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पेटीएम नहीं बेचेगा अपना पेमेंट वॉलेट बिजनेस, इन दो बड़ी कंपनियों के खरीदने की थी चर्चा

मुंबई-पेटीएम कंपनी इन दिनों क्राइसिस के दौर से गुजर रही है। कंपनी पर लगातार कसे जा रहे आरबीआई के शिंकजे के साथ कई सारी चर्चा भी मार्केट में कंपनी के बारे में फैलती जा रही है। हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा गया था कि फिनटेक कंपनी अपने पेमेंट वॉलेट बिजनेस को मुकेश अंबानी और एचडीएफसी बैंक को बेचने के लिए मीटिंग कर रही है। हालांकि पेटीएम ने इस खबर को गलत और आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया है।

पेटीएम पेमेंट्स बैंक के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम किसी भी बाजार अटकल पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं।’प्रवक्ता बोले, ‘हम पूरी तरह से नियामक के निर्देशों का पालन करते हैं। टीम का प्रयास पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (पीपीबीएल) की ओर से पेश किए गए उत्पादों के साथ एक सहज ग्राहक अनुभव सुनिश्चित करना है।’

इसके पहले पेटीएम के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा ने कर्मचारियों को आश्वासन दिया था कि कोई छंटनी नहीं होगी। कंपनी आरबीआई के साथ बातचीत कर रही है। इसके अलावा अन्य बैंकों के साथ साझेदारी के विकल्पों पर भी विचार कर रही है।शर्मा ने एक वर्चुअल टाउन हॉल के दौरान कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा था, ‘हम जल्द ही सब कुछ पता लगा लेंगे। हम यह देखने के लिए आरबीआई से संपर्क करेंगे कि क्या किया जा सकता है।’बीएसई में सोमवार को पेटीएम के शेयर 10 फीसदी के लोअर सर्किट के साथ 438.35 रुपये पर कारोबार कर रहे थे। पेटीएम के सहयोगी बैंक को आरबीआई के निर्देश के बाद ऐसी धारणा बन गई है कि कंपनी और उसके सहयोगी एक हैं।

हालांकि, इस पर स्पष्टता देते हुए पेटीएम के अध्यक्ष और समूह सीएफओ मधुर देवड़ा ने कहा है कि डिजाइन और संरचना दोनों के मामले में फिनटेक कंपनी और उसके सहयोगी एक नहीं हैं और न ही हो सकते हैं।देवड़ा ने कहा, ‘ऐसी धारणा हो सकती है कि पेटीएम और पेटीएम पेमेंट्स बैंक एक हैं, लेकिन डिजाइन और संरचना के हिसाब से ऐसा नहीं है और ऐसा हो भी नहीं हो सकता है। सबसे पहले यह एक सहयोगी कंपनी है और दूसरा इस अर्थ में एक सहयोगी कंपनी नहीं है कि यह एक बैंक है।’उन्होंने कहा, ‘और एक बैंक के लिए सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि उसे उस शासन का पालन करना होगा जिसका एक बैंक को पालन करना चाहिए, जिसका अर्थ है कि उसकी अपनी स्वतंत्र प्रबंधन टीम होनी चाहिए।’ पेटीएम के अध्यक्ष ने आगे कहा कि एक बैंक के पास स्वतंत्र अनुपालन और जोखिम टीमें भी होनी चाहिए।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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