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रूस करने जा रहे दुनिया की सबसे बड़ी मिसाइल सतान-2 का टेस्‍ट, रूसी ‘ब्रह्मास्‍त्र’ देख सहमे नाटो देश

मास्‍को

यूक्रेन को लेकर नाटो के साथ चल रहे तनाव के बीच रूस दक्षिणी ध्रुव से दुनिया की सबसे बड़ी मिसाइल सतान-2 का परीक्षण करने जा रहा है। इस परीक्षण के साथ ही यह किलर हाइपरसोनिक परमाणु मिसाइल 'युद्धक ड्यूटी' के लिए तैयार हो जाएगी। यह मिसाइल तूफानी रफ्तार से आगे बढ़ती है और अमेरिका तक मार करने की क्षमता रखती है। यह मिसाइल 14 मंज‍िला ऊंची है और इसका वजन 208 टन है। इस मिसाइल को RS-28 सरमत के नाम से भी जाना जाता है। पुतिन की सेना की पहली रेजिमेंट अगले महीने से इसे युद्धक ड्यूटी पर तैनात कर सकती है। वहीं कई विशेषज्ञ इसकी क्षमता को लेकर सवाल उठा रहे हैं। इस बीच अमेरिका ने अपने जासूसी विमान को इस मिसाइल के परीक्षण की निगरानी के लिए तैनात किया है।

रूस की सरकारी न्‍यूज एजेंसी तास की रिपोर्ट के मुताबिक इस परीक्षण के बाद भी अभी और ज्‍यादा सफल परीक्षण की जरूरत होगी। इसके लिए कई और लॉन्‍च की जरूरत होगी जिसमें दक्षिणी ध्रुव से परीक्षण शामिल है। दक्षिणी ध्रुव से परीक्षण की बात को हड़बड़ी में हटा लिया गया लेकिन यह अभी उसके पुराने संस्‍करण में मौजूद है। रूस अगर दक्षिणी ध्रुव से इस परमाणु बम को ले जाने वाली मिसाइल का परीक्षण करता है तो पश्चिमी देशों में गंभीर खतरे की घंटी बज सकती है। द‍रअसल, रूस ने इस मिसाइल का डिजाइन इस तरह से कराया है कि इससे नाटो देशों के खिलाफ जोरदार परमाणु हमला किया जा सकता है।

 

पश्चिमी देशों का काल है पुतिन की मिसाइल

हालांकि द सन की रिपोर्ट के मुताबिक रूस के अंदर इसका केवल एक ही सफल परीक्षण किया गया है। वहीं एक रक्षा सूत्र ने रूसी एजेंसी तास को बताया कि पहली सरमत रेजिमेंट के अंदर एक कमांड पोस्‍ट और कई साइलो लॉन्‍चर होंगे। यह रेजिमेंट रणनीतिक मिसाइल फोर्स उझूर मिसाइल का हिस्‍सा होगी। इस रेजिमेंट को साइबेरिया में तैनात किया गया है। रूस की इस मिसाइल को पांचवीं पीढ़ी का माना जाता है लेकिन यह तय कार्यक्रम से पीछे चल रही है। इसका परीक्षण अभी तक पूरा नहीं हुआ है।

व्‍लादिमीर पुतिन के लिए यह बड़ा झटका माना जा रहा है। इस मिसाइल का एकमात्र सफल परीक्षण अप्रैल 2022 में किया गया था। हाल के दिनों में रूस के कई मिसाइलों के परीक्षण फेल साबित हुए हैं। इसमें यार्स और बुलावा मिसाइलें शामिल हैं। तास ने बताया कि इस सरमत मिसाइल का परीक्षण कामचाटका इलाके में किया जा रहा है लेकिन एक न एक दिन पुतिन को इस मिसाइल का परीक्षण दक्षिणी ध्रुव से करना ही होगा। इस मिसाइल को दक्षिण या उत्‍तरी ध्रुव के जरिए पश्चिमी देशों पर हमला करने को तैयार किया गया है। इससे पहले पुतिन ने दावा किया था कि यह मिसाइल बनकर तैयार हो गई है। उनके दावे के विपरीत अभी यह एक साल पीछे चल रही है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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