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मतगणना से पहले दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों की नोटा ने उड़ा दी नींद

भोपाल

वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में भले ही प्रदेश में रिकार्डतोड़ मतदान हुआ हो। रिकार्डतोड़ मतदान को लेकर भाजपा और कांग्रेस जहां अपनी- अपनी जीत का दावा कर रही है, लेकिन मतगणना से पहले दोनों पार्टियों के  उम्मीदवारों की नींद नोटा ने उड़ा दी हैं। भाजपा के नौ मंत्री ऐसे है जिनके क्षेत्र में वर्ष 2018 के मुकाबले कम मतदान हुआ है। 

वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में नोटा को भले ही .5 फीसदी कम मत मिला हो। लेकिन वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में दस उम्मीदवारों के हार- जीत के मत के अंतर से कहीं ज्यादा नोटा को मत मिला था। इस विधानसभा चुनाव में नोटा ने अगर भाजपा की गणित नहीं बिगाड़ी होती तो प्रदेश में चौथी बार भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलता। नोटा के करंट के चलते बीजेपी के चार गददावर मंत्री चुनाव हार गए थे। पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो भाजपा और कांग्रेस में वोट फीसदी का अंतर 0.1फीसदी था।

भाजपा को कांग्रेस की अपेक्षा 0.1 फीसदी ज्यादा वोट मिले थे। जबकि नोटा को 1.4 फीसदी मत मिला था। अगर नोटा के मतों को अगर संख्या में देखा जाए तो 5 लाख चार हजार वोट मिले थे। मध्यप्रदेश में पहली बार वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में मतदाताओं को पहली बार नोटा के प्रयोग का संवैधानिक अधिकार मिला था। राजनीतिक पार्टियों से नाराज मतदाताओं ने नोटा के प्रति विश्वास दिखाते हुए विधानसभा चुनाव में नोटा को करीब 6 लाख 52 हजार 46 वोट मिले थे यानि कुल मतदान में फीसदी में 1.9 फीसदी नोटा को वोट मिला था। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी सीटों के अलावा जबलपुर विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं ने सबसे ज्यादा नोटा पर विश्वास जताया था। जबलपुर के पश्चिम विधानसभा सीट की अगर बात करें तो बीजेपी के उम्मीदवार को 61,745 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार को 62,668 वोट मिले थे। जीत हार का अंतर जहां 923 मतों का था। जबकि नोटा को 3693 मत मिले थे। कमोवेश यही स्थिति जबलपुर के पूर्व विधानसभा सीट की भी थी।

दिग्गजों का गणित बिगाड़ चुका है नोटा
मतदान फीसदी घटने को लेकर इन उम्मीदवारों की जहां नींद उड़ी हुई है तो वहीं नोटा के चलते भी यह उम्मीदवार इन दिनों चिंतन-मंथन करने में लगे हुए है।  वर्ष 2013 और वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा और कांग्रेस के एक दर्जन से ज्यादा दिग्गजों की नींद उड़ी हुई है। क्योंकि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में दमोह में पूर्व वित्तमंत्री जयंत मलैया 798 मतों से चुनाव हारे थे।  जबकि नोटा को 3734 मत मिले थे। वहीं जबलपुर उत्तर से पूर्व मंत्री शरद जैन 578 वोटों से चुनाव हारे थे। जबकि नोटा को 1209 मत मिले थे। नेपानगर विधानसभा में बीजेपी के उम्मीदवार को जीत के लिए 732 मतों की दरकार थी। लेकिन 2551 मतदाताआें ने नोटा का विकल्प चुना। राजनगर विधानसभा क्षेत्र से राजपरिवार घराने के विक्रमसिंह नातीराजा 732 मतों से चुनाव जीते थे। लेकिन 2485 मत नोटा को मिले थे।

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

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