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सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में दलित और महिला अधिकार कार्यकर्ता शोमा सेन को दी जमानत

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पिछले करीब छह साल से जेल में बंद दलित और महिला अधिकार कार्यकर्ता शोमा सेन को आज (शुक्रवार, 05 अप्रैल) जमानत दे दी। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने जमानत का आदेश पारित किया है। अंग्रेजी साहित्य की प्रोफेसर और महिला अधिकार कार्यकर्ता सेन को 6 जून, 2018 को गिरफ्तार किया गया था।सुप्रीम कोर्ट ने 16 मार्च को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले की आरोपी शोमा कांति सेन की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सेन ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें पिछले साल जनवरी में जमानत के लिए राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) की विशेष अदालत से संपर्क करने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने पहली बार दिसंबर 2018 में पुणे सत्र न्यायालय के समक्ष जमानत के लिए आरोपपत्र दाखिल करने से पहले आवेदन किया था और आरोपपत्र दाखिल होने के बाद एक और आवेदन किया था। दोनों आवेदनों को सत्र न्यायालय ने नवंबर 2019 में एक सामान्य आदेश के माध्यम से खारिज कर दिया था।

कौन हैं शोमा कांति सेन
शोमा सेन एक दलित महिला अधिकार कार्यकर्ता और सहायक प्रोफेसर हैं। वह नागपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी साहित्य विभाग की विभागाध्यक्ष रह चुकी हैं। शोमा का जन्म और पालन-पोषण मुंबई के बांद्रा में एक उच्च-मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ है। उन्होंने स्कूली शिक्षा सेंट जोसेफ कॉन्वेंट से पूरी की। इसके बाद मुंबई के एलफिंस्टन कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद नागपुर यूनिवर्सिटी से एमफिल और पीएचडी की। फिर वहीं प्राध्यापक बन गईं।

भीमा कोरेगांव हिंसा में उनकी कथित संलिप्तता के आरोप में पुणे पुलिस ने उन्हें 8 जून 2018 को सुधीर धावले, महेश राउत, सुरेंद्र गाडलिंग और रोना विल्सन के साथ गिरफ्तार किया था।  इन सभी पर UAPA के तहत आरोप लगाए गए थे। उनकी गिरफ्तारी का मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से जुड़ा है। पुलिस का दावा है कि भाषण के अगले दिन शहर के बाहरी इलाके में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क उठी थी। पुणे पुलिस ने दावा किया था कि सम्मेलन को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था।

 

Dinesh Kumar Purwar

Editor, Pramodan News

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