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महाशिवरात्रि के मौके पर आज सुप्रीम कोर्ट में तेलंगाना के मशहूर शिव मंदिर श्री वीरभद्र स्वामी का मामला पहुंचा

नई दिल्ली
महाशिवरात्रि के मौके पर आज सुप्रीम कोर्ट में तेलंगाना के मशहूर शिव मंदिर श्री वीरभद्र स्वामी का मामला पहुंचा। मंदिर के पुजारियों ने यह अर्जी दाखिल की है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार गैरकानूनी तरीके से मंदिर का टेकओवर करना चाहती है। वीरभद्र स्वामी को भगवान शिव का ही अवतार माना जाता है। इस स्थान को मछिलेश्वरनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। पुजारियों ने शीर्ष अदालत में आरोप लगाया कि राज्य सरकार मंदिर का अवैध तरीके से टेकओवर करना चाहती है। सरकार की ओर से मंदिर के कामकाज के लिए एग्जीक्यूटिव अधिकारियों की नियुक्ति की गई है।

पुजारियों के कहना है कि सरकार इसके लिए तेलंगाना हिंदू धार्मिक ऐंड चैरिटेबल ऐक्ट का प्रयोग कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की सहमति जताई है। फिलहाल जस्टिस एमएम संदुरेश और एसवीएन भट्टी की बेंच ने कमिश्रर के आदेश पर रोक लगा दी है। जिसके तहत एक कार्यकारी अधिकारी नियुक्ति की गई है और टेकओवर का आदेश दिया गया है। मंदिर के पुजारियों ने तेलंगाना के इस कानून की वैधता पर ही सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को भी नोटिस जारी किया है।

याचिकाकर्ता पुजारियों ने कहा कि तेलंगाना सरकार के 1987 के ऐक्ट के मुताबिक राज्य की ओर से किसी भी मंदिर का टेकओवर किया जा सकता है। इसके तहत सरकार मंदिर के प्रशासक के तौर पर एक कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति कर सकती है। इसके अलावा मंदिर के ट्रस्ट में भी सदस्यों को नियुक्त कर सकती है।

याचिका में संविधान के आर्टिकल 25 और 26 का हवाला देते हुए कहा गया कि किसी भी मंदिर का प्रबंधन और उसका कामकाज देखना धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का अभिन्न हिस्सा है। याचियों का कहना है कि एक सेकुलर देश में किसी सरकार के अधिकारियों को मंदिर का कामकाज संभालने की जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती। अर्जी पर सुनवाई के दौरान अदालत में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट का ही कानून कहता है कि मंदिर प्रशासन का काम राज्य तभी संभाल सकता है, जब आर्थिक गड़बड़ी की बात हो।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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