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भाजपा और मोदी के विजयी रथ को रोकने के लिए बने इंडिया गठबंधन को कश्मीर में लगा झटका

श्रीनगर
भारतीय जनता पार्टी (BJP) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजयी रथ को रोकने के लिए बने इंडिया गठबंधन को एक और झटका लगता दिख रहा है। पहले पश्चिम बंगाल कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अकेले दम पर लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए सभी सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी। अब जम्मू-कश्मीर में भी गठबंधन अंतिम सांसें गिनती दिख रही है। पीडीपी चीफ और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने पीडीपी के पास कश्मीर की तीनों लोकसभा सीट पर उम्मीदवार खड़े करने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है। महबूबा के इस बयान से तो यही प्रतीत हो रहा है कि गठबंधन लगभग टूट चुका है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस ने हाल में ऐलान किया था कि वह सभी तीनों सीट पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ में सीट बंटवारे के तहत जम्मू की दो सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दीं। मुफ्ती ने पत्रकारों से कहा, “उन्होंने (नेशनल कॉन्फ्रेंस ने) हमारे लिए उम्मीदवार खड़ा करने और चुनाव लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है।” उन्होंने कहा कि पार्टी का संसदीय बोर्ड उम्मीदवारों पर अंतिम फैसला करेगा। आपको बता दें कि पटना से लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई इंडिया गठबंधन की मीटिंग और रैलियों में महबूबा ने शिरकत की है। वह हर मंच पर दिखती रही हैं। उनके अलावा फारुख अब्दुल्ला भी अपनी पार्टी का नेतृत्व करते दिखे हैं। हालांकि, सीट शेयरिंग पर सामंजस्य होने की स्थिति नजर नहीं आ रही है।

उधमपुर सीट का क्या है हाल
जम्मू-कश्मीर की लोकसभा की कुल पांच सीटें हैं। उनसे एक एक उधमपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी नेता और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस ने चौधरी लाल सिंह को मैदान में उतारा है। डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीपीएपी) की ओर से पूर्व मंत्री जीएम सरूरी को मैदान में उतरने से मुकाबला पहले ही त्रिकोणीय हो गया है। जितेंद्र सिंह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भूतपूर्व जम्मू-कश्मीर रियासत के महाराज हरि सिंह के पोते एवं कांग्रेस उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह को 3,53,272 मतों के अंतर से हराकर उधमपुर लोकसभा सीट पर कब्जा बरकरार रखा था। डोगरा स्वाभिमान संगठन के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले लाल सिंह को सिर्फ 19,049 वोट मिले थे। इससे पहले जितेंद्र सिंह ने 2014 के चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद को 60,976 वोट के अंतर से हराया था। उन्हें केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री बनाया गया था।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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