राजनीति

TMC सांसद महुआ मोइत्रा की सदस्यता खतरे में

नई दिल्ली.
पश्चिम बंगाल में जहां कई तृणमूल सदस्य व मंत्री भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे हैं, वहीं अब पार्टी की लोकसभा सदस्य महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) पर न सिर्फ गंभीर भ्रष्टाचार का, बल्कि सदन की गरिमा गिराने और विशेषाधिकारों के हनन का आरोप लगा है। उन पर पैसे और गिफ्ट के बदले विदेश में बसे एक उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी के हितों के लिए संसद में सवाल पूछने का आरोप लगा है।

गंभीर हैं महुआ मोइत्रा पर लगे आरोप
बता दें कि यह बहुत ही गंभीर आरोप है और 2005 में ऐसे ही एक मामले में कई सदस्यों की सदस्यता चली गई थी। वे नेता फिर लौटकर संसद नहीं पहुंचे।

महुआ मोइत्रा ने पूछे उद्योगपति से जुड़े सवाल
पिछले कुछ वर्षों में महुआ मोइत्रा ने अपने आक्रामक लहजे के कारण फायरब्रैंड नेता की छवि बनाई थी। रविवार को भाजपा सदस्य निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर सीधा आरोप लगाया कि महुआ ने अब तक सदन में 61 सवाल पूछे हैं, जिसमें से 50 उक्त उद्योगपति के कारोबार से जुड़ा रहा है।

दिल्ली के अधिवक्ता ने की पूरी पड़ताल
निशिकांत ने लोकसभा अध्यक्ष को बताया कि दिल्ली के एक अधिवक्ता जय अनंत देहाद्रई ने पूरी पड़ताल की है, लोकसभा में महुआ की ओर से पूछे गए सवालों की लिंक अटैच की है और साथ ही यह भी बताया है कि पूछे गए सवाल किस तरह एक ही उद्योगपति के संबंधित थे।

रोचक पहलू यह भी है कि कुछ सवालों को अदाणी समूह से जोड़ा जाता था, जिसके खिलाफ महुआ के उद्योगपति मित्र हीरानंदानी की कंपनी संघर्ष कर रही होती थी। निशिकांत ने पूरी जांच कमेटी बिठाने और कार्रवाई करने की मांग करते हुए कहा कि फायरब्रांड छवि तैयार करने वाली सच्चाई में पैसे लेकर सवाल पूछने वाली निकलीं। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ संसद की अवमानना और विशेषाधिकार हनन है बल्कि दंड संहिता के 120 ए के तहत अपराध भी है।

हीरानंदानी को फायदा पहुंचाते थे मोइत्रा के सवाल
अधिवक्ता अनंत ने 38 पेज की विस्तृत जानकारी दी है और उसमें यह बताया है कि महुआ के सवाल किस तरह हीरानंदानी को फायदा पहुंचाते थे। यानी सवाल हीरानंदानी के होते थे और संसद में मंत्री से वह सवाल महुआ पूछती थीं और परोक्ष रूप से सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करती थी।

मई 2019 में लोकसभा पहुंचीं महुआ
महुआ मोइत्रा मई 2019 में चुनकर लोकसभा पहुंची। आठ अगस्त 2019 को उन्होंने पेट्रोलियम मंत्रालय से पारादीप पोर्ट ट्रस्ट से जुड़ा सवाल पूछा। अनंत के अनुसार, पारादीप के साथ 2018 में हीरानंदानी को समझौता हुआ था। 18 नवंबर को महुआ ने फिर से पेट्रोलियम से जुड़ा सवाल पूछा और अदाणी को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। निशिकांत ने बताया कि पूछे गए 61 में से 50 सवाल हीरानंदानी के लिए थे।

2005 में ऐसा ही मामला आया था सामने
गौरतलब है कि 2005 में जब ऐसा ही एक मामला स्टिंग के जरिए सामने आया था तो तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष ने पवन बंसल की अध्यक्षता में जांच कराई थी। महज 23 दिन के अंदर रिपोर्ट आई थी और एकमत से सदन से इसकी इसकी आलोचना करते हुए सदस्यता खारिज कर दी गई थी। महुआ पर भी इसका खतरा आसन्न है। यूं तो अलग अलग कारणों से कई सदस्यों पर गिरी गाज को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है, लेकिन महुआ के साथ खड़ा होना किसी भी राजनीतिक दल के लिए मुश्किल होगा।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button