छत्तीसगढ़दुर्ग-भिलाई

रिकेश सेन ने औद्योगिक क्षेत्र हाउसिंग बोर्ड कालोनी के कंडम 724 मकानों का मामला विधानसभा में उठाया

भिलाई नगर – आज विधानसभा में वैशाली नगर विधायक रिकेश सेन ने औद्योगिक क्षेत्र हाउसिंग बोर्ड कालोनी के कंडम 724 मकानों के लिए तत्काल कार्ययोजना बना कर इन आवासों की मरम्मत या पुनर्निर्माण के विषय में ध्यानाकर्षण करवाया। इसके आलावा सेन ने औद्योगिक क्षेत्र में डीआईसी की लगभग सौ एकड़ से अधिक जमीन पर पिछले पांच वर्ष के भीतर धड़ल्ले से अवैध कब्जे हुए हैं ऐसे अवैध कब्जों पर बेदखली कार्रवाई कर यह जमीन खाली करवाने की मांग की। उनकी इस मांग पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि रिकेशजी तो खुद बुलडोजर बाबा हैं,ले जाकर बुलडोजर चलवा दीजिए। रिकेश सेन को बुलडोजर बाबा के सम्बोधन पर पूरा सदन ठहाके से गूंज उठा। उद्योग विभाग की इस बेशकीमती जमीन पर कब्जे की वजह से उद्योग विभाग उन युवाओं को औद्योगिक जमीन नहीं दे पा रहा है जो रोजगार के लिए बेहतर उद्यम की परिकल्पना और प्रोजेक्ट के साथ उद्योग स्थापित कर स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार का अवसर लाना चाहते हैं। ऐसे उद्योग के लिए लंबे समय से आवेदन पेंडिंग हैं और जमीन पर अवैध कब्जे की वजह से उद्योग विभाग जमीन आबंटन कर नहीं पा रहा है। उनकी मांग पर उद्योग मंत्री लखनलाल देवांगन ने सदन को आश्वस्त किया कि जल्द से जल्द उद्योग विभाग की जमीन अवैध कब्जा मुक्त की जाएगी।

शून्यकाल के दौरान औद्योगिक क्षेत्र के हाउसिंग बोर्ड स्थित 724 आवासों में कई वर्षों से रह रहे लगभग तीन हजार परिवारों के संबंध में शीघ्र कार्ययोजना को जमीनी स्तर पर लाया जाए। विधायक रिकेश सेन ने कहा कि वर्ष 2007 से कंडम घोषित किए गए इन आवासों की हालत काफी जर्जर है और कभी भी बड़ी दुर्घटना की आशंका आंधी तूफान में बनी रहती है। यहां तीन मंजिला 1965 से 1974 तक बनाए गए इन आवासों को लगभग 50 वर्ष से अधिक समय बीत चुका है। लंबे समय से हाउसिंग बोर्ड यहां के रहवासियों को राहत देने की कार्ययोजना बनाए जाने की बात कहता रहा है लेकिन धरातल पर दिखाई नहीं दे रही। उन्होंने सदन में मांग की है कि इस संबंध में जल्द ध्यान देते हुए हाउसिंग बोर्ड को 724 क्वार्टर की समस्या के शीघ्र निराकरण के निर्देश दिए जाएं।

गौरतलब हो कि 1965 से 1974 तक 724 आवास हाउसिंग बोर्ड कालोनी में निजी उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों के लिए बनाए गए थे। जिनसे 1980 से 2003 तक हाउसिंग बोर्ड ने 30 रूपये प्रतिमाह किराया भी लिया था। कालोनी के लगभग 3 हजार रहवासियों का कहना है कि तीन मंजिला बिल्डिंग में 24 कमरे थे, जिसमें प्रत्येक की लागत लगभग 6000 थी और 96000 में पूरी बिल्डिंग बनी थी। 25 वर्षों में प्रत्येक आवासधारी लगभग पौने 2 लाख किराया दे चुका था अतः इन कंडम आवासों का पुनर्निर्माण कर उन्हें मालिकाना हक दिया जाए।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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