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राग व द्वेष तो संसार में है, भगवान में तो केवल अनुराग होता है : मैथिलीशरण भाई जी

रायपुर

गुरु हमेशा कल्याण की बातें बताते हैं। जो सृजन या सुख मिलता है व गुरु के कारण है लेकिन धर्म की परिभाषा नहीं जानने वाला अपनी अज्ञानता को गुरु के ऊपर थोप देता है। राम राज की केवल एक विशेषता थी कि जिसको जो चाहिए मिल रहा था। किसी में राग व द्वेष नहीं था। राग व द्वेष तो संसार से होता है, भगवान में तो केवल अनुराग होता है। सरकार तो विधायिका, न्यायपालिका व कार्यपालिका से चलती है । भावुकता में कहीं गई बातों से नहीं, न तो यह सत्य है और न ही व्यावहारिक। भक्त वो है जो अपने को दुष्ट बताये और जो दूसरों को दुष्ट बताये वो तो रावण है।

मैक कॉलेज आॅडिटोरियम में चल रही श्रीराम कथा में मैथिलीशरण भाई जी ने बताया कि भगवान का भक्त वो है जो छुपी हुई भक्ति को निष्ठा के साथ सामने ले आये, जिस प्रकार भरत जी समूचे समाज को श्रीराम से मिलवाने ले जा रहे थे तो वे सबके प्राण प्रिय हो गए। भक्त वो है जो अपने को दुष्ट और जो दूसरों को दुष्ट बताये वो रावण है। आपको भगवान की चरणों में प्रेम है कि नहीं ये आधार है। चित्रकुट के कथा प्रसंग पर महराजश्री ने बताया कि राम जी वशिष्ट की, जनक जी वशिष्ट की और जनक जी भरत जी की प्रशंसा कर रहे हैं। सच्ची प्रशंसा तो मुंह पर ही करनी चाहिए। जो बुद्धि से हटकर हृदय में चली जायेगी और भक्ति बन जायेगी। अपनी शक्ति-ज्ञान का भान होना बहुत बड़ी योग्यता है। तभी तो भगवान राम के कृपापात्र भरत ने हनुमान को बाण लगने पर मूर्छित अवस्था में देखकर अपनी भक्ति को दांव पर लगाकर प्रभु का स्मरण किया और हनुमानजी उठ खड़े हुए।

छोटी-छोटी बातों पर करने लगे हैं राग द्वेष
आज प्रतिस्पर्धा इतनी बढ़ गई है कि छोटी-छोटी बातों पर राग-द्वेष करने लगे हैं। राम राज्य में नहीं था राग व द्वेष। सभी का अनुराग भगवान के प्रति ही था। राम राज की केवल एक विशेषता थी कि जिसको जो चाहिए मिल रहा था। तनिक भी स्वार्थ नहीं था।

दिनचर्या को संतुलित रखें
दिनचर्या को संतुलित रखें, केवल उतना आराम करें जितनी जरूरत हो,उतना ही काम करें जिससे थकान आ सके। अन्यथा जो निर्णय या चिंतन करेंगे वह परिपक्व नहीं होगा। इसलिए रोजाना कुछ क्षण के लिए ध्यान भी करें,अब ध्यान सही हुआ कि नहीं यह जानने के लिए परखें कि प्रतिकूल परिस्थिति में भी कहीं आपको क्रोध तो नहीं आ रहा है।

मां कर सकती है राम राज्य की स्थापना
किसने क्या किया इसकी याद कर वर्तमान को खराब न करें। घर में मां चाहे तो राम राज्य की स्थापना कर सकती है तब जब बेटी की विवाह हो गई हो तो सास व मां दोनों की भूमिका निभाये। बच्चों को बचपन में झूठ बोलना सीखाते हैं और बड़े होने पर सच बोलने की उम्मीद रखते हैं,यह कैसे संभव है? अरे परिवार तो वो है जहां प्रेम का अतिरेक झलक रहा हो.पता ही नहीं चलता कि कौन देवरानी है और कौन जेठानी। जरूर ऐसे परिवार के माता पिता दादा दादी सत्संगी रहे होगें। वैसे परिवार के बिखराव व दूरी में जब से मोबाइल आया है टेंशन बढ़ाया है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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