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भूकंप लोगों को नहीं मारता, आधी रात में होता है विनाश; सीस्मोलॉजी प्रमुख ने चेताया

नई दिल्ली काठमांडू.

नेपाल में आए 6.4 तीव्रता के भीषण भूकंप से 132 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए। ये पहली बार नहीं है जब नेपाल में इस तरह का भीषण भूकंप आया है। पिछले ही महीने कम से कम तीन बार भूकंप से घरती हिली थी। नेपाल में भूकंप से होने वाली मौतों ने सभी को हैरान कर दिया है। इसको लेकर नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) के निदेशक डॉ. ओपी मिश्रा ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में घटना की गंभीरता के लिए दो महत्वपूर्ण कारक जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा- समय और संरचनाएं (बिल्डिंग) प्रमुख हैं।

एनसीएस निदेशक ओपी मिश्रा ने एएनआई से बात करते हुए यह भी कहा कि लोगों की मौत भूकंप से नहीं, बल्कि उस इलाके में बनी संरचनाओं से होती है। उन्होंने कहा, "नेपाल में भूकंप की बहुत अधिक थी, लेकिन जब यह दिल्ली में आई तो यह कम हो गई। यहां ये जानना महत्वपूर्ण है कि भूकंप लोगों को नहीं मारता है, बल्कि स्ट्रक्चर है जो लोगों को मारता है।" उन्होंने कहा, "भूकंप की सबसे विनाशकारी घटना आधी रात होती है। नेपाल में इस भूकंप की गंभीरता समय के साथ-साथ संरचनाओं की संवेदनशीलता के कारण है।" उन्होंने कहा कि नेपाल में भूकंप आधी रात को आया। इसके अलावा, वहां बना हुआ स्ट्रक्चर भी काफी संवेदनशील है जिस वजह से इतनी मौतें हुई हैं।

ओपी मिश्रा ने आगे बताया कि हिमालय या नदियों के आसपास रहने वाले लोगों को सतर्क रहना चाहिए और उन्हें भूकंप प्रतिरोधी मकान बनाने चाहिए। ओपी मिश्रा ने बताया, "हमें सावधान रहना होगा कि भूकंप के कारण हमारी संरचनाएं क्षतिग्रस्त न हों, खासकर अगर हम हिमालय के आसपास या नदियों के आसपास रहते हैं तो ज्यादा ध्यान दें। इसलिए हमारे पास भूकंप प्रतिरोधी संरचनाएं होनी चाहिए।" 6.4 तीव्रता के भूकंप के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' प्रभावित लोगों से मिलने जाजरकोट पहुंचे हैं। अधिकारियों को नेपालगंज हवाई अड्डे के हेलीपैड और सैन्य बैरक के पास एम्बुलेंस तैनात करने के लिए कहा गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह नेपाल में भूकंप के कारण हुई जानमाल की हानि और क्षति से "दुखी" हैं। पीएम मोदी ने नेपाल को समर्थन की पेशकश की और हर संभव सहायता देने की भारत की इच्छा व्यक्त की। नेपाल में अकसर भूकंप आता रहता है। दरअसल नेपाल उस पर्वत श्रृंखला पर स्थित है जहां तिब्बती और भारतीय टेक्टोनिक प्लेट मिलती हैं और ये हर सदी एक-दूसरे के तकरीबन दो मीटर पास खिसकती हैं जिसके परिणामस्वरूप दबाव उत्पन्न होता है और भूकंप आते हैं। इससे पहले नेपाल के सुदूर पश्चिम प्रांत में 16 अक्टूबर को 4.8 तीव्रता का भूकंप आया था। नेपाल में 2015 में 7.8 तीव्रता के भूकंप और उसके बाद आए झटकों के कारण लगभग 9,000 लोगों की मौत हो गई थी।

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

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