छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने न्यू सिविक सेंटर में दुकान के लीजधारकों पर बीएसपी द्वारा लगाए गए जुर्माने को रखा बरकरार
लीज़ को नवीनीकृत करने में विफल होने पर सम्पदा न्यायालय द्वारा पहले ही याचिकाकर्ताओं को दुकान का अनाधिकृत कब्जेदार घोषित किया जा चुका है

भिलाई-माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर ने एक ऐतिहासिक फैसले में जसराज कोचर (पावर ऑफ अटॉर्नी धारक दिनेश सिंघल के माध्यम से) बनाम सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के मामले में अपने आदेश दिनांक 22.08.2024 में बीएसपी. के दुकान में लीजधारक द्वारा किए गए उल्लंघनों के एवज में जुर्माना वसूलने के अधिकार को उचित ठहराया है।
मामला यह है कि जसराज कोचर को दुकान नंबर 182, न्यू सिविक सेंटर 30 साल की लीज पर आवंटित की गई थी, जो वर्ष 2012 में समाप्त हो गई थी। जसराज कोचर ने अपने पावर ऑफ अटॉर्नी के रूप में दिनेश सिंघल को नामित किया था। आवंटी ने तय समय में अपने पट्टे का नवीनीकरण नहीं कराया और दुकान में भी उल्लंघन किये। वर्ष 2005 में बीएसपी द्वारा आवंटी को उल्लंघनों को हटाने के लिए नोटिस जारी किया गया था जिसमें बीएसपी की भूमि का अतिक्रमण, अनाधिकृत निर्माण, अतिरिक्त मंजिल का निर्माण और दुकान में कोचिंग कक्षाओं का अनाधिकृत व्यापार चलाना शामिल था। आवंटी द्वारा उल्लंघनों को दूर करने में विफल होने पर दुकान के बिलों में मासिक दंड अधिभार लगाया गया था।
आवंटी ने बीएसपी के दंडात्मक अधिभार लगाने के अधिकार को यह कहते हुए चुनौती दी कि लीज़ अनुबंध के अनुसार बीएसपी के पास दंडात्मक अधिभार लगाने की अधिकार नहीं है।
माननीय उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि दिनेश सिंघल द्वारा दायर याचिका में कई तथ्यात्मक विवाद थे और याचिकाकर्ता द्वारा किए गए उल्लंघन को उनकी जानकारी में लाने और जुर्माना वसूलने के लिए बीएसपी द्वारा नोटिस जारी करना लीज़ अनुबंध के खंड के अनुसार उचित है। कोर्ट ने कहा कि बीएसपी को लीजधारक से जुर्माना वसूलने का अधिकार है। बीएसपी ने याचिकाकर्ता व लीजधारक की जानकारी में कई उल्लंघनों को लाकर उल्लंघनों को हटाने के लिए नोटिस जारी किया था और लीजधारक से उक्त उल्लंघनों को हटाने के लिए कहा था और जब लीजधारक या याचिकाकर्ता ने बीएसपी द्वारा बताए गए उल्लंघनों को नहीं हटाया, तो उस पर जुर्माना लगाया गया।
कोर्ट ने कहा कि जहां तक जुर्माना वसूलने के अधिकार का सवाल है, प्रतिवादी सेल ने लीज समझौते के अनुसार जुर्माना वसूला है और लीज अनुबंध के किसी भी कानून या शर्त का कोई उल्लंघन नहीं है और 2005 में जारी किया गया नोटिस न्यायसंगत और उचित है और इसमें न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। तदनुसार याचिका खारिज कर दी गई है।माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के आदेश ने दुकान आवंटियों द्वारा किए गए उल्लंघनों (अनाधिकृत निर्माण, अतिक्रमण, भवन उल्लंघन आदि) पर जुर्माना लगाने की भिलाई स्टील प्लांट की कार्रवाई को वैध कर दिया है, जिस पर कुछ वर्ग के लोग अभी तक सवाल उठा रहे थे।
ज्ञात हो कि दुकान नंबर 182, न्यू सिविक सेंटर के निवासी जसराज कोचर और दिनेश सिंघल (पावर ऑफ अटॉर्नी धारक) को बीएसपी के नियम एवं शर्तों के अनुसार दुकान की लीज़ को नवीनीकृत करने में विफल होने पर सम्पदा न्यायालय द्वारा पहले ही दोनों को दुकान का अनाधिकृत कब्जेदार घोषित किया जा चुका है। याचिकाकर्ताओं ने सम्पदा न्यायालय के फैसले को दुर्ग कोर्ट में चुनौती दी थी, जहां दुर्ग कोर्ट ने सम्पदा न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए भिलाई स्टील प्लांट के पक्ष में फैसला दिया था।