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हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई गुहार, ज्ञानवापी के तहखाने खोले जाएं, ‘शिवलिंग’ का हो एएसआई सर्वे…

वाराणसी-ज्ञानवापी विवाद को लेकर हिंदू पक्ष एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। हिंदू पक्षकारों ने दो याचिकाएं दाखिल कर एएसआई को ज्ञानवापी परिसर में मौजूद शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश देने की मांग की है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग मौजूद है। दूसरी याचिका में वजूखाना की सील खोलकर वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराए जाने की मांग की गई है। साथ ही दस तहखानों का सर्वे कराने की मांग हुई है।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में हिंदू पक्षकार की तरफ से कहा गया है कि एएसआई ये सर्वे बिना शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए वैज्ञानिक तरीके से करे। गौरतलब है कि वजूखाने को हिंदू पक्षकार आदि विश्‍वेश्‍वर का शिवलिंग होने का दावा कर रहे हैं जबकि मुस्लिम पक्ष इसे फव्‍वारा बता रहा है। हिंदू पक्ष का कहना है कि इस शिवलिंग के क्षेत्र को दीवारा खड़ी कर घेर दिया गया है। हिंदू पक्ष की याचिका में ज्ञानवापी में सील इलाकों को भी खोले जाने की मांग की गई है।

गौरतलब है कि जिला अदालत ने हिंदू और मुस्लिम पक्ष को ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे की रिपोर्ट मुहैया करा दी है। रिपोर्ट के मुताबिक ज्ञानवापी में मस्जिद की वर्तमान संरचना के निर्माण से पहले बड़ा हिन्दू मंदिर था। रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद हिन्दू पक्ष ने कहा कि अब हिन्दुओं को वहां पूजा-पाठ की अनुमति मिलनी चाहिए, जबकि मुस्लिम पक्ष ने कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाने का ऐलान किया है।

सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि मस्जिद से पहले वहां बने मंदिर में बड़ा केंद्रीय कक्ष और उत्तर की ओर छोटा कक्ष था। 17वीं शताब्‍दी में मंदिर को तोड़कर उसके हिस्‍से को मस्जिद में समाहित किया गया। मस्जिद के निर्माण में मंदिर के खंभों के साथ ही अन्‍य हिस्सों का बिना ज्‍यादा बदलाव किए इस्‍तेमाल किया गया। हालांकि, कुछ खंभों से हिन्‍दू चिह्नों को मिटाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक मस्जिद की पश्चिमी दीवार पूरी तरह हिन्‍दू मंदिर का हिस्‍सा है। सर्वे में 32 शिलापट और पत्‍थर मिले हैं, जो वहां पहले हिन्‍दू मंदिर होने के साक्ष्‍य हैं। शिलापटों पर देवनागरी, तेलुगु व कन्‍नड में आलेख लिखे हैं। एक शिलापट में जनार्दन, रुद्र और उमेश्‍वर लिखा है, जबकि एक अन्य शिलापट में ‘महामुक्ति मंडप’ लिखा है। मस्जिद के कई हिस्‍से में मंदिर के स्‍ट्रक्‍चर मिले हैं। इतना ही नहीं, मस्जिद के निर्माण संबंधी एक शिलापट पर अंकित समय को मिटाने का प्रयास किया गया है।

हिन्‍दू पक्ष के वकील विष्‍णु शंकर जैन ने बताया कि 839 पेज की रिपोर्ट में वजूखाने को छोड़कर हर कोने का एक-एक ब्‍योरा एएसआई ने लिखा है। रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। इसलिए अब हिन्दुओं को वहां पूजा-पाठ की अनुमति मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मस्जिद परिसर के वजूखाने में मिली शिवलिंग जैसी आकृति का भी एएसआई सर्वे होने पर साफ हो जाएगा कि आकृति शिवलिंग ही है और इसके साथ ही कई अन्‍य ऐसे साक्ष्‍य मिलेंगे जो हिन्‍दू पक्ष के दावे को और मजबूत करेंगे।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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