RO.No. 13047/ 78
राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय

1000 कारें मगवाकर नहीं किया भुगतान, सरकार ने की 2,600 करोड़ की ठगी

नई दिल्ली

आज नकद कल उधार, ये कहावत आपने जरूर सुनी होगी. ऐसा इसलिए कहा जाता है ताकि कारोबार नकद में चलता रहे और उधारी देने से बचा जा सके. लेकिन एक मुल्क की सरकार ने कार खरीदारी में ऐसी उधारी लगाई जिसका भुगतान आज तकरीबन 50 साल बीत जाने के बाद भी नहीं किया गया. और ये उधारी भी कोई छोटी-मोटी नहीं बल्कि बही-खातों में ये इसका आंकड़ा 320 मीलियन डॉलर से भी आगे निकल चुका है. 

इसे कारों की दुनिया की सबसे बड़ी ठगी भी कहा जाता है, और इसका आरोप नार्थ कोरिया के माथे है. सत्तर के दशक में नार्थ कोरिया की सरकार ने स्विडन की प्रमुख कार निर्माता कंपनी Volvo को भारी मात्रा में कारों का ऑर्डर दिया, कारों की डिलीवरी पूरे बंदोबस्त के साथ नार्थ कोरिया में की गई. लेकिन आज तक इन कारों का भुगतान नहीं किया गया है. 

क्या है पूरा मामला:

1970 के दशक में, स्वीडिश कार निर्माता कंपनी Volvo अपना नेटवर्क विस्तार करने में लगी थी. घरेलू बाजार के अलावा कंपनी दूसरे देशों में भी व्यापार बढ़ाने की योजना बना रही थी. इसी बीच वोल्वो को उत्तर कोरिया में बेहतर संभावनाएं दिखी. उस वक्त उत्तर कोरिया आर्थिक रूप से सबसे मजबूत देशों में से एक बनकर उभर रहा था. 

साल 1974 की बात है जब तत्कालीन स्वीडिश सरकार ने उत्तर कोरिया के साथ एक समझौता किया था. इस एग्रीमेंट में टैक्सियों के रूप में इस्तेमाल करने के लिए 1,000 वोल्वो 144 सेडान कारों के साथ-साथ 70 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक मूल्य की भारी मशीनरी का ऑर्डर दिया गया था. यह वह समय था जब उत्तर कोरिया की औद्योगिक अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही थी और उसे अन्य देशों से भी सहायता मिल रही थी. 

स्वीडन से वोल्वो ने 1000 कारों की खेप को उत्तर कोरिया भेजा, जिनका इस्तेमाल वहां पर टैक्सियों के रूप किया गया. लेकिन आज तक तकरीबन 50 साल बीत जाने के बाद भी उत्तर कोरिया की सरकार ने इन कारों का पेमेंट नहीं किया है. यहां तक की आज भी नॉर्थ कोरिया की सड़कों पर वोल्वो की कुछ पुरानी कारें दौड़ती हैं, जिनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती हैं. 

स्वीडिश दूतावास द्वारा 2016 में सोशल नेटवर्किंग साइट् 'X' (पूर्व में ट्वीटर) पर एक ट्वीट किया गया था. इस पोस्ट में लिखा गया था कि, "1974 के वोल्वो में से एक का अभी भी डीपीआरके द्वारा भुगतान नहीं किया गया है, चोंगजिन में एक टैक्सी के रूप में अब भी ये कार मजबूती से चल रही है." यहां DPRK का अर्थ 'डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया' है.

किम जोंग-उन के दादा ने दिया ऑर्डर: 

बताया जाता है साल 1974 में नॉर्थ कोरिया में किम इल-सुंग की सत्ता थी, जो कि मौजूदा DPRK सुप्रीम लीडर किम जोंग-उन के दादा थें. उन्होनें ही वोल्वो को इन कारों का ऑर्डर दिया था. स्वीडिश एक्सपोर्ट क्रेडिट एजेंसी के पिछले साल की रिपोर्ट के अनुसार, 1,000 वोल्वो कारों पर ब्याज और अनपेड पेनाल्टी को जोड़ा जाए तो इस बकाये की राशि का आंकड़ा तकरीबन 322 मिलियन अमरीकी डालर (लगभग 2,684 करोड़ रुपये) तक पहुंच गया था. जाहिर है कि इस साल ये राशि और भी बढ़ी होगी.

 

कैसी थी ये कार: 

साल 1966 से लेकर 1974 तक वोल्वो ने 140 सीरीज़ कारों का प्रोडक्श किया था. ये एक मिड-साइज कारों की सरीज थी, जिसमें टू-डोर और फोर-डोर सेडान के अलावा 5-डोर स्टेशन वैगन कारों का निर्माण किया गया. Volvo 144 भी इसी सीरीज में आने वाली एक सेडान कार थी. 

इस सेडान कार को कंपनी ने बॉक्सी डिज़ाइन दिया था. शुरुआत में कंपनी ने इसमें छोटा इंजन दिया था, लेकिन 1969 में इसे एक बड़ा अपडेट मिला और इसमें 2.0 लीटर का B20 इंजन दिया गया, जिसने पिछले B18 इंजन को रिप्लेस किया था. ये नया इंजन 124 PS तक की पावर जेनरेट करता था. साल 1972 आते-आते इस कार में और बदलाव किए गए, इस कार में फ्लश माउंडेट डोर हैंडल को शामिल किया गया जिसने इसके लुक और स्टाइल को पहले से बेहतर बनाया. 

साल 1974, जब इस कार को नार्थ कोरिया भेजा गया था उस वक्त कंपनी ने इसमें सबसे बड़ा अपडेट देते हुए इसमें पुराने B20 इंजन की जगह नए Bosch D-Jetronic इंजन को शामिल किया. इस इंजन को उस वक्त के एडवांस K-Jetronic फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम से लैस किया था. इसके अलावा सेफ्टी के लिहाज से फ्यूल टैंक को सुरक्षित रखने के लिए इसे एक्सल (Axle) के पास लगाया गया. ताकि पीछे से टक्कर होने पर किसी तरह की आगजनी की घटना से बचा जा सके.

कार के नाम में छिपा था राज:

इस कार के नाम के पीछे भी गहरे राज छिपे थे, जो कि इस कार से जुड़ी कई डिटेल्स का खुलासा करती थी. दरअसल, ये वोल्वो की पहली थ्री-डिजिट नेमप्लेट वाली कार थी, जिसे स्वीडन के अलावा किसी दूसरे मुल्क में बेचा जा रहा था. 'Volvo 144' के नेम डिटेल्स में पहला अंक '1' सीरीज को दर्शाता था यानी कि ये फर्स्ट सीरीज की कार थी. दूसरा अंक '4' इस कार के सिलिंडर को दर्शाता था यानी ये कार 4 सिलिंडर इंजन से लैस थी. इसके बाद आखिरी '4' अंक कार में दरवाजों की संख्या बताता था, यानी ये चार दरवाजों वाली सेडान कार थी.

साल 1975 आते-आते कंपनी ने इस कार सीरीज का प्रोडक्शन बंद कर दिया और इसकी जगह कंपनी ने इसी प्लेटफॉर्म पर दूसरे मॉडलों को बाजार में उतारा. बताया जाता है कि, आखिरी समय तक कंपनी ने 2-डोर सेडान मॉडल के कुल 412,986 यूनिट, 4-डोर सेडान मॉडल के 5,23,808 यूनिट और 5-डोर स्टेशन वैगन के 2,68,317 यूनिट का प्रोडक्शन किया था. 
 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.No. 13047/ 78

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button