निठारी कांड : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी सुरेंद्र कोली और मनिंदर पंढेर बरी को निर्दोष करार दिया
इलाहाबाद
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के चर्चित निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली को दोषमुक्त कर दिया है। कई दिनों तक चली बहस के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। सोमवार को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को दोषमुक्त कर दिया। निचली अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोठी D 5 के मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर को भी कोर्ट ने बरी कर दिया है। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की अदालत ने यह फैसला सुनाया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निठारी कांड के आरोपी मनिंदर सिंह पंढेर व सुरिंदर कोली को फांसी की सजा के खिलाफ अपीलों पर दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था। फांसी की सजा के खिलाफ दोनों हाईकोर्ट में अपील दायर की है। विभिन्न खंडपीठों ने 134 दिन की लंबी सुनवाई की। कोली पर आरोप है कि वह पंढेर कोठी का केयरटेकर था और लड़कियों को लालच देकर कोठी में लाता था। निठारी गांव की दर्जनों लड़कियों गायब हो गई। वह उनसे दुष्कर्म कर हत्या कर देता था। लाश के टुकड़े कर बाहर फेंक आता था।
2006 में हुआ था निठारी कांड
बहुचर्चित निठारी हत्याकांड साल 2005 और 2006 के बीच हुआ था. पूरा मामला लोगों के सामने उस सामने आया जब दिसंबर 2006 में नोएडा के निठारी स्थित मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पास नाले में कंकाल मिले. इसके बाद सीबीआई ने इस मामले में कुल 16 मामले दर्ज किए. उनमें से सभी में मोनिंदर के नौकर कोली पर हत्या, अपहरण और दुष्कर्म के अलावा सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया गया और एक मामले में पंढेर पर अनैतिक तस्करी का आरोप लगाया गया.
2010 में दाखिल की गई थी पहली याचिका
इस मामले में हाईकोर्ट में 134 कार्य दिवसों में अपील पर सुनवाई हुई थी. सुरेंद्र कोली की मौजूदा बारह में से पहली याचिका साल 2010 में दाखिल की गई थी. हालांकि इन याचिकाओं के अलावा भी हाईकोर्ट कोली की कुछ अर्जियों को निस्तारित कर चुका है. एक मामले में फांसी की सजा को बरकरार रखा गया है, जबकि एक अन्य मामले में देरी के आधार पर उसे उम्र कैद में तब्दील किया जा चुका है.
आरोपियों ने दलील में क्या कहा
आरोपियों की तरफ से कोर्ट में दलील दी गई है कि इस घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है. इस पूरे मामले में सिर्फ वैज्ञानिक व परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर उन्हें दोषी ठहराया गया है और फांसी की सजा दी गई है. इसी के चलते आरोपियों की ओर से फांसी की सजा को रद्द किए जाने की अपील की गई है. वहीं मनिंदर सिंह पंढेर एक मामले में हाईकोर्ट से बरी हो चुका है.