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रूस में बैन LGBTQ मूवमेंट, माना जाएगा उग्रवादी; किसी भी हरकत पर ऐक्शन

मॉस्को

रूस में समलैंगिक संबंधों पर रोक है और इसे गैरकानूनी माना जाता है। यही नहीं अब देश के उच्चतम न्यायालय ने इस पर अहम फैसला सुनाते हुए इंटरनेशनल LGBTQ मूवमेंट को प्रतिबंधित कर दिया है। इसके अलावा इसे उग्रवादी संगठन मानने का भी आदेश दिया है। अदालत का कहना है कि इससे जुड़े लोग कोई गतिविधि रूस में नहीं कर सकेंगे। बीते कुछ साल रूस में समलैंगिक संबंधों में रहने वाले लोगों के लिए बुरे गुजरे हैं। सरकार ने पाबंदियां लगाई हैं और अब अदालत के इस आदेश से मुश्किल और बढ़ गई है। 

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी LGBTQ समुदाय के विरोध में अपने लिए मौका देख रहे हैं। यूक्रेन से जंग के बीच उनका जनाधार कमजोर होता दिख रहा है। ऐसे में इस मुद्दे को वह पश्चिमी संस्कृति बनाम रूस के तौर पर प्रचारित कर रहे हैं। वह खुद को रूस में परंपरागत संस्कृति के रक्षक के तौर पर पेश कर रहे हैं। उनका कहना है कि हम रूस के नैतिक मूल्यों को पश्चिमी सभ्यता के हमले से बचाने में जुटे हैं। दरअसल व्लादिमीर पुतिन सरकार के कानून मंत्रालय ने ही अदालत में अर्जी दाखिल की थी।

मंत्रालय ने कहा था कि देश LGBTQ कम्युनिटी की एक्टिविटीज से सामाजिक और सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने का खतरा है। कानून मंत्रालय की मांग थी कि इंटरनेशनल LGBTQ मूवमेंट को उग्रवादी संगठन घोषित कर दिया जाए। हालांकि इस मामले में रूस के स्टैंड की संयुक्त राष्ट्र में भी आलोचना होती रही है। 

अदालत ने कानून मंत्रालय की अर्जी को लेकर कहा, 'दावों को सही माना जा सकता है। यह जरूरी है कि इंटरनेशनल LGBTQ मूवमेंट को उग्रवादी संगठन माना जाए और उसकी गतिविधियों पर रूस में रोक लगे।' दो सप्ताह पहले ही कानून मंत्रालय ने कहा था कि हम इंटरनेशनल LGBTQ मूवमेंट को उग्रवादी संगठन घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं। हालांकि इसे लेकर मंत्रालय ने स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा था।

 

बंद दरवाजों के अंदर हुई सुनवाई

रूस के न्याय मंत्रालय ने कहा था कि अधिकारियों ने रूस में चल रहे एलजीबीटीक्यू प्लस आंदोलन के उग्रवादी प्रभाव की पहचान की है। हालांकि, न्याय मंत्रालय ने इस बारे में कोई प्रमाण नहीं दिया था। कई अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस मुकदमे के माध्यम से 'इंटरनेशनल सिविक एलजीबीटी मूवमेंट' को निशाना बनाया गया है। इस मामले की सुनवाई बंद दरवाजों के अंदर हुई।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने क्या कहा?

वहीं, कोर्ट के इस फैसले के बाद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने रूस द्वारा उठाए गए इस फैसले को एलजीबीटी लोगों के खिलाफ भेदभाव करने वाला बताते हुए इसको तुरंत निरस्त करने की मांग की। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने कहा कि रूसी अधिकारी इस मामले पर जरूरी कदम उठाएंगे।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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