भिलाई-जन संस्कृति मंच,दुर्ग-भिलाई के तत्वावधान में भिलाई के कवि घनश्याम त्रिपाठी के द्वितीय काव्य संग्रह ‘जो रास्ता संघर्षमय होता है’ पर समीक्षा गोष्ठी का आयोजन कल्याण महाविद्यालय, भिलाई में सम्पन्न हुआ। घनश्याम त्रिपाठी ने अपने कविता संग्रह से ‘मेरा राष्ट्रप्रेम’, ‘आँखें हमारी हैं’, ‘महादेव मज़दूर’, ‘साथ-साथ’, ‘राजतन्त्र का अवतरण’ शीर्षक कविताओं का पाठ किया।
गोष्ठी के मुख्य अतिथि दिल्ली के चर्चित कवि मदन कश्यप ने कवि को बधाई देते हुए कहा -“इस समय हिंदी कविता अपनी सामूहिकता में ढलान की ओर जा रही है। ऐसे में संघर्ष और विचार के साथ घनश्याम त्रिपाठी आगे बढ़ रहे हैं, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। वे हमारे समय के सार्थक कवि हैं। उनकी कविताओं में शुरू से आखिरी तक वैचारिक संघर्ष दिखाई देता है।”
अध्यक्षीय आसंदी से भिलाई के चर्चित कवि नासिर अहमद सिकंदर ने कहा -“घनश्याम त्रिपाठी ने अपनी कविताओं में बदलते समय के नए यथार्थ को संजीदगी से पकड़ा है। किसानों और मजदूरों पर जो शोषण और दमन की चक्की चलाई जा रही है, कवि अपनी कविताओं में उसका पर्दाफाश करते नज़र आता है।”
आलोचक सियाराम शर्मा ने कविता संग्रह पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा -“घनश्याम त्रिपाठी की कविताएं मनुष्यता को वापस लौटाने की कविताएं हैं। उनकी कविताओं में हमारा समय और समाज पूरी तरह से उभरकर सामने आता है। उनके शब्द और संवेदना में कोई दूरी नहीं है।”
आलेख पाठ प्रस्तुत करते हुए कथाकार कैलाश बनवासी ने कहा -“दूसरे कविता संग्रह में घनश्याम त्रिपाठी अधिक मुखर और राजनीतिक चेतना संपन्न दिखाई पड़ते हैं। उनकी कविताएं सहज और प्रतिबद्ध हैं, किन्तु कुछ कविताएं सपाटबयानी की शिकार हुई हैं।”
मिता दास ने अपनी बात रखते हुए कहा -“घनश्याम त्रिपाठी की कविताएं सशक्त हैं। कवि समाज के अंतिम आदमी के संघर्ष में शामिल दिखाई पड़ता है।”इस अवसर पर वासुकि प्रसाद ‘उनमत्त’ और एन. पापाराव ने भी कविता संग्रह पर अपनी समीक्षाएं मंच से पढ़ीं।कल्याण महाविद्यालय भिलाई के सहयोग से आयोजित इस समीक्षा गोष्ठी का संचालन अशोक तिवारी व आभार प्रदर्शन सुरेश वाहने ने किया।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में साहित्यकार,पत्रकार व श्रोतागण उपस्थित थे जिनमें अभिषेक पटेल, राजकुमार सोनी,लोकबाबू,परमेश्वर वैष्णव, अम्बरीश त्रिपाठी, विमलशंकर झा, विद्याभूषण,शरद कोकास,मुमताज, छगनलाल सोनी,प्रदीप भट्टाचार्य,शिवनाथ शुक्ल,बृजेन्द्र तिवारी,सुलेमान खान आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।