर्व आखिरी दिन बड़े आकार का किल्लाकोट बनाकर उसे रंग बिरंगी पन्न्नी, फूल और पत्तियों से सजाया जाता है, उसके बाद आरती प्रसादी वितरण कर बहती नदी में विसर्जन कर संझा माता को विदाई दी जाती है ।