RO.No. 13047/ 78
जिलेवार ख़बरें

राजनांदगांव.: जैन आचार्य विद्या सागर ने सबसे ज्यादा 505 मुनियों को दी दीक्षा, आजीवन रहे त्याग की प्रतिमूर्ति

नई दिल्ली/राजनांदगांव.

संलेखना कर देह त्यागने वाले जैनमुनि आचार्य विद्यासागर महाराज ने सबसे अधिक 505 मुनियों को दीक्षा दी थी। दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य विद्यासागर महाराज ऐसा करने वाले देश के अकेले आचार्य रहे। उनके बाद आचार्य श्री कुंथु सागर महाराज ने 325 मुनियों को दीक्षा दी थी। 10 अक्तूबर, 1946 को कर्नाटक के बेलगांव जिले के सदलगा गांव में जन्मे आचार्य विद्यासागर ने 22 साल की उम्र में दीक्षा ली थी। उन्होंने आजीवन नमक-चीनी, हरी सब्जी, दूध-दही, सूखे मेवे का सेवन नहीं किया।

उन्होंने आजीवन तेल और चटाई का भी त्याग कर दिया था। वह एक ही करवट में सोते थे और दिन में एक बार ही पानी पीते थे। उन्हें आचार्य पद की दीक्षा आचार्य श्री ज्ञान सागर महाराज ने 22 नवंबर 1972 को दी थी। आचार्य विद्यासागर महाराज ने 1980 को पहली दीक्षा छतरपुर में मुनि श्री समय सागर महाराज को दी थी। दूसरी दीक्षा सागर जिले में योग सागर और नियम सागर महाराज को दी थी। दीक्षा लेने वालों में आचार्य के गृहस्थ जीवन के भाई मुनि श्री समय सागर और मुनि श्री योग सागर हैं।

देश के लिए अपूरणीय क्षति : मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने आचार्य विद्यासागर महाराज के देह त्यागने पर गहरा दुख प्रकट किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी का ब्रह्मलीन होना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए उनके बहुमूल्य प्रयास सदैव स्मरण किए जाएंगे। पीएम ने कहा कि आचार्य जीवनपर्यंत गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे रहे। यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे निरंतर उनका आशीर्वाद मिलता रहा। पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरी जैन मंदिर में उनसे हुई भेंट मेरे लिए अविस्मरणीय रहेगी। तब आचार्य से मुझे भरपूर स्नेह और आशीष प्राप्त हुआ था। समाज के लिए उनका अप्रतिम योगदान देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा।

मानवता के कल्याण को दी प्राथमिकता : शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर लिखा, महान संत परमपूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज जैसे महापुरुष का ब्रह्मलीन होना देश और समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक सिर्फ मानवता के कल्याण को प्राथमिकता दी। मैं अपने आप को सौभाग्यशाली मानता हूं कि ऐसे युगमनीषी का मुझे सान्निध्य, स्नेह और आशीर्वाद मिलता रहा। मानवता के सच्चे उपासक आचार्य विद्यासागर महाराज का जाना मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। छत्तीसगढ़-मध्य प्रदेश में आधे दिन का राजकीय शोक…छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में आचार्य के देह त्याग पर आधे दिन का राजकीय शोक रहा। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहा और कोई भी सरकारी समारोह या कार्यक्रम आयोजित नहीं किए गए।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.No. 13047/ 78

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button