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कनाडा गए छात्रों को बड़ा झटका…ट्रूडो सरकार ने वर्क परमिट बढ़ाने पर लगाई रोक

कनाडा
कनाडा गए छात्रों को एक और बड़ा झटका लगा है। ट्रूडो सरकार ने वर्क परमिट बढ़ाने पर रोक लगा दी है। 31 दिसंबर के बाद अब वर्क परमिट नहीं बढ़ेगा। इस फैसले के बाद कनाडा में कुल 23 लाख छात्र प्रभावित होंगे।

पंजाब से गए स्टूडेंट्स का आंकड़ा पांच लाख से अधिक
कनाडा सरकार ने कनाडा पोस्ट ग्रेजुएट वर्क परमिट को आगे बढ़ाने से इंकार कर दिया है। बता दें कि  इस समय करीब 14 लाख स्टूडेंट्स कनाडा में पोस्ट ग्रेजुएट वर्क परमिट पर काम कर रहे हैं और सरकार के इस सख्ती फैसले से  इन्हें अगले साल अपने मूल देशों में वापस जाना पड़ सकता है। वर्क परमिट पर काम कर रहे पंजाब से गए स्टूडेंट्स का आंकड़ा पांच लाख से अधिक है।

नया वर्क परमिट नहीं मिलेगा
इस बीच स्टूडेंट्स ने दो साल के स्टडी वीजा वाले स्टूडेंट्स के लिए पांच साल और एक साल के स्टडी प्रोग्राम के लिए आए स्टूडेंट्स के लिए दो साल का वर्क परमिट जारी करने की मांग की है। जिनके परमिट 1 जनवरी, 2024 को पूरे हो जाएंगे, उनको नया वर्क परमिट नहीं मिलेगा।

हालांकि जिनका PG वर्क परमिट 31 दिसंबर, 2023 को पूरा हो रहा है, वे जारी एक्सटेंशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि कनाडा में इस समय 9.5 लाख अंतरराष्ट्रीय छात्रों के पास स्टडी परमिट है और करीब 14 लाख के पास वर्क परमिट है। 14 लाख वर्क परमिट वाले स्टूडेंट्स में से अभी तक 3 लाख आवेदकों ने ही कनाडा में पीआर के लिए अप्लाई किया है। 2017 के बाद दो साल के स्टडी परमिट वाले स्टूडेंट्स को 4.5 साल का वर्क परमिट दिया जाना लगा, जिसमें 18-18 महीने की तीन एक्सटेंशन शामिल हैं।

इसके अलावा भारत से कनाडाई विश्वविद्यालयों में आवेदन करने वाले अंतर्राष्ट्रीय छात्रों की संख्या कम हो रही है, कनाडा एक और कानून पेश कर रहा है जो संभावित रूप से छात्रों को देश में आवेदन करने से रोक सकता है। आप्रवासन विभाग ने अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए वित्तीय आवश्यकता को दोगुना कर दिया है। $10,000 GIC फीस को बढ़ा कर अब  $20,635 कर दिया गया है जोकि 1 जनवरी 2024 से लागू है। यह परिवर्तन देश में रहने की लागत के बारे में छात्रों की अपेक्षाओं को प्रबंधित करने के लिए किया गया था।

कनाडा के आप्रवासन मंत्री मार्क मिलर ने कहा, "हम जीवन-यापन की लागत सीमा को संशोधित कर रहे हैं ताकि अंतर्राष्ट्रीय छात्र यहां रहने की वास्तविक लागत को समझ सकें।" वहीं इस पर वैंकूवर द्वीप विश्वविद्यालय के एक छात्र ल्यूक डायस ने कहा कि किराया ही 850 डॉलर प्रति माह है और 10000 डॉलर पर गारंटीड इन्वेस्टमेंट सर्टिफिकेट (GIC) मुश्किल से इसे कवर करता है। उन्होंने कहा, "यह निर्णय कनाडा के एक किफायती गंतव्य होने की संभावना को अस्पष्ट करता है।"

यह निर्णय छात्रों को और कर्ज में डाल देगा
वहीं, मॉन्ट्रियल यूथ-स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन (MYSO) नामक एक छात्र समूह के नेताओं ने कहा है, ''छात्र वित्त पोषण को दोगुना करने से धोखाधड़ी, शोषण, दुर्व्यवहार और आवास की समस्याएं हल नहीं होंगी। इसके विपरीत, सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच रही है और सारा बोझ अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर डाल रही है। ILETS, एजेंटों की फीस, महंगी ट्यूशन फीस, हवाई टिकटों के लिए छात्रों द्वारा चुकाए जाने वाले लाखों रुपये पर अफसोस जताते हुए उन्होंने कहा कि यह निर्णय छात्रों को और कर्ज में डाल देगा।  वहीं, आव्रजन विभाग ने लेबर की कमी से निपटने के लिए महामारी के दौरान शुरू किए गए 18 महीने के वर्क परमिट को भी नहीं बढ़ाया, जबकि ऑफ-कैंपस नौकरियों पर प्रति सप्ताह 20 घंटे की छूट को 30 अप्रैल, 2024 तक बढ़ा दिया।

नहीं मिल रही नौकरी…
विभाग ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए प्रति सप्ताह अधिकतम सीमा 30 घंटे तक बढ़ाने पर विचार कर रहा है। कनाडा में पढ़ रहे एक अन्य छात्र   ने कहा कि high student flow के कारण अंशकालिक नौकरी पाना बहुत मुश्किल है। उन्होंने कहा कि  नौकरी बाजार की तंगी के कारण छात्र ज्यादातर सप्ताह में 15-20 घंटे काम करते हैं।

 

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

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