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फीस के मामले में हीरोइनों को हीरो जितनी अहमियत क्यों नहीं दी जाती: मृणाल ठाकुर

मुंबई

छोटे पर्दे से अपने करियर की शुरूआत करने वाली मृणाल ठाकुर ने अपने छोटे से करियर में लंबा सफर तय किया है। मराठी फिल्म में काम कर चुकी मृणाल हिंदी फिल्म जगत के अलावा तेलुगू इंडस्ट्री में भी काफी एक्टिव हैं। इन दिनों वह चर्चा में हैं अपनी नई फिल्म ‘फैमिली स्टार’ से।

मृणाल ठाकुर ने हाल ही खास मुलाकात में कई महिला मुद्दों पर बात की। मृणाल ठाकुर ने बहुत ही वाजिब सवाल उठाया कि फिल्म इंडस्ट्री में फीस के मामले में एक्ट्रेसेस को एक्टरों से कमतर क्यों आंका जाता है। उन्हें बराबर फीस क्यों नहीं मिलती। साथ ही उन्होंने बताया कि उन्हें महिलाओं को लेकर किस बात से सबसे ज्यादा परेशानी होती है। मेरे लिए सबसे बड़ी इंस्पिरेशन रही है, प्रियंका चोपड़ा। मैंने उनके तमाम इंटरव्यूज और आर्टिकल पढ़े हैं। मैं आज जो कुछ भी हूं, उन्हीं की प्रेरणा के कारण हूं। उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि लोगों को ट्रेंड सेंटर महिलाएं पसंद नहीं आतीं। वो औरतें नापसंद की जाती हैं, जो हां में हां नहीं मिलाती। आमतौर पर उन्हीं महिलाओं को पसंद किया जाता है, जो हां में हां मिलाती हैं। आप मुझे फेमिनिस्ट न समझें, मगर मैंने महसूस किया है कि जब लड़कियां लॉजिक लगाती हैं, तो लड़कों को पसंद नहीं आतीं। लड़कों को सारी छूट है, मगर लड़कियों को नहीं, ऐसा क्यों? आपको सुनकर अजीब लगेगा, मगर कई बार ऐसे दिन भी आते हैं, मेरी जिंदगी में, जब मैं खुद से सवाल करती हूं कि मैं औरत बनकर क्यों पैदा हुई? मगर फिर दूसरे ही पल मैं खुद से ये भी पूछती हूं कि अनगिनत लड़कियां, जो मुझसे प्रेरित होती हैं, उन्हें मेरे हारने से फायदा नहीं होगा। कई बार मैं तनाव से गुजरती हूं, कई बार मुझे नींद नहीं आती, मगर मैं हार नहीं मानती। मैं अपने अधिकार के लिए लड़ती हूं। मैं चिल्ला-चिल्ला कर किसी से नहीं कहना चाहती कि मुझे हीरो जितनी फीस मिले।

मैं मानती हूं कि वो ज्यादा के हकदार हैं, मगर मुझे ये सवाल करना है कि जितना हीरोइन प्रमोशन्स के लिए जरूरी होती हैं, फिल्म के लिए अहम होती हैं, तो उन्हें उतना मेहनताना क्यों नहीं मिलता? उन्हें पैसों के मामले में अहमियत क्यों नहीं दी जाती? मैं यही कहूंगी कि जितना मैं डिजर्व करती हूं, उतना मुझे जरूर मिले। उसमें जमीन -आसमान का फर्क न हो। मेरे लिए प्रियंका चोपड़ा ही नहीं, मिशेल ओबामा भी इंस्पिरेशन हैं। जब मुझे लो फील होता है, तो मैं अपने स्ट्रेस से भी लड़ती हूं। कई बार सेलेब होने के नाते कीचड़ भी उछाला जाता है। मगर मैं जानती हूं कि मैं कौन हूं? किस चीज के लिए फाइट कर रही हूं। मैं आने वाली जनरेशन के लिए चीजों को आसान करना चाहती हूं।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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