महुआ मोइत्रा मामले में महुआ मोइत्रा को मिला TMC आलाकमान का समर्थन, लेकिन अभी भी चुप हैं ममता बनर्जी
कोलकाता
महुआ मोइत्रा मामले में तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी की गहरी चुप्पी के बीच, उनके भतीजे और पार्टी के महासचिव पार्टी सांसद महुआ के समर्थन में आए हैं। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा पर "रिश्वत लेकर प्रश्न पूछने" के आरोप लगे हैं। अभिषेक बनर्जी ने कहा कि कृष्णानगर की सांसद महुआ मोइत्रा "राजनीति का शिकार" हैं। उन्होंने यह भी कहा कि फायरब्रांड नेता "अपनी लड़ाई खुद लड़ने में सक्षम हैं"।
भाजपा पर तृणमूल नेताओं को निशाना बनाने का आरोप लगाते हुए, बनर्जी ने कहा, "मुझे लगता है कि यह केंद्र सरकार का कदम है। मैंने एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट के बारे में पढ़ा है, उन्होंने कहा है कि उनके (महुआ के) खिलाफ जांच होनी चाहिए। अगर आपके पास महुआ के खिलाफ कुछ नहीं है और यह जांच का विषय है। ऐसे में फिर निष्कासन की अनुशंसा क्यों की गयी है। मुझे लगता है कि महुआ अपनी लड़ाई खुद लड़ने में सक्षम है। वे चार साल से मुझे भी प्रताड़ित कर रहे हैं, यह उनका मानक अभ्यास है।"
इस समय तृणमूल में नंबर 2 माने जाने वाले बनर्जी की महुआ मामले में ये पहली टिप्पणी है। महुआ मोइत्रा के खिलाफ आरोपों पर टिप्पणी करने में तृणमूल कांग्रेस सावधानी बरत रही है। ऐसे में अभिषेक का उनके समर्थन में बोलना महत्वपूर्ण है। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी ने बार-बार सत्तारूढ़ भाजपा पर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों और अन्य संस्थानों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। हालांकि ममता बनर्जी इस मामले में स्पष्ट रूप से चुप रहीं।
ममता बनर्जी ने पिछले महीने में कई बार मीडिया को संबोधित किया है। लेकिन उन्होंने मोइत्रा के खिलाफ आरोपों के बारे में कुछ भी नहीं बोला है। इससे पहले पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने मीडिया से कहा कि पार्टी को ''इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहना है।'' उन्होंने कहा, "हमें लगता है कि जिस व्यक्ति के इर्द-गिर्द यह विवाद घूम रहा है, वही इस पर प्रतिक्रिया देने के लिए सबसे उपयुक्त है।" राज्यसभा में तृणमूल के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने पिछले महीने कहा था कि मामले की जांच कर रहे संसदीय पैनल द्वारा अपनी जांच पूरी करने के बाद तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व इस मामले में उचित निर्णय लेगा।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ लगे "रिश्वत लेकर प्रश्न पूछने" संबंधी आरोपों की जांच कर रही लोकसभा की आचार समिति राष्ट्रीय सुरक्षा पर "अनैतिक आचरण" का असर पड़ने के आधार पर उन्हें संसद के निचले सदन से निष्कासित करने की सिफारिश कर सकती है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति अपनी मसौदा रिपोर्ट को स्वीकारने के लिए बृहस्पतिवार शाम बैठक कर रही है। बैठक में विपक्षी सदस्यों द्वारा रिपोर्ट की सिफारिशों का पुरजोर विरोध किए जाने की संभावना है।
यह जानकारी मिली है कि मसौदा रिपोर्ट में मोइत्रा के आचरण की निंदा की गई है और इसे "अत्यधिक आपत्तिजनक, अनैतिक, जघन्य और आपराधिक" बताया गया है। साथ ही सरकार से मामले में समयबद्ध कानूनी और संस्थागत जांच का भी आह्वान किया गया है। मसौदा रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को मोइत्रा और व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के बीच धन के कथित लेन-देन की जांच करनी चाहिए। समिति ने यह भी कहा है कि सबसे मुखर विपक्षी सदस्यों में से एक, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद दानिश अली को दो नवंबर को आखिरी बैठक के दौरान मोइत्रा से सोनकर द्वारा पूछे गए सवालों के बारे में 'तोड़-मरोड़कर बात रखने" के लिए फटकार लगाई जानी चाहिए।