बसनिया बांध का शिलान्यास करने से आदिवासी आक्रोशित, विरोध में प्रभावितों की महापंचायत 5 मार्च को
मंडला
प्रधानमंत्री द्वारा विडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से विकसित भारत, विकसित मध्यप्रदेश के अन्तर्गत 19961 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का आधारशिला रखेंगे। जिसमें नर्मदा नदी पर प्रस्तावित 5500 करोड़ रुपये की बसनिया, राघवपुर और अपर नर्मदा बांध सिंचाई परियोजना भी शामिल है। ज्ञात हो कि मंडला और डिंडोरी जिला संविधान की पांचवी अनुसूची (आदिवासी क्षेत्र के लिए विशेष व्यवस्था) के तहत वर्गीकृत है, जहां पेसा कानून एवं नियम प्रभावशील है।परियोजना प्रभावित गांव की सभी ग्राम सभाओं ने इस परियोजना के विरोध में प्रस्ताव पारित किया है। इसके बाद भी परियोजना का उद्घाटन करना जो आदिवासियों को पेसा नियम के तहत प्राप्त संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
इस शिलान्यास के विरोध में आज प्रभावित गांव ओढारी में सैकड़ों महिला एवं पुरूषों ने नर्मदा नदी में संकल्प लिया कि हम अपनी जल-जंगल और अपनी धरती दाई को डूबने नहीं देंगे।"कोई नहीं हटेगा, बांध नहीं बनेगा" का उपस्थित लोगों ने उद्दघोष किया।बसनिया (ओढारी) बांध विरोधी संघर्ष समिति के अध्यक्ष बजारी लाल सर्वटे ने कहा कि जितनी जमीन डूब में आ रहा है, उससे मात्र 2437 हेक्टेयर अधिक में सिंचाई होगा।
जबकि सच्चाई यह है कि जितने रकबा में सिंचाई का दावा किया जाता है, उससे औसत 60 प्रतिशत रकबा सिंचित हो पाता है।संगठन के उपाध्यक्ष तितरा मरावी ने बताया कि प्रदेश सरकार के हठधर्मिता के खिलाफ आगामी 5 मार्च को गांव ओढारी में बसनिया बांध प्रभावितों का विशाल महापंचायत आयोजित किया जाएगा।आज के कार्यक्रम में चिमका टोला, दरगढ, बरझङ, दुपट्टा, धनगांव, ओढारी, बिलग्रा आदि गांव के राजेन्द्र कुलस्ते जीवन लाल सोयाम फूलचद पट्टा सुखलाल आर्मो घोपत पंद्रो महेश परस्ते संतोष यादव गुलबंता बाई तेकाम ओमती आर्मो जननी बाई मरावी की विशेष उपस्थिति थी।