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राजनीति

शर्मिला ने थामा कांग्रेस का दामन, आसान नहीं होगी आंध्र प्रदेश की लड़ाई

नई दिल्ली

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे वाईएसआर रेड्डी की बेटी वाईएस शर्मिला ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। जगन मोहन रेड्डी की बहन शर्मिला को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। पार्टी जॉइन करने के बाद शर्मिला ने कहा, "आज मैं YSR तेलंगाना पार्टी का कांग्रेस पार्टी में विलय करते हुए बहुत खुश हूं। मुझे बहुत खुशी हो रही है कि YRS तेलंगाना पार्टी आज से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का हिस्सा बनने जा रही है। कांग्रेस पार्टी अभी भी हमारे देश की सबसे बड़ी धर्मनिरपेक्ष पार्टी है।"

सियासी जानकारों का मानना है कि आंध्र प्रदेश में कांग्रेस शर्मिला के जरिए अपने लिए राजनीतिक जमीन तैयार करेगी। लेकिन दूसरी ओर विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि शर्मिला के लिए अपने लिए जगह तलाश पाना आसान नहीं होगा। क्योंकि वाईएसआर की विरासत पर आंध्र प्रदेश में उनके बेटे जगन मोहन रेड्डी अच्छी तरह से काबिज हो चुके हैं।

शर्मिला ने कुछ साल पहले अपनी अलग पार्टी बनाकर तेलंगाना में अपनी राजनीति की शुरुआत की थी। अपने भाई की तर्ज पर उन्होंने तेलंगाना में पदयात्राएं निकाली ताकि लेकिन इसके बावजूद हाल में हुए तेलंगाना चुनाव में उन्होंने उम्मीदवार नहीं उतारे। यह माना गया है कि उन्होंने परोक्ष रूप से कांग्रेस को समर्थन देने के लिए ऐसा किया। तभी से उनके कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई थी।

दक्षिण के पांच बड़े राज्यों में से शेष चार में कांग्रेस की स्थिति ठीकठाक है। कर्नाटक, तेलंगाना में सरकार है। केरल में वह अभी विपक्ष में है। तमिलनाडु में गठबंधन में अपनी उपस्थिति बनाकर रखी हुई है। लेकिन आंध्र प्रदेश में उसका न कोई विधायक है और न कोई सांसद। पिछले विधानसभा चुनाव में महज एक फीसदी वोट

विशेषज्ञ यह भी कहते हैं वाईएसआर अविभाजित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। जगनमोहन रेड्डी आंध्र में उनकी विरासत पर काबिज होने पर सफल रहे। पर तमाम प्रयासों के बावजूद शर्मिला तेलंगाना में ऐसा कोई चमत्कार नहीं दिखा पाई। ऐसे में कांग्रेस उन्हें आंध्र प्रदेश में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देती है, जैसे कि प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की भी चर्चाएं भी हैं, तो इससे कांग्रेस को तत्काल कितना फायदा होगा, कहना मुश्किल है।

इस बात का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वाईएसआर कांग्रेस शर्मिला के कांग्रेस में जाने को ज्यादा तरजीह नहीं दे रही है।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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