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मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिलने के बाद वन विभाग कर रहा नए अभयारण्य बनाने पर मंथन

भोपाल.
मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिलने के बाद वन विभाग ने इस तमगे को निरंतर बनाए रखने के लिए बाघों को संरक्षित करने की दिशा में अभी से मंथन करना शुरू कर दिया हैं।  वन विभाग प्रदेश में अभ्यारण्यों की संख्या बढ़ाने की दिशा में लगातार मंथन कर रहा है। मौजूदा समय में प्रदेश सात टाइगर रिजर्व पार्क है।

रातापानी अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने के लिए प्रक्रिया अंतिम दौर में है। विभाग ने अन्य अभ्यारण्य बनाने की दिशा में अभी से प्लानिंग करना शुरू कर दी है। प्रदेश में मौजूदा समय में 785 बाघ हंै। 30 से लेकर 35 फीसदी बाघ डीम्ड फॉरेस्ट में रहते हैं। जगलों का घनत्व नहीं बढ़ने के बावजूद  भी बाघों की संख्या लगातार बढ़ रही हैं। वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव ने बताया कि वन्य जीव प्राणियों की संख्या बढ़ने के पीछे सबसे बड़ी वजह यह है कि जंगलों में पर्याप्त मात्रा में हरी घास और शाकाहारी जानवरों का होना है।

टाइगर को जंगलों में शाकहारी जानवर आसानी से मिल जाते है। जिससे उनकी जीवन प्रत्याशा लगातार बढ़ रही है। वाइल्ड विशेषज्ञों का कहना है कि  विभाग शिकारियों पर लगाम लगाने में सफल रहा और  दूसरी वन्य प्राणी धीरे- धीरे मनुष्यों के साथ रहने के लिए खुद को अभ्यस्त करने में एक सीमा तक सफल हो चुके हैं। अगर यही स्थिति रही तो आने वाले समय में दोनों एक दूसरे के टेरेटरी को लेकर कोई दखल नहीं करेंगे। वाइल्ड शाखा से जुड़े विशेषज्ञों की माने तो बाघों की टेरेटरी लगातार घट रही है। एक बाघ की टेरेटरी 100 वर्ग किलोमीटर की होती है जिसमें 10 बाघिन रहती है। लेकिन जिस तरह से बाघों की संख्या बढ़ रही है उससे उनकी टेरेटरी लगातार घट रही है।

6 साल पहले हुई थी चर्चा
बाघों को संरक्षित करने को लेकर वर्ष 2018 में तत्कालीन वन मंत्री उमंग सिंघार ने प्रदेश में बाघों के लिए 9 अभ्यारण्यों बनाने को लेकर विभाग को आदेश जारी किया था। कांग्रेस की सरकार जाते ही यह योजना पूरी तरह से ठंडे बस्ते में चली गई। प्रदेश में चीता प्रोजेक्ट सफल हो जाने के बाद वन विभाग ने इस दिशा में दुबारा से काम करना शुरू कर दिया है। विभाग का दावा है कि अगर समय रहते हुए नए अभ्यारण्यों को बनाने की शासन स्तर से मंजूरी मिल जाती है तो आने वाले समय में लंबे समय तक प्रदेश के पास टाइगर स्टेट का दर्जा रहेगा। वाइल्ड शाखा से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि केंद्र सरकार जिस तरह से कुछ समय से वन्य जीव प्राणियों को लेकर एक्शन मोड में आई है उससे साफ है कि नए अभ्यारण्य बनाने में कोई कानूनी पेंच सामने नहीं आएगा।

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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