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धर्म बदल सकते हैं, लेकिन पूर्वज नहीं, राम मंदिर समारोह से पहले नजमा बोलीं- कण-कण में बसे हैं भगवान राम

वाराणसी
यूपी के मिर्जापुर के पड़ोसी जिले वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं के कल्याण के लिए काम करने वाला अपना मुस्लिम महिला फाउंडेशन चलाने वाली सामाजिक कार्यकर्ता नाजनीन अंसारी काफी खुश हैं। उनकी सहयोगी नजमा ने अयोध्या से राम ज्योति (विशेष दीये) लाने और उन्हें वाराणसी में 400-500 परिवारों (हिंदू और मुस्लिम दोनों) के बीच वितरित करने का फैसला किया है। नाजनीन अंसारी ने कहा, "हम भगवान राम की ज्योति लाकर काशी में हिंदू और मुस्लिम परिवारों को देंगे और उनसे 22 जनवरी तक इसे निरंतर जलते रहने की अपील करेंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां एक भी व्यक्ति यह नहीं कह सकता कि भगवान राम हमारे पूर्वज नहीं हैं।" नजमा ने कहा, ''भगवान राम कण-कण में बसे हैं। हम सभी जानते हैं कि हम अपना धर्म बदल सकते हैं, लेकिन हम अपने पूर्वजों को नहीं बदल सकते।'' उन्होंने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, "अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होगी, इससे ज्यादा खुशी की बात क्या हो सकती है।"

नाजनीन अंसारी का कहना है कि उन्होंने "नफरत का वह दौर देखा है जहां राम मंदिर का नाम लेना भी डरावना था और, आज हम राम मंदिर के निर्माण के कारण पूरे देश में खुशी भी देख रहे हैं। मैं इससे बहुत खुश महसूस कर रही हूं।" अंसारी ने कहा कि उन्होंने 2006 में वाराणसी के संकट मोचन मंदिर में हुए विस्फोटों के बाद भगवान राम का अनुसरण करना शुरू किया था। मंदिर और छावनी रेलवे स्टेशन पर हुए बम विस्फोटों में कम-से-कम 20 लोग मारे गए थे। उन्होंने कहा, ''मैं 70 मुस्लिम महिलाओं के साथ संकट मोचन मंदिर गई और हनुमान चालीसा का पाठ किया।'' उन्होंने कहा कि वह अभिषेक समारोह टीवी पर देखेंगी।

अक्षत और राम मंदिर तस्वीर देखते ही भावुक हो गए कारसेवक
वहीं, मिर्जापुर के मोहम्मद हबीब तब भावुक हो गये, जब मीलों दूर अयोध्‍या से उनके लिए चावल के कुछ कच्चे दाने (अक्षत) और एक पत्र आया, जिसके साथ ही राम मंदिर की एक तस्वीर भी थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जिला इकाई में विभिन्न पदों पर रह चुके 70 वर्षीय पूर्व 'कारसेवक' हबीब ने मिर्जापुर से 'पीटीआई-भाषा' को बताया, ''अक्षत पाकर मैं भावुक हो गया। अक्षत के साथ पत्र और राम मंदिर की तस्वीर अयोध्या से भेजी गई है क्योंकि 22 जनवरी को भव्य अभिषेक समारोह की तैयारी चल रही है। हबीब ने बताया कि वह समारोह को अपने घर से टीवी पर देखेंगे और 22 जनवरी के बाद किसी भी दिन मंदिर जाएंगे क्योंकि पिछले दिनों अयोध्या आये प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 22 जनवरी के बाद लोगों से अयोध्या आने का आग्रह किया था। उनका कहना है कि वह एक 'कार सेवक' थे और दो दिसंबर, 1992 से 'अपने लोगों के समूह' के साथ चार से पांच दिनों के लिए अयोध्या में रुके थे।

छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरा दी गई थी। हबीब ने बताया कि हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच लंबी कानूनी लड़ाई नौ नवंबर, 2019 को सुलझी, जब उच्चतम न्यायालय के एक आदेश ने अयोध्या में विवादित स्थल पर एक सरकारी ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया और फैसला सुनाया कि अयोध्या में एक मस्जिद के लिए वैकल्पिक पांच एकड़ का भूखंड होना चाहिए। मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को निर्धारित किया गया है। हबीब कहते हैं, ''यह सभी के लिए एक ऐतिहासिक दिन होगा।'' उन्होंने कहा, "हमें यह तारीख बहुत तपस्या और बहुत सारी लड़ाइयों के बाद मिली है। मैं भाजपा का पुराना सदस्य हूं। लगभग 32 वर्षों के बाद मुझे परिणाम मिले और पुरानी यादें ताजा हो गईं।'' हबीब का कहना है कि वह भगवान राम को अपना पूर्वज मानते हैं और पूर्वजों को याद करना ही भारतीयता है।

प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जाएंगे इकबाल अंसारी
राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले अयोध्या के इकबाल अंसारी उन दर्शकों में शामिल होंगे जो अभिषेक समारोह में उपस्थित होंगे। उन्हें प्रतिष्ठा समारोह के लिए अधिकारियों की ओर से आधिकारिक निमंत्रण मिल गया है। इकबाल अंसारी ने अयोध्या से 'पीटीआई-भाषा' को बताया, ''अयोध्या हमेशा से गंगा-जमुनी तहजीब (शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की संस्कृति) का प्रतीक रहा है। जो सद्भावना अयोध्या में है, वह मुझमें भी है। जो व्यक्ति मुझे निमंत्रण पत्र देने आया, मैंने उसका स्वागत किया।'' अंसारी ने याद दिलाया कि उन्हें पांच अगस्त 2020 को राम मंदिर के भूमिपूजन में शामिल होने का निमंत्रण भी मिला था और वह उस कार्यक्रम में शामिल भी हुए थे।

उत्साह और सम्मान के साथ इकबाल अंसारी ने स्वीकार किया निमंत्रण
 55 वर्षीय अंसारी ने बताया "जब नौ नवंबर, 2019 को शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुनाया तो पूरे देश के मुसलमानों ने इसका स्वागत किया। देश में कहीं भी कोई विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ और न ही कोई आंदोलन हुआ। ये सभी मुद्दे 9 नवंबर, 2019 को समाप्त हो गए हैं।" अंसारी, जिनका परिवार पिछले 100 वर्षों से अयोध्या में रह रहा है, ने कहा कि अयोध्या में जो कुछ भी हो रहा है वह ऐतिहासिक है। उन्‍होंने कहा कि मंदिर शहर में विकास हो रहा है। इकबाल अंसारी को निमंत्रण देने वाले आरएसएस के संपर्क प्रमुख अवध प्रांत गंगा सिंह ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, "उन्होंने (इकबाल अंसारी) उत्साह और सम्मान के साथ कार्ड स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि वह प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने आएंगे और रामलला के दर्शन भी करेंगे।" इकबाल के पिता हाशिम अंसारी, जो भूमि विवाद मामले में सबसे उम्रदराज वादी थे, की 2016 में 95 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई, 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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