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घड़ियाल अभ्यारण्य 7 साल से नहीं जन्मा कोई नर, वजह जान होगी हैरानी

सीधी
 सीधी जिले की सोन एलीगेटर सेंचुरी मध्य प्रदेश में अपनी एक अलग पहचान रखती है. इस सेंचुरी में 7 साल से वंश वृद्धि रुकी हुई है. इसकी वजह से यह सेंचुरी नपुंसक हो गई है. यह हालत तब है, जब सोन घड़ियाल अभ्यारण्य के लिए 210 किलोमीटर का क्षेत्रफल तय किया गया है. इसमें सोन नदी, बनास नदी और गोपाद नदी शामिल हैं. इस अभ्यारण्य की नपुंसकता दूर करने के लिए सेंचुरी मैनेजमेंट साल 2021-22 में चंबल से एक नर घड़ियाल यहां लेकर आया था.

लेकिन, प्रबंधन की लापरवाही और सोन नदी के तेज बहाव की वजह से यह घड़ियाल बहकर बिहार पहुंच गया. अब बिहार सरकार इस घड़ियाल को अपना बता रही है. बिहार सरकार मध्य प्रदेश को इसे लौटाने को तैयार नहीं है.

सोन एलीगेटर सेंचुरी में फिलहाल 39 घड़ियाल, 60 मगरमच्छ हैं. वर्ष 2016 के पहले यहां हर साल 200 से ज्यादा घड़ियाल के बच्चे हुआ करते थे. इनमें से करीब 50 घड़ियालों की संख्या में वृद्धि होती थी. लेकिन, वर्ष 2016 में ही मछुआरों ने यहां मौजूद पुराने नर घड़ियालों की हत्या कर दी. इसके बाद से सोन एलीगेटर सेंचुरी में वंश वृद्धि रुक गई. इस वजह से यह सेंचुरी नपुंसक हो गई. वर्ष 2016 के बाद वर्ष 2021-22 में घड़ियालों का प्रजनन हुआ था. इसमें से एक दर्जन बच्चे भी हुए, लेकिन नर का जन्म नहीं हुआ.

घड़ियाल के 5 फीसदी अंडे हो जाते हैं बेकार
बता दें, सोन घड़ियाल अभ्यारण्य के अफसर चंबल से नर घड़ियाल सीधी लेकर आने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन, इन्हें अब तक सफलता नहीं मिल सकी है. घड़ियालों की सुरक्षा में तैनातकर्मी ने बताया कि प्रजनन जब प्राकृतिक होता है तो एक घड़ियाल तकरीबन 50 अण्डे रखता है. इनमें से कुछ बच्चे अच्छी स्थिति में होते हैं, तो करीब 5 फीसदी अंड बेकार निकल जाते हैं. इस अभ्यारण्य में वर्ष 2016 से घड़ियालों का प्रजनन रुका हुआ है.

यहां मौजूद रेंजर भी यह मान रहे हैं नर घड़ियाल नहीं होने से अभ्यारण्य में ठहराव आ गया है. पर्यटकों के लिहाज से यह एक बड़ा क्षेत्र है. लेकिन, इसके विकास को लेकर विभाग कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा. बता दें, सोन घड़ियाल अभ्यारण संजय टाइगर रिजर्व में समाहित है. ऐसे में इसके रखरखाव की जिम्मेदारी संजय टाइगर रिजर्व के सीसीएफ की बनती है. लेकिन, फिलहाल वे इसे लेकर कोई कदम नहीं उठा रहे.

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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