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राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

भारत जा रहे जहाज पर लाल सागर में हूथियों के कब्जे की खबरों से संरा महासचिव बहुत चिंतित

भारत जा रहे जहाज पर लाल सागर में हूथियों के कब्जे की खबरों से संरा महासचिव बहुत चिंतित

संयुक्त राष्ट्र
 संयुक्त राष्ट्र महासचिव लाल सागर में हूथियों द्वारा एक जहाज पर कब्जा करने की खबरों पर ‘गहन चिंता’ के साथ नजर रख रहे हैं। खबरों के अनुसार, यह जहाज तुर्किये और भारत के मध्य मार्ग में कहीं था। एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी।

जहाज की संचालक कंपनी एनवाईके लाइन ने कहा कि ब्रिटिश स्वामित्व वाले और जापान द्वारा संचालित जहाज ‘गैलेक्सी लीडर’ को यमन में होदीदा के पास उस समय रोक लिया गया था, जब यह भारत के रास्ते में था।

इस पोत में चालक दल के 25 सदस्य भी सवार थे जिन्हें यमन के हूथी विद्रोहियों ने बंधक बना लिया था।

एनवाईके ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि उसने ‘‘इस घटना की जानकारी जुटाने और प्रबंधन करने के लिए अपने मुख्यालय में एक संकट प्रबंधन केंद्र बनाया है।’’ उसने कहा, ‘‘हम चालक दल के 25 सदस्यों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं।’’

गाजा के एक अन्य अस्पताल के पास इजराइली सैनिकों का हमास के खिलाफ अभियान जारी

दीर अल बलाह
 इजराइली सेना ने उत्तरी गाजा के एक अन्य अस्पताल के पास चरमपंथी संगठन हमास के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है। अस्पताल के भीतर हजारों की संख्या में मरीज, विस्थापित और शरणार्थी मौजूद हैं।

स्वास्थ्य अधिकारियों ने कुछ घायलों को अस्पताल से बाहर निकाला।

अस्पताल के भीतर फंसे एक चिकित्सा कर्मचारी और गाजा में हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इंडोनेशियाई अस्पताल की दूसरी मंजिल पर एक गोला गिरा, जिससे 12 लोगों की मौत हो गई। दोनों ने इजराइल को हमले का दोषी ठहराया।

इजराइल ने अस्पताल पर गोलीबारी से इनकार करते हुए कहा कि उनके सैनिक केवल चरमपंथियों और उनके ठिकानों को निशाना बना रहे है।

इंडोनेशियाई अस्पताल पर उस वक्त हमला हुआ, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा गाजा शहर के शिफा अस्पताल से निकाले गए 28 नवजातों को सोमवार को मिस्र ले जाया गया। सभी नवजात शिशुओं का जन्म समय से पूर्व हुआ है।

रेड क्रीसेंट ने कहा कि तीन अन्य को दक्षिणी गाजा के रफ़ाह में संयुक्त अरब अमीरात द्वारा संचालित अस्पताल भेजा गया। कुछ दिनों पहले अस्पताल परिसर में इजराइली सुरक्षा बलों के हमले के बाद वहां 250 से अधिक गंभीर मरीज व अन्य लोग फंसे हुए थे।

इजराइल का आरोप है कि हमास नागरिकों को मानव ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहा है और वह गाजा के शिफा अस्पताल के भीतर प्रमुख कमांड हब का संचालन कर रहा है। हालांकि, अस्पताल के अधिकारियों और हमास ने इजराइल के दावों को खारिज कर दिया।

आलोचकों का मानना है कि इजराइल की घेराबंदी और लगातार हमला क्षेत्र के 23 लाख फलस्तीनी नागरिकों के लिए एक सामूहिक सजा है।

यूक्रेन छोड़कर इजराइल आये शरणार्थी फिर से युद्ध के माहौल में जी रहे

अश्कलोन
यूक्रेन में रूस के हमले होने के बाद अपना देश छोड़ कर इजराइल में शरण लेने वाले यूक्रेनी नागरिक एक बार फिर युद्ध के माहौल में जीने को मजबूर है। उन्हें वही सब दोबारा झेलना पड़ रहा है जो वह अपने देश में पीछे छोड़कर आये थे।

केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो और सहायता समूहों के अनुसार, फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद से 45,000 से अधिक यूक्रेनी नागरिकों ने इजराइल में शरण ली।

रूस द्वारा मारियुपोल शहर में मचाई गई तबाही के बाद, करीब डेढ़ वर्ष पहले यूक्रेन से इजराइल आईं तात्याना प्राइमा ने सोचा था कि उन्होंने अपने जीवन में बम धमाकों की आवाजों को पीछे छोड़ दिया है, लेकिन एक बार फिर उन्हें वैसे ही माहौल में रहना पड़ रहा है।

वह अपने घायल पति और छोटी बेटी के साथ यूक्रेन से सुरक्षित निकलने में कामयाब रहीं और परिवार के साथ दक्षिणी इजराइल में उन्होंने शरण ले ली। उन्हें लगा कि धीरे-धीरे उनके जीवन में शांति आ रही है, लेकिन सात अक्टूबर को हमास के चरमपंथी समूह द्वारा इजराइल पर हमला करने के साथ ही यह शांति फिर से समाप्त हो गई।

उन्होंने कहा, ‘‘बम धमाकों की ये आवाजें उन जख्मों को हरा कर देती हैं जो कि मारियुपोल में रूसी हमले के दौरान मिले।’’

मारियुपोल रूसी हमलों से यूक्रेन के सबसे ज्यादा प्रभावित शहरों में से एक रहा है, जहां लोग कई हफ्तों तक बमबारी के बीच, भोजन, पानी के लिए भटकते रहे। दूरसंचार की सुविधा नहीं होने से यह लोग पूरी दुनिया से कट गये।

प्राइमा ने कहा कि युद्ध के शुरुआती हफ्तों के दौरान उन्होंने घर के बाहर खाना पकाया, पीने के पानी के लिए बर्फ का इस्तेमाल किया और शहर के बाहरी इलाके में अपने रिश्तेदारों के साथ आश्रय लिया।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन गोलाबारी तेज हो गई और आसपास रॉकेट गिर रहे थे, जब मेरे पति घायल हो गये तो हमने यहां से जाने का फैसला किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वह दिन हमारे के लिए नरक में जाने जैसा था।’’

चूंकि अब इजराइल में भी युद्ध का माहौल है तो प्राइमा की तरह ही, अधिकतर लोगों ने इससे निपटने के तरीके खोजने शुरू कर दिये है। कुछ ने इजराइल छोड़ दिया है, लेकिन कई लोगों ने दोबारा युद्ध से भागने से इनकार कर दिया है। लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगाये जाने से ज्यादातर लोग व्यक्तिगत सहायता से भी वंचित हो गये हैं।

संघर्ष क्षेत्रों में अनुभव रखने वाले मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. कोएन सेवनेंट्स ने कहा, ‘‘ये लोग जबरदस्त निराशा का सामना कर रहे हैं।’’

सेवनेंट्स और अन्य विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि जो लोग किसी दर्दनाक घटना से पूरी तरह उबर नहीं पाते और उन्हें फिर से ऐसे ही दौर से गुजरना पड़ता है तो ऐसे में उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है और उनमें अवसाद का खतरा पैदा हो जाता है।

‘द केशर फाउंडेशन’ के रब्बी ओल्या वेन्स्टीन ने कहा, ‘‘संगठन ऐसे शरणार्थियों को वित्तीय सहायता और भोजन उपलब्ध करा रहा है जो अपना घर छोड़ने कर सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। यह संगठन यूक्रेन से आये छह हजार शरणार्थियों की मदद कर रहा है।

वेनस्टीन ने कहा, ‘‘हर किसी के लिए मदद उपलब्ध कराना बेहद कठिन है, लोग पूछ रहे हैं कि अब क्या होगा…इजराइल के साथ क्या होने वाला है, क्या हम हमेशा यहीं रहेंगे, क्या हम जीवित बच पाएंगे, हमारे बच्चों का क्या होगा?’’

उन्होंने कहा ‘‘हमारे पास कोई जवाब नहीं है।’’

गाजा के एक अन्य अस्पताल के पास इजराइली सैनिकों का हमास के खिलाफ अभियान जारी

दीर अल बलाह
इजराइली सेना ने उत्तरी गाजा के एक अन्य अस्पताल के पास चरमपंथी संगठन हमास के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है। अस्पताल के भीतर हजारों की संख्या में मरीज, विस्थापित और शरणार्थी मौजूद हैं।

स्वास्थ्य अधिकारियों ने कुछ घायलों को अस्पताल से बाहर निकाला।

अस्पताल के भीतर फंसे एक चिकित्सा कर्मचारी और गाजा में हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इंडोनेशियाई अस्पताल की दूसरी मंजिल पर एक गोला गिरा, जिससे 12 लोगों की मौत हो गई। दोनों ने इजराइल को हमले का दोषी ठहराया।

इजराइल ने अस्पताल पर गोलीबारी से इनकार करते हुए कहा कि उनके सैनिक केवल चरमपंथियों और उनके ठिकानों को निशाना बना रहे है।

इंडोनेशियाई अस्पताल पर उस वक्त हमला हुआ, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा गाजा शहर के शिफा अस्पताल से निकाले गए 28 नवजातों को सोमवार को मिस्र ले जाया गया। सभी नवजात शिशुओं का जन्म समय से पूर्व हुआ है।

रेड क्रीसेंट ने कहा कि तीन अन्य को दक्षिणी गाजा के रफ़ाह में संयुक्त अरब अमीरात द्वारा संचालित अस्पताल भेजा गया। कुछ दिनों पहले अस्पताल परिसर में इजराइली सुरक्षा बलों के हमले के बाद वहां 250 से अधिक गंभीर मरीज व अन्य लोग फंसे हुए थे।

इजराइल का आरोप है कि हमास नागरिकों को मानव ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहा है और वह गाजा के शिफा अस्पताल के भीतर प्रमुख कमांड हब का संचालन कर रहा है। हालांकि, अस्पताल के अधिकारियों और हमास ने इजराइल के दावों को खारिज कर दिया।

आलोचकों का मानना है कि इजराइल की घेराबंदी और लगातार हमला क्षेत्र के 23 लाख फलस्तीनी नागरिकों के लिए एक सामूहिक सजा है।

 

 

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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