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श्रीलंका के लोगों को लुभा रहा चीन, चर्च-मंदिरों में बंटवा रहा राशन

श्रीलंका  
श्रीलंका में भारत और अमेरिका द्वारा बुनियादी ढांचे, विकास में बढ़ते निवेश और लोगों का झुकाव देख चीन ने पैंतरा बदल लिया है। श्रीलंका में जनमानस बदलने के लिए बड़े लागत वाले प्रोजेक्ट में निवेश करने के साथ ही वह धर्मस्थलों और स्कूलों के सहारे गरीबों के दिल और दिमाग पर चोट करने में जुट गया है। दरअसल, पिछले कुछ हफ्तों में धर्मार्थ संस्था चाइना फाउंडेशन फॉर रूरल डेवलपमेंट (सीएफआरडी) के स्माइलिंग चिल्ड्रेन फूड पैकेज प्रोजेक्ट ने 142 स्कूलों में 10,000 श्रीलंकाई छात्रों को सूखा राशन वितरित किया।

स्था के ऐसे प्रोजेक्ट इथियोपिया, सूडान, नेपाल और म्यांमार में चल रहे हैं। 5 से 7 नवंबर तक चीनी राजदूत क्यूई जेनहोंग ने 'फैक्सियन (फा हिएन) चैरिटी प्रोजेक्ट' के तहत जाफना, वावुनिया,  मुल्लातिवु किलिनोच्ची और मन्नार में लोगों को सूखे राशन की 50,000 किट बंटवाए। इनकी कीमत महज 9.55 करोड़ श्रीलंकाई रुपए थी। राशन किट बांटने के लिए चीन के अधिकारियों ने जिला सचिवालयों, मंदिरों, मठों और चर्चों का सहारा लिया। लुंड यूनिवर्सिटी की पीएचडी छात्रा तबिता रोसेंडेल एब्बसेन ने कहा कि अमेरिका और भारतीय निवेश से होड़ करने के बजाय चीन ने लोगों के दिल और दिमाग में जगह बनाने की चाल चली है। वह ऐसे लोगों को सीधा फायदा दे रहा है, जो जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

भारत का 33 हजार करोड़ का निवेश, पर लोगों से सीधे नहीं जुड़ा
2022 में, भारत ने श्रीलंका को ईंधन से लेकर दवा तक 4 अरब डॉलर (करीब 33,300 करोड़ रुपए) की मदद दी है। यह बड़ी मदद थी, पर सड़क पर रहने वाले औसत लोग वास्तव में इस पैसे से होने वाले लाभों को महसूस नहीं कर सके। कुछ हफ्ते पहले, अमेरिका इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएफसी) वेस्ट कंटेनर टर्मिनल को विकसित करने के लिए करीब 4600 करोड़ रुपए की फंडिंग प्रदान करने पर सहमत हुआ था। ये भारत के बाद इस क्षेत्र में दूसरा सबसे बड़ा निवेश है। इसी दौरान चीनी निवेश ने भी जाल फैलाया है।

उसने कोलंबो बंदरगाह पर 3250 करोड़ रुपए के दक्षिण एशिया वाणिज्यिक और लॉजिस्टिक्स हब बनाने के लिए करार किया था। पोर्ट्स अथॉरिटी (एसएलपीए) और निजी क्षेत्र की फर्म एक्सेस इंजीनियरिंग प्रत्येक के पास परियोजना में 15% हिस्सेदारी है। लॉजिस्टिक हब एक आठ मंजिला, 50 लाख वर्ग फुट की सुविधा है जिसकी भंडारण क्षमता 5,30,000 क्यूबिक मीटर (सीबीएम) है। शनिवार को ही श्रीलंका ने चीन की तेल रिफाइनरी के लिए सिनोपैक से 37 हजार करोड़ का करार किया है।

चीन के राशन की लागत महज 17 करोड़, लोगों को तुरंत मदद
कोलंबो के स्वतंत्र विदेश नीति थिंक टैंक फैक्टम की उदिता देवप्रिया ने कहा, 'हम जानते हैं कि चीनियों ने इन दान पर 20 लाख डॉलर (करीब 17 करोड़ रुपए) से भी कम खर्च किए हैं। लेकिन ऐसे वक्त में जब श्रीलंकाई भुखमरी के दौर से गुजर रहे हैं। बच्चों को जब सूखा राशन मिलता है तो उनके मां-बाप का चीन का आभारी होना स्वभाविक है। वैसे भी निचले पायदान के श्रीलंकाइयों के बीच बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और हाई प्रोफाइल कर्ज के कोई मायने नहीं हैं। उनके लिए वर्तमान हालात में मदद अहम है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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