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16 महीने में 5 हार्ट अटैक फिर भी जिंदा है यह महिला …5 स्टेंट, 6 बार एंजियोप्लास्टी, डॉक्टर भी हैरान

अहमदाबाद

आम धारणा है कि हार्ट अटैक किसी को ज्यादा मौके नहीं देते और जिंदगी को खतरा रहता है। लेकिन मुंबई के मुलुंड इलाके की एक घटना हैरान करने वाली है। यहां की रहने वाली एक महिला को बीते 16 महीनों में 5 बार हार्ट अटैक आ चुका है। महिला को इनके चलते 5 स्टेंट लगवाने पड़े, 6 बार एंजियोप्लास्टी हुई और एक बार बाईपास सर्जरी भी हुई। महिला का कहना है कि वह यह जानना चाहती हैं कि आखिर उनके साथ ऐसा क्यों हो रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें पहली बार सितंबर 2022 में उस वक्त हार्ट अटैक आया था, जब वह जयपुर से मुंबई के बोरिवली लौट रही थीं। 

इसके बाद उन्हें तुरंत रेल प्रशासन की मदद से अहमदाबाद के एक अस्पताल में एडमिट कराया गया था। उन्होंने कहा कि इसके बाद मैंने एंजियोप्लास्टी के लिए मुंबई जाने का ही फैसला लिया। उनका इलाज करने वाले एक डॉक्टर हसमुख रावत ने कहा कि रेखा को आखिर हार्ट अटैक क्यों आया, यह अब भी एक रहस्य है और इस गुत्थी को सुलझाया नहीं जा सका है। वह अब तक कई डॉक्टरों को दिखा चुके हैं। इनमें से एक ने कहा कि वह एक ऑटो-इम्यून बीमारी की शिकार हैं, जिसके चलते उनकी नलियां कमजोर हुई हैं और हार्ट अटैक आया। हालांकि अब तक जो टेस्ट हैं, उनमें कोई ठोस वजह नहीं निकल सकी है कि हार्ट अटैक क्यों आए। 

इसी साल चार बार आ चुके हैं हार्ट अटैक

महिला की पहचान यहां निजता के चलते उजागर नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि हर कुछ महीने के बाद उन्हें हार्ट अटैक आते हैं। इससे पहले उन्हें सीने में तेज दर्द और बेचैनी के लक्षण होते हैं। वह कहती हैं कि उन्हें इसी साल 4 अटैक आ चुके हैं। एक फरवरी में, दूसरा मई, तीसरा जुलाई और फिर नवंबर में। वह कहती हैं कि इससे पहले भी वह एक बार हार्ट अटैक के केस में ही अस्पताल जा चुकी हैं। हालांकि एक बात उन्हें खुद भी समझ आती है कि यह स्थिति उनकी गंभीर बीमारियों और अधिक वजन के चलते भी हुई है।

वजन था 107 किलो और शुगर भी थी समस्या, क्या बोल रहे डॉक्टर

वह कहती हैं कि उनका वजन सितंबर 2022 तक 107 किलो था। इसके अलावा डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और मोटापे की भी शिकार थीं। तब से अब तक वह अपना वजन 30 किलो घटा चुकी हैं। माना जा रहा है कि शरीर की ऐसी स्थिति भी हार्ट अटैक्स की वजह हो सकती है। उन्हें कई बार कोलेस्ट्रॉल को घटाने के लिए इंडेक्शन लगवाने पड़े हैं। इसके अलावा शुगर लेवल भी मेंटेन कर रखा है, लेकिन हार्ट अटैक उनका पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि एक बार एंजियोप्लास्टी होने के बाद कुछ ही महीने में उनके हार्ट में फिर से ब्लॉकेज हो जाती है। पहली बार ही जब महिला को हार्ट अटैक आया तो उनके दिल के बायें हिस्से में ब्लॉकेज 90 पर्सेंट तक थी। हालांकि डॉक्टर भी मानते हैं कि वह लकी हैं कि इतने अटैक्स के बाद भी उन्हें बचाया जा सका।

महिला के अंदर हर कुछ महीनों में दिल के दौरे के लक्षण लौट आते हैं

उन्हें हर कुछ महीनों में, दिल के दौरे के स्पष्ट लक्षण लौट आते हैं, जिनमें सीने में तेज दर्द, डकार आना और बेचैनी शामिल है. सुनीता ने बताया कि मुझे फरवरी, मई, जुलाई और नवंबर में दिल का दौरा पड़ा है. सुनीता को डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और मोटापा जैसी अन्य पुरानी समस्याएं भी हैं; सितंबर 2022 में उनका वजन 107 किलोग्राम था और तब से उनका वजन 30 किलोग्राम से अधिक कम हो गया है. उन्हें कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली नई दवा 'पीसीएसके9 इनहिबिटर' का इंजेक्शन दिया गया है, जिससे उनका कोलेस्ट्रॉल लेवल कम है और डायबिटीज भी नियंत्रण में है, लेकिन दिल के दौरे पड़ने जारी हैं. 

डॉ. रावत ने कहा कि हालांकि मरीजों के लिए एक ही स्थान पर बार-बार ब्लॉकेज विकसित होना कोई अज्ञात बात नहीं है, लेकिन सुनीता में अलग-अलग स्थानों पर नए ब्लॉकेज विकसित हो जाते हैं. उन्होंने कहा, 'उनको पहला हार्ट अटैक बाईं धमनी में 90% ब्लॉकेज के कारण हुआ था और अगली बार दाहिनी कोरोनरी धमनी में 99% ब्लॉकेज थी'. चिकित्सकीय रूप से कहें तो, सुनीता भाग्यशाली रही हैं, क्योंकि उनके दिल का दौरा एनएसटीईएमआई या नॉन-एसटी-एलिवेशन मायोकार्डियल इन्फार्क्शन था जो तब होता है जब हृदय की ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी नहीं हो पाती है. 

डॉक्टरों का मानना है कि यह एक दुर्लभ ऑटो-इम्यून स्थिति हो सकती है

डॉ. हसमुख रावत ने कहा, 'एसटीईएमआई हार्ट अटैक एनएसटीईएमआई की तुलना में खतरनाक होता है. विभिन्न 8 चिकित्सीय प्रक्रियाओं से गुजरने के बावजूद, सुनीता के दिल का इजेक्शन फ्रैक्शन 45% है जो अच्छा है.' केईएम अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अजय महाजन ने कहते हैं कि ऐसा 'घातक एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनियों का सख्त होना)' दुर्लभ है. डॉक्टरों ने महीनों तक सुनीता के लिपिड को कम रखा है, उन्हें स्टेंटिंग और बाइपास दिया गया है, फिर भी समस्या फिर से हो जाती है. डॉ. महाजन ने कहा, 'इसलिए यह एक दुर्लभ ऑटो-इम्यून स्थिति हो सकती है.'

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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