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भारतीय खाद्य निगम के पास गेहूं का स्टॉक 2018 के बाद से सबसे कम, लेकिन बफर मानक से ज्यादा

नई दिल्ली

पिछले दो वर्षों के दौरान कम खरीद और खुले बाजार में अनाज की रिकॉर्ड बिक्री के कारण भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास गेहूं का स्टॉक 2018 के बाद पहली बार 100 लाख टन से नीचे चला गया है। गेंहू का स्टॉक इस महीने घटकर 97 लाख टन रह गया है। हालांकि, चावल के स्टॉक के मामले में, FCI के पास मौजूदा समय में बफर मानक से चार गुना से अधिक स्टॉक है।

कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए खुले बाजार में बिका गेहूं

सरकार ने अनुमान लगाया है कि गेहूं की खरीद लगभग 320 लाख टन होगी और इससे सरकार आरामदायक स्थिति में होगी। जून 2023 में सरकार ने उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए खुले बाजार में गेहूं बेचना शुरू किया। फरवरी के अंत तक एफसीआई ने बाजार हस्तक्षेप के रूप में 90 लाख टन से अधिक की बिक्री की थी। सार्वजनिक खरीद शुरू होने के बाद से खुले बाजार में बिक्री बंद कर दी गई है।

चावल का 270 लाख टन स्टॉक

चावल के मामले में, एफसीआई के पास वर्तमान स्टॉक लगभग 270 लाख टन है, जिसमें मिल मालिकों से प्राप्त लगभग 30 लाख टन अनाज शामिल नहीं है। बफर मानदंडों के अनुसार, एफसीआई को 1 अप्रैल तक लगभग 136 लाख टन चावल रखना होगा।

खुले बाजार में बेचा गया गेहूं

उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए जून 2023 में, सरकार ने खुले बाजार में गेहूं बेचना शुरू किया. फरवरी के अंत तक, एफसीआई ने बाजार हस्तक्षेप के रूप में 90 लाख टन से अधिक की बिक्री की थी. सार्वजनिक खरीद शुरू होने के बाद से खुले बाजार में बिक्री बंद कर दी गई है. चावल के मामले में, एफसीआई के पास वर्तमान स्टॉक लगभग 270 लाख टन है, जिसमें मिल मालिकों से प्राप्त लगभग 30 लाख टन अनाज इसका हिस्‍सा नहीं है. बफर मानदंडों के अनुसार, एफसीआई को 1 अप्रैल तक लगभग 136 लाख टन चावल रखना होगा.

जानिए क्या होता है बफर मानक

एक बफर स्टॉक एक प्रणाली या योजना है, जो एक निर्धारित सीमा से नीचे गिरने वाली कीमतों को रोकने के लिए अच्छी फसल के समय स्टॉक खरीदा जाता है और स्टोर किया जाता है। फसल खराबी के समय स्टॉक को निर्धारित सीमा (या मूल्य स्तर) से ऊपर बढ़ने से रोकने के लिए जारी किया जाता है। दूसरे शब्दों में बफर स्टॉक योजना एक संपूर्ण अर्थव्यवस्था या एक वस्तु की बाजार में कीमतों को स्थिर करने के उद्देश्यों के लिए वस्तु भंडारण का उपयोग करने का एक प्रयास है।

गेहूं के बंपर उत्पादन, सरकार ने खरीद लक्ष्य घटाया

खाद्य मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श के बाद आगामी रबी सीजन 2024-25 में गेहूं खरीद का अनुमान 300 से 320 मिलियन टन के बीच तय किया गया। रबी सीजन के धान खरीद का अनुमान 90से 100 लाख टन निर्धारित किया गया है जबकि 6 लाख टन मोटे अनाजों की खरीद की जाएगी।

गत वर्ष 2023-24 में सरकार ने 341.5 लाख टन के गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा था लेकिन इसके मुकाबले लगभग 262 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। इसी तरह 2022-23 में गेहूं की खरीद 444 लाख टन के लक्ष्य के मुकाबले केवल 188 लाख टन रही थी। हाल के वर्षों के ट्रेंड को देखते हुए इस साल गेहूं खरीद का लक्ष्य ही घटाकर 300 से 320 लाख टन रखा गया है।  

हाल के वर्षों में गेहूं खरीद के आंकड़े सरकार के बंपर उत्पादन के दावों पर भी सवाल खड़े करते हैं। इस साल भी एक ओर जहां सरकार 11.2 करोड़ टन के रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन की उम्मीद जता रही है, जबकि गेहूं खरीद का लक्ष्य हाल के वर्षों से कम रखा गया है।   

गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद सरकार को आटे की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए अपने स्टॉक से खुले बाजार में करीब 95 लाख टन गेहूं उतारना पड़ा, इसके साथ ही भारत आटा ब्रांड नाम से पर रियायती दर पर आटा बेचा जा रहा है। इसके लिए गेहूं पर अतिरिक्त रियायत दी जा रही है। सरकार ने पिछले साल रिकार्ड गेहूं उत्पादन का अनुमान जारी किया था जिसे बाद में घटा दिया गया था। इसकी वजह सरकारी खरीद और बाजार में कीमतों में हुआ इजाफा रहा।

इन स्थितियों के चलते भी गेहूं उत्पादन के सरकारी अनुमानों पर पिछले दो साल से सवाल खड़े होते रहे हैं। कीमतों में बढ़ोतरी के चलते सरकार ने पिछले साल सरकारी खरीद सीजन के बीच ही गेहूं पर स्टॉक लिमिट लागू कर दी थी और उसके बाद इसकी सीमा मे और कटौती की गई।

वहीं 2022-23 में मार्च माह में अचानक तापमान बढ़ने से देश के बड़े गेहूं उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में गेहूं की उत्पादकता में पांच फीसदी से 20 फीसदी तक की कमी आई थी। यही वजह रही कि जब सरकारी खरीद में उस साल भारी गिरावट आई तो सरकार को गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाना पड़ा था। जबकि कुछ दिन पहले तक सरकार गेहूं के बड़े निर्यात के दावे कर रही थी।   

तीन साल पहले 2021-22 में गेहूं की रिकॉर्ड 430 लाख टन से अधिक खरीद हुई थी। 2020-21 में मध्यप्रदेश ने गेहूं खरीद में पंजाब को पीछे छोड़ते हुए 129.4 लाख खरीद की थी। लेकिन बीते वर्ष मध्यप्रदेश से 71 लाख टन गेहूं की खरीद हुई। इस साल मध्यप्रदेश में 80 लाख टन गेहूं खरीद का अनुमान है। जबकि पंजाब में करीब 130 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य है। उत्तर प्रदेश में इस सीजन में करीब 60 लाख टन गेहूं की खरीद का अनुमान है।

पिछले दो साल में गेहूं की सरकारी खरीद में गिरावट आने के चलते केंद्रीय पूल में खाद्यान्न स्टॉक का स्तर कम हुआ है। भारतीय खाद्य निगम के आंकड़ों के मुताबिक गेहूं का स्टॉक करीब 100 लाख टन है जो आठ साल का सबसे कम स्तर है।

रबी सीजन 2024 -25 की खरीद के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य 2275 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है।आमतौर पर गेहूं की खरीद अप्रैल से मार्च तक की जाती है। लेकिन राज्य आवक के हिसाब से मार्च के पहले सप्ताह से खरीद शुरू कर सकते हैं। खरीद बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान अतिरिक्त खरीद केंद्र खोले जाएंगे। खाद्य सचिव ने कहा था कि पंजाब-हरियाणा सीमाओं पर किसानों के विरोध प्रदर्शन से खरीद कार्यों पर असर पड़ने की संभावना नहीं है।

 

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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