RO.No. 13047/ 78
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

मध्यप्रदेश के जंगल की सवा तीन हजार हेक्टेयर जमीन पर बना दी सड़कें

भोपाल

पिछले पांच सालों में मध्यप्रदेश में 3 हजार 25 हेक्टेयर आरक्षित वन क्षेत्र में राज्य सरकार ने सड़कें बना दी और खनन के लिए अनुमतियां दे दी। लेकिन इसके बाद भी सरकार ने इस जमीन को आरक्षित वन की श्रेणी में शामिल कर रखा है। जबकि वहां अब जंगल नहीं है बल्कि सीमेंट कांक्रीट की सड़कें हैं और जमीनों पर खनन हो रहा है।

वन विभाग की अधिकृत जानकारी के अनुसार प्रदेश में इस समय 61886.49  हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि है। 31098  हेक्टेयर भूमि संरक्षित वन है।  वहीं अवर्गीकृत की श्रेणी में 1704.85 हेक्टेयर जमीन है। पिछले पांच वर्षों में  संरक्षित वन भूमि का उपयोग परिवर्तन सड़क, बिजली, दूरसंचार लाइन, विद्यालय, जलाशय, रेलवे लाइन, खनिज खनन,  आंगनबाड़ी केन्द्र खोलने , सामुदायिक केंद्र खोलने और शासन के अन्य विकास कार्यों के निर्माण में किया गया है। सड़क और खनन के लिए 3025.204 हेक्टेयर वन भूमि व्यपवर्तित की गई है। लेकिन इस जमीन के दूसरे उपयोग के बाद भी वन विभाग इसे वन भूमि ही मान रहा है। इतने निर्माण के बाद भी वन भूमि में इतनी भूमि को वन भूमि से बाहर नहीं किया गया है। वन विभाग का मानना है कि वन भूमि व्यपवर्तन के बाद भी वन भूमि का वैधानिक स्वरूप वन ही रहता है। इसलिए परिवर्तन के पूर्व एवं बाद के आंकड़ों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।

इन पेड़ों से हो रही आय
प्रदेश के जंगलों पर लगे पेड़ों से इस समय काष्ठ, बांस एवं लघु वनोपज जैसे तेंदूपत्ता, अचार, महुआ, हर्रा, कत्था, गोंद, आंवला, बहेड़ा, नागरमोथा आदि के विक्रय से आय प्राप्त हो रही है।  

बालाघाटा में सबसे ज्यादा भूमि आरक्षित
प्रदेश में बालाघाट जिले में सर्वाधिक  3 हजार 798 हेक्टेयर जमीन पर आरक्षित वन है।  वहीं पन्ना में  सर्वाधिक 3 हजार 279 हेक्टेयर संरक्षित वन है। राजगढ़ में कोई आरक्षित वन भूमि नहीं है। वहीं उज्जैन में कोई संरक्षित वन भ्ूामि नहीं है।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.No. 13047/ 78

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button