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हुकुमचंद मिल की तरह अन्य मिलों मजदूरों के लिए राहत प्रक्रिया शुरू

भोपाल

मध्यप्रदेश में हुकुमचंद मिल के समान स्वरुप की अन्य मिलों के मुद्दों को चिन्हित कर वहां के श्रमिकों को भी राहत प्रदान की जाएगी। इसके लिए औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है।  

सामान्य प्रशासन विभाग ने इसको लेकर सात दिन में प्रतिवेदन मांगा है। सहकारिता विभाग, श्रम विभाग और नगरीय विकास एवं आवास विभाग इस काम में सहयोगी के रुप में काम करेंगे। इन सभी विभागों को कहा गया है कि हुकुमचंद मिल के समान स्वरुप के अन्य मिलों के मुद्दों को चिन्हित कर उनकी अद्यतन स्थिति पर प्रतिवेदन तैयार करके सामान्य प्रशासन विभाग दें।

ऐसे होगी कवायद
प्रदेश में हुकुमचंद मिल के समान स्वरुप वाली ऐसी कई मिले है जो औद्योगिक विवाद के चलते बंद हो चुकी है। उनके विवाद औद्योगिक न्यायालयों से लेकर जिला और सत्र न्यायालय से लेकर हाईकोर्ट तक में प्रचलित है। मामले न्यायालय में होंने के कारण इनके विवादों का निराकरण नहीं हो पा रहा है। इसके चलते इनमेें काम करने वाले श्रमिक, मजदूर और उनके परिवार लंबे समय से परेशान है। आर्थिक रुप से कमजोर हो चुके श्रमिक अपने परिवार का सही तरीके से पालन-पोषण नहीं कर पा रहे है। अब श्रम विभाग इन मजदूरों के नेताओं से बात कर उन्हें न्यायालय से मामले वापस लेने  के लिए बात करेंगा। इसके अलावा इन्हें न्यायालय से बाहर समझौते के लिए मनाया जाएगा। इनकी देनदारियों का आंकलन किया जाएगा।

ऐसे निपटा था हुकुमचंद मिल का मामला
मध्यप्रदेश के इंदौर की हुकुमचंद मिल में श्रमिकों की बीस साल से देनदारिया बांकी थी। मजदूर राशि नहीं मिलने से परेशान थे। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने इसमें विशेष रुचि ली और नगरीय प्रशासन, श्रम विभाग के अफसरों की बैठक कर इसका हल निकाला। 464 करोड़ रुपए हाउसिंग बोर्ड के जरिए दिलाने की स्वीकृति दी गई। यहां की जमीन पर परियोजना विकास के बाद हाउसिंग बोर्ड और नगर निगम इंदौर के मध्य लाभ की राशि का उपयोग जनहित में किया जाएगा। यह निर्णय होंने से 25 हजार से अधिक श्रमिक परिवार के सदस्य लाभान्वितहुए है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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