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आम चुनाव के लिए 60 संगठनों ने जारी किया पांच सूत्री मांग पत्र, सोनम वांगचुक बोले- खतरे में है हिम

नई दिल्ली.

देश में 60 से अधिक पर्यावरण और सामाजिक संगठनों ने हिमालय में बड़ी परियोजनाओं पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग की है। इनमें रेलवे की परियोजनाएं, जल विद्युत परियोजनाएं, चार लेन राजमार्ग परियोजनाएं शामिल हैं। इन 60 संगठनों की मांग है कि ऐसे किसी भी प्रोजक्ट को शुरू करने से पहले जनमत संग्रह और सार्वजनिक परामर्श लिया जाए। इस संगठन को पीपुल फॉर हिमालय नाम दिया गया है। संगठन द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव के लिए पांच सूत्री मांग पत्र जारी किया गया है।

सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरणविद्, इनोवेटर और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक बीते 6 मार्च 2024 से लेह में भूख हड़ताल कर रहे हैं. उनके भूख हड़ताल का आज 17वां दिन है. 6 मार्च को जब उन्होंने ये भूख हड़ताल शुरू की थी तो उस दिन उन्होंने कहा था, 'मैं आज फिर आप लोगों से बात कर रहा हूं. लेकिन इस बार एक अनशन शुरू करने के लिए…आमरण अनशन. चुनाव आने के संदर्भ में इसे हम चरणों में करेंगे. 21-21 दिन के चरणों में…जब तक कि हमारे लद्दाख की आवाज सुनी नहीं जाती…जब तक सरकार लद्दाख पर ध्यान नहीं दे देती."

सोनम वांगचुक की मांग क्या है?
सोनम वांगचुक और उनके समर्थक केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा दिया जाए और संवैधानिक सुरक्षा उपायों की व्यवस्था की जाए. इसके अलावा वो लद्दाख के लिए दो लोकसभा सीटें और एक राज्यसभा की सीट भी मांग रहे हैं. आसान भाषा में कहें तो सोनम वांगचुक और उनके समर्थक चाहते हैं कि लद्दाख में दो लोकसभा की सीटें हों जिन पर चुनाव हो और एक सीट राज्यसभा के लिए भी इस राज्य से चुन कर भेजी जाए. इसी मांग को लेकर वांगचुक और उनके समर्थक 6 मार्च से लेह में भूख हड़ताल पर हैं. इस भूख हड़ताल से पहले तीन फरवरी को भी लेह में इन मांगों को लेकर बड़ा प्रदर्शन हुआ था.

छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग क्यों कर रहे हैं?
पहले समझिए कि आखिर छठी अनुसूची है क्या? दरअसल, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 के अंतर्गत छठी अनुसूची स्वायत्त प्रशासनिक प्रभागों में स्वायत्ता जिला परिषदों के गठन का प्रावधान करती है. इनके पास एक राज्य के भीतर कुछ विधायी, न्यायिक और प्रशासनिक स्वतंत्रता होती है. वहीं जिला परिषदों में कुल 30 मेंबर होते हैं और चार मेंबर्स को राज्यपाल नियुक्त करता है. जबकि, छठी अनुसूची के मुताबिक जिला परिषद की अनुमति से ही क्षेत्र में उद्योग लगाए जा सकेंगे. यही वजह है कि सोनम वांगचुक और उनके समर्थक केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा दिलाना चाहते हैं. इस मांग पर तर्क देते हुए पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में सोनम वांगचुक कहते हैं, 'अनुच्छेद 244 की छठी अनुसूची लद्दाख जैसे जनजातीय क्षेत्र के लोगों और संस्कृतियों को सुरक्षा प्रदान करता है और साथ ही वहां ये निर्धारित कर सकता है कि इन स्थानों को दूसरों के हस्तक्षेप के बिना कैसे विकसित किया जाए. यही सब कुछ है जिसकी हम मांग कर रहे हैं.'

Dinesh Purwar

Editor, Pramodan News

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