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मतदाता कार्ड नहीं मिलने से कार्यालयों के चक्कर लगा रहे वोटर्स

 भोपाल

जिले में लोकसभा चुनाव को लेकर प्रशासन और राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। लेकिन राजधानी के सात विधानसभाओं के 30 हजार से अधिक मतदाताओं के वोटर कार्ड अब तक उनके पास नहीं पहुंच पाए हैं। जबकि, विधानसभा चुनाव के बाद जिला प्रशासन ने विशेष अभियान चलाकर मतदाता सूची में नाम जोड़े थे, लेकिन अब तक उन मतदाताओं के वोटर कार्ड नहीं बन पाए हैं।

 बताया जा रहा है कि करीब चार महीने के अंदर हजारों लोगों के नए कार्ड बनाने के लिए प्रक्रिया पूरी गई है। लेकिन करीब 30 हजार से अधिक मतदाताओं के वोटर कार्ड अब भी चेन्नई मे अटके हुए हैंं। ऐसे में यदि मतदाता लोकसभा चुनाव में बगैर मतदाता पत्र के वोट नहीं डाल पाए, तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?

यह है नियम
वोटर कार्ड को बनवाने के लिए आवेदन जमा करने के 45 दिन में यह बनकर मतदाताओं के पास आ जाता है, लेकिन अभी इसमें कई दिनों का समय लग रहा है। कार्ड बनने की प्रक्रिया पूरी तरह आॅनलाइन हो गई है। भारतीय निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार यह कार्ड चेन्नई में बनाए जाते हैं और वहीं से कार्ड बनकर निर्वाचन शाखा भोपाल में आते हैं। इसके बाद इन्हें स्कैन किया जाता है और फिर भोपाल डाक विभाग को भेज दिया जाता है। जहां से प्रत्येक मतदाता के घर यह पोस्ट कर दिए जाते हैं।

सबसे अधिक मध्य, नरेला, हुजूर और गोविंदपुरा के अटके
जानकारी के अनुसार बीते चार महीने से अधिक समय से अटके वोटर कार्ड को लेकर शहर के हजारों लोग जिला प्रशासन के कई कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं। जिले में 30 हजार से अधिक वोटर कार्ड लंबित हैं। इनके आने के कारण काफी मतदाताओं को राहत मिलेगी। जिले के 30 हजार से अधिक मतदाताओं के वोटर कार्ड अटकने वालों मेंं सबसे अधिक मध्य, नरेला, हुजूर और गोविंदपुरा विधानसभा के शामिल हैं।

अभी कुछ वोटर कार्ड डाक विभाग को सौंप दिए गए हैं। जल्द ही सभी मतदाताओं तक पुहंचाए जाएंगे। वहीं, पिछले कुछ महीनों से वोटर कार्ड बनाने का काम जारी है। कुछ कार्ड पेंडिंग हैं, उन्हें चेन्नई से आने में समय लग रहा है। कार्ड आते ही इन्हें डाक विभाग के द्वारा वितरित कराया जाएगा।
अमन मिश्रा, उप जिला निर्वाचन अधिकारी,भोपाल

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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