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महिलाएं बचा रहीं पुरुषों की जान, अंगदान करने में मामले में सबसे आगे

नईदिल्ली

आपने कई बार खबरों में सुना होगा कि बेटी ने अपनी किडनी डोनेट कर बचाई पिता की जिंदगी, ऐसी खबरें भले ही चुनिंदा होंगी, लेकिन इसकी तस्वीर काफी बड़ी है. जब साल 1995 से लेकर 2021 के बीच ऑर्गन डोनेशन के आंकड़े जुटाए गए तो पता चला कि लिविंग डोनर्स में लड़कियों की तादाद लड़कों से ज्यादा है. इस आंकड़े के मुताबिक 5 में से 4 लिविंग डोनर्स फीमेल हैं, हलांकि ऑर्गन रिसीव करने वालों का आंकड़ा इसके ठीक उलट है. इस टाइम पीरियड के दौरान 36,640 ऑर्गन ट्रांस्प्लांट हुए जिसमें 29,000 पुरुष ने ऑर्गन रिसीव किए और 6,945 महिलाओं ने ऐसा किया.

लिविंग डोनर्स में महिलाएं क्यों हैं ज्यादा?

आमतौर पर माना जाता है कि महिलाएं भावनात्मक रूप से अपने परिवार से ज्यादा जुड़ी होती हैं, इसलिए वो ऑर्गन डोनेशन से नहीं हिचकतीं, लेकिन कई सोशल एक्सपर्ट मानते हैं कि फीमेल को सोसाइटी और फैमिली का प्रेशर ज्यादा होता है, और ज्यादातर पुरुषों की फाइनेंशियल रिस्पॉन्सिबिलिटी अधिक होती है इसलिए वो ऑर्गन अधिक रिसीव करते हैं और डोनेट कम करते हैं, क्योंकि वो जिंदगी के खतरे को देखते हुए सर्जरी से नहीं गुजरना चाहते. हालांकि कैडेवर डोनर्स (Cadaver Donors) यानी मृत डोनर्स में पुरुषों की संख्या महिलाओं से ज्यादा है.

ऑर्गन डोनेशन में बड़ा जेंडर डिफरेंस
एनओटीटीओ के डायरेक्टर डॉ. अनिल कुमार ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि अधिक पुरुष मृत डोनर्स हैं, लेकिन अधिक महिलाएं लिविंग डोनर्स हैं. उन्होंने कहा, 'देश में कुल अंग दान में से 93% लिविंग डोनर्स थे. ये अपने आप में एक स्टेटमेंट है कि देश में कई ऑर्गन डोनर्स महिलाएं हैं.'

साल 2021 में एक्सपेरिमेंटल एंड क्लिनिकल ट्रांसप्लांटेशन जर्नल (Experimental and Clinical Transplantation Journal) में छपे एक पेपर में लिविंग ऑर्गन ट्रांस्प्लांटेशन के मामले में देश में काफी ज्यादा जेंडर डिफरेंस पाया गया. इस डेटा ने 2019 में अंग प्रत्यारोपण का विश्लेषण किया और पाया कि 80% जीवित अंग दाता महिलाएं हैं, खास तौर से वाइफ या मां जबकि 80% ऑर्गन रिसीवर पुरुष हैं.

ऑर्गन ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर ने कही ये बात
पुणे में डीवाई पाटिल मेडिकल कॉलेज, हॉस्पिटल और रिसर्च सेंट की ऑर्गन ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर मयूरी बार्वे ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा कि वो पिछले 15 सालों से इस फील्ड में काम कर रही हैं, सिर्फ एक बार एक पति अपनी पत्नी को अपना अंग दान करने के लिए आगे आया था. . उन्होंने कहा, आमतौर पर पत्नियां, माताएं और यहां तक कि पिता भी दान करते हैं.

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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