RO.No. 13047/ 78
राजनीति

हरिद्वार लोकसभा सीट पर मिली जीत-हार का संदेश पूरे देश तक पहुंचता है, अनुभव और युवा जोश के बीच जोर-आजमाइश

हरिद्वार
हरिद्वार लोकसभा सीट पर मिली जीत-हार का संदेश पूरे देश तक पहुंचता है। हरिद्वार सभी राजनीतिक दलों के लिए खासी महत्वपूर्ण है। बीजेपी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनावी मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने वीरेंद्र रावत को हरिद्वार सीट से टिकट दिया है। ऐसे में सभी दल हरिद्वार लोकसभा के समीकरण साधने में जुटे हुए हैं। हरिद्वार, उत्तराखंड गठन के बाद से ही राज्य की सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में रही है। हरीश रावत और डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक यहां से सांसद बनने के बाद केंद्रीय मंत्री बन चुके हैं। भाजपा ने इस बार यहां से पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने पूर्व सीएम हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत पर दांव खेला है। बसपा ने यूपी के मीरापुर के पूर्व विधायक मौलाना जमील अहमद कासमी को टिकट दिया है। खानपुर के विधायक उमेश कुमार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इस वजह से यहां मुकाबला बहुकोणीय हो गया है।

उतार-चढ़ाव का साक्षी रहा
हरिद्वार सीट शुरू से ही राजनीतिक उतार-चढ़ाव की साक्षी रही है। एक जमाने में इस सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का खासा प्रभाव रहा। हरिद्वार के पहले सांसद बीएलडी के भगवान दास चुने गए थे। हालांकि, अलग राज्य बनने के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में यह सीट आश्चर्यजनक रूप से समाजवादी पार्टी ने जीत ली थी। उसके बाद दो बार भाजपा तो एक बार कांग्रेस इस सीट को जीतने में कामयाब रही है।

1977 में अस्तित्व में आई सीट
 हरिद्वार लोकसभा सीट परिसीमन के बाद 1977 में अस्तित्व में आई थी। आजादी के बाद हुए पहले चुनाव में हरिद्वार क्षेत्र देहरादून, बिजनौर, सहारनपुर नाम की संयुक्त सीट के तहत आता था। बाद में यह क्षेत्र सहारनपुर सीट का भी हिस्सा रहा। पश्चिमी यूपी से लगा होने के कारण यहां यूपी का भी असर दिखता है।

दो पूर्व सीएम कर चुके प्रतिनिधित्व
 राज्य गठन के बाद ये ही हरिद्वार सीट हाई प्रोफाइल बनी हुई है। 2004 के चुनावों में जहां सपा ने जीत दर्ज कर सभी को चौंकाया तो 2009 में हरीश रावत ने यहां से जीत दर्ज की। बाद में वे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी बने। 2014 और 2019 में लगातार दो बार पूर्व सीएम डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने चुनाव जीता। जीत के बाद हरीश रावत और निशंक दोनों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिली थी।

कब-कौन जीता
वर्ष निर्वाचित दल
1977 भगवानदास बीएलडी
1980 जगपाल सिंह एलएनपी
1985 सुंदर लाल कांग्रेस
1989 जगपाल सिंह कांग्रेस
1991 राम सिंह भाजपा
1996 हरपाल साथी भाजपा
1998 हरपाल साथी भाजपा
2004 राजेंद्र बाड़ी सपा
2009 हरीश रावत कांग्रेस
2014 डा. रमेश पोखरियाल निशंक भाजपा
2019 डा. रमेश पोखरियाल निशंक भाजपा

विधानसभा क्षेत्र
धर्मपुर
डोईवाला
ऋषिकेश
हरिद्वार
बीएचईएल रानीपुर
ज्वालापुर
भगवानपुर
झबरेड़ा
पिरान कलियर
रुड़की
खानपुर
मंगलौर
लक्सर
हरिद्वार ग्रामीण।

त्रिवेंद्र रावत
भाजपा उम्मीदवार त्रिवेंद्र रावत इस सीट के तहत आने वाली डोईवाला विधानसभा का तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वह करीब चार साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। छात्र जीवन से ही संघ, भाजपा से जुड़े रहे।

वीरेंद्र रावत
कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र रावत पूर्व सीएम हरीश रावत के परिवार के चौथे सदस्य हैं जो हरिद्वार में अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं। उनकी मां ने लोकसभा चुनाव लड़ा। बहन अनुपमा रावत हरिद्वार ग्रामीण क्षेत्र की विधायक हैं।

उमेश कुमार
उमेश कुमार हरिद्वार से निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनावों में खानपुर सीट पर निर्दलीय रहकर जीत हासिल की थी। उमेश के हरिद्वार में निर्दलीय उतरने से इस सीट के समीकरण बदल सकते हैं।

मौलाना जमील अहमद कासमी
बसपा ने जमील अहमद कासमी को मैदान में उतारा है। कासमी 2012 के विधानसभा चुनावों में यूपी की मीरापुर सीट से जीते थे। 2021 में वह राष्ट्रीय लोकदल में शामिल हो गए थे। हालांकि फिर बसपा में लौट आए।

क्षेत्र की विशेषताएं
हरिद्वार की देश में धार्मिक नगरी के रूप में बड़ी पहचान।
उत्तराखंड में सबसे अधिक औद्योगिक क्षेत्र इसी इलाके में है।
पर्वतीय मूल के साथ मुस्लिम, दलित पिछड़े मतदाताओं की अच्छी तादाद।
उत्तराखंड में सबसे अधिक है हरिद्वार जिले की जीडीपी।

2014
डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक  5, 92,320 भाजपा (जीते)
रेणुका रावत 4,14,498 कांग्रेस

2019
डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक 6,65,674 भाजपा (जीते)
अंबरीश कुमार 4,06,945 कांग्रेस

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

RO.No. 13028/ 149

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button